वर्षा ऋतु जहां नव सृजन का आधार है वही कुछ मौसमी बीमारियों का आगाज भी है खासकर कमजोर इम्यूनिटी वाले जैसे बच्चे , वृद्ध व निराश्रित वर्ग के लिए - ऐसे ही चौक चौराहे गली मुहल्ले में निराश्रित घूमते हुए लोग जिन्हे हम पागल आदि समझ कभी झिड़क देते है कभी सदभाव वश कुछ खाने को भी दे देते है असल में साफ सफाई के अभाव में ये बीमारियों के संवाहक बन जाते है -
ऐसे ही मुंगेली नाका में पागल समान घूमते युवा *संतोष* के बारे में पुख्ता जानकारी मिलते ही सिम्स से पासआउट युवा डा योगेश कन्नोजे , आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रशिक्षक आर के अग्रवाल व आशीष मिश्रा तथा सामाजिक संस्था सेवा एक नई पहल के संयोजक सतराम जेठमलानी अपने संवेदन शील साथियों की मदद से इस निराश्रित घूमते युवा के बेतरतीब ढंग से बिखरे बाल , दाढ़ी कटिंग करवा , गंदे बड़े बड़े नाखून काटकर नहला धुला पुराने कपड़े बदल , नए कपडे पहना , नाश्ता पानी देकर विश्वास में ले परिजनो की पता साजी की समुचित जानकारी के अभाव में किसी आश्रम में व्यवस्था का प्रयास किया पर मानसिक स्थिति स्थिर न होने के कारण संभावित व्यवस्था नही हो पाई।