श्रद्धा कच्चे धागे की तरफ होती है और श्रद्धा ठोस पहाड़ जैसी भी होती है। - साई कृष्ण दास

श्रद्धा कच्चे धागे की तरफ होती है और श्रद्धा ठोस पहाड़ जैसी भी होती है। - साई कृष्ण दास

श्रद्धा कच्चे धागे की तरफ होती है और श्रद्धा ठोस पहाड़ जैसी भी होती है। - साई कृष्ण दास

श्रद्धा कच्चे धागे की तरफ होती है
और श्रद्धा ठोस पहाड़ जैसी भी होती है। - साई कृष्ण दास 



श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव में चकरभाटा बाबा आनंदराम उदासी आश्रम में संत बाबा श्री कृष्ण दास उदासी जी ने गुरु तत्व पर बड़ा ही सरल सुंदर सत्संग किया और बताया कि सेवक की श्रद्धा ही सतगुरु से लाभान्वित करती है कुछ सेवक ऐसे होते हैं जिनकी श्रद्धा कच्चे धागे की तरह होती है थोड़ा सा जोर आया कि टूट जाती है उन्होंने सुंदर उदाहरण देकर समझाया एक घटना के माध्यम से। एक सेवक गुरुजी के पास रोज आता था
 काफी दिनों से वह नहीं आया तो गुरुजी उनके घर गए तो देखा आंखों में वह श्रद्धा भाव नहीं पूछा क्यों नहीं आ रहे हो? सेवक ने पहले तो टालना चाहा जोर देने पर बताया कि गुरु जी आपको मैंने शराब के दुकान के पास देखा था आपके हाथ मैं शराब की बोतल थी उसी दिन से मेरी भावना बदल गई सत्संग में तो आप बड़े-बड़े प्रवचन करते हैं नशा करना खराब है नशा नरक ले जाता है और आप खुद ऐसे काम करते हैं तब गुरुजी हंसने लगे और उन्होंने बताया कि चलो थोड़ा घूम आते हैं एक दूसरे सेवक के पास ले गए और उससे मिला कर कहा कि जिस दिन से तुमने आना बंद किया उसी दिन से यह रोज सत्संग में आता है पूछो क्यों तो दूसरे सेवक ने बताया कि मुझे नशे की आदत हो गई थी मैं कभी-कभी गुरुजी के पास आता था अचानक वहां से गुरुजी गुजरे मुझ पर नजर पड़ी तो संकोच छोड़कर लोगों की परवाह किए बिना वह शराब की दुकान के पास आए मुझे डांटा और मेरे हाथ से बोतल छीन ली और चिल्लाने लगे मुझे समझाया और बोतल उठा कर फेंक दी तोड़ दी गुरु जी के वचनों से मुझे ज्ञान का रास्ता मिला उस दिन से मैंने शराब छोड़ दी और सत्संग शुरू कर दिया अब मैंने प्राण लिया है कि जीवन भर किसी तरह का नशा नहीं करूंगा। गुरुजी ने कहा उस दिन तुमने आंखों से जो देखा वह सच नहीं था, बात बुद्धि में समझी नहीं क्योंकि कभी-कभी आंखें भी धोखा दे जाती है इन पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए हमेशा खुद को समझाना चाहिए और अच्छे रास्ते पर चलना चाहिए दोष अपने देखने चाहिए न कि गुरु जी के। सेवक चरणों में गिर पड़ा उसे बात समझ में आ गई।

 इसलिए हमें बिना सोचे विचारे कभी भी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए किसी को बुरा नहीं समझना चाहिए। बाबा जी ने एक सुंदर नया भजन गाया ओ साहब तेरी खिदमत चाहूं कुछ भी चाहूं ना छोड़ तेरी चौखट बाबा दूर जाऊं ना चाहूं तो बस तुमसे तेरा प्यार चाहूं हां ओ बाबा भगतराम ओ बाबा भगतराम देखा है तुझमें राम देखा है श्याम। सत्संग कीर्तन भजन से सर्व साथ संगत मंत्रमुग्ध हो गई सैकड़ों लोगों ने ऑनलाइन भक्ति का अमृत पिया। श्रद्धालुओं को हरि के नाम की महिमा बताई गई और सच की राह दिखाई गई। बाबा आनंद राम सेवा समिति और साध संगत ने तन मन धन से सेवा कर के जीवन धन्य किया। विजय भाई ने सत्संग का प्रवाह प्रचार के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया। जय श्री कृष्ण

श्री विजय दुसेजा जी की खबर

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