कैम्प हटने का मतलब इलाक़ा नक्सलियों को सौंप देने जैसे होगा:फ़ारूख अली
कैम्प हटने का मतलब इलाक़ा नक्सलियों को सौंप देने जैसे होगा:फ़ारूख अली
कैम्प हटने का मतलब इलाक़ा नक्सलियों को सौंप देने जैसे होगा:फ़ारूख अली
समाज सेवी एवं नक्सलविरोधी फ़ारूख अली ने जारी प्रेस विज्ञप्ति मे कहा के ग्रामीण कभी कैम्प का विरोध नही करते,नक्सली दबाव बनाकर ग्रामीणों को बैठाये हैं,कई ऐसे तथ्य सामने आ चुके हैं कि कैसे नक्सलियों को डरा धमका कर कैंप का विरोध करने भेजते हैं. नक्सली ग्रामीणों से प्रदर्शन मे नही जाने पर 1000 रुपए से 10’000 हज़ार अर्थदंड और जान से मारने की धमकी देते हैं,नक्सलियों का दबाव और दिल्ली से आये सामाजिक कार्यकर्ता के नाम पे अपना स्वार्थ साधने कैंप का विरोध ग्रामीणों को भड़काकर करवाते हैं. *सोनी सोढ़ी आदिवासी हैं और बस्तर की बेटी उनको बाहर से आकर तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता अपमान करना निंदनीय है:* बाहर से आए तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता(कालेज के प्रोफ़ेसर)द्वारा बस्तर कि बेटी सोनी सोढ़ी का अपमान करना और ग्रामीणों को उनके ख़िलाफ़ भड़काना ग़लत है. दिल्ली से आइ तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता(प्रोफ़ेसर)विदेश मे पहचान बढ़ाने और पैसे कमाने के लिए ग्रामीणों को भड़काती हैं,सरकार,प्रशासन,पुलिस और सुरक्षा बल जनता के दुशमन हैं ऐसा उनका ब्रेन वाश करती हैं. आदिवासियों का हो विकास ये नक्सली नही चाहते क्यों की अंदर विकास पहुँचा तो नक्सलियों का धंधा ख़त्म हो जाएगा. विडंबना ये है के नेता जाति धर्म की राजनीति करेंगे मगर नक्सलियों के ख़िलाफ़ एक शब्द नही बोलेंगे. *क्षेत्रीय नक्सलियों के साथ बाहरी नक्सली करते हैं भेदभाव और शोषण:* तेलंगाना से आये नक्सली नेता रामन्ना ने छत्तीसगढ़ मे 40 साल आतंक का साम्राज्य खड़ा किया था. कोरोना से लगातार नक्सलियों की मौतें होने के वजह से बाहरी नक्सली रामन्ना का बेटा भी तेलंगाना मे जाकर आत्मसमर्पण किया,क्षेत्रीय नक्सलियों से अपील है ज़रा बाहरी नक्सली और तथाकथित दिल्ली वाले सामाजिक कार्यकर्ता का चोला पहने लोगों की साज़िश समझें. बस्तर के विकास मे भागीदार बने सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करें। फ़ारूख अली समाज सेवी,नक्सलविरोधी