प्रतिदिन की भांति 13 अगस्त ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा किया गया जिसमें सभी भक्त गण प्रातः 10:00 बजे उनके विभिन्न गृपों में जुड़ते हैं एवं सत्संग का पूर्ण लाभ लेते हुए अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी प्राप्त करते हैं
आज सत्संग परिचर्चा में सुनील महावीर जी ने जिज्ञासा रखी थी भगवान शिव जी अपने गले मे नांगो को क्यो धारण करते है इस कथा को कहने की कृपा करे, बाबा जी ने बताया कि जब भगवान शिव शंकर ने समुद्र मंथन से प्रकट हुए हलाहल विष को पान किया तो उनका कंठ उस विष के प्रभाव से अत्यधिक जलने लगा तो सर्प अत्यधिक शीतल होते हैं इसीलिए उन्होंने सर्व को अपने गले में धारण किया जिससे उन्हें शीतलता भी प्राप्त हुई और यह उनका आभूषण भी बन गया
नारायण चंद्राकर जी ने जिज्ञासा रखी कि भगवान राम जी ने बाली को छिपकर ही क्यों मारा, बाबा जी ने बताया कि इसके मुख्य तीन कारण है सर्वप्रथम तो वह बाली के अंत का श्रेय सुग्रीव को देना चाहते थे क्योंकि उसे आगे वानर कुल को चलाना था एवं द्वितीय के बाली को इस तरह का वरदान प्राप्त था कि जो भी उसके सामने आता है उसकी आधी शक्ति उसे प्राप्त हो जाती थी और तीसरा यह था कि इस तरह के दुष्ट और पापी के विनाश के लिए किसी भी तरह के युद्ध नियम का पालन नहीं किया जाता इसीलिए भगवान श्रीराम ने इसका अंत किया और बाली के अत्याचार से पृथ्वी को मुक्त कराया
हेमंत साहू जी ने जिज्ञासा रखी की पाटेश्वर धाम में अखंड धूनी के पास में एक पवित्र महक होती है इसका क्या कारण है, बाबा जी ने बताया कि इस अखंड धूनी का बहुत अधिक महत्व है,माना जाता है कि जब अग्नि की स्थापना को 12 वर्ष हो जाते तो वह स्थान सिद्ध हो जाता है यह धूनी 1975 में परम पूज्य गुरुदेव के द्वारा जलाई गई थी जो कि 46 वर्षों से निरंतर जल रही है धुनी की महक इसलिए है कि वहां पर प्रतिदिन शुद्ध हवन सामग्री और घी से हवन किया जाता है, वहा पर लगी त्रिशूल का भी अपना ही महत्व है यह गुरुदेव को पाटेश्वर धाम के जंगलों में 1978 में चमचमाता हुआ मिला था यह किसने और क्यों रखा है यह गुरुदेव को भी नहीं पता था बस उन्होंने यहां लाकर धूनी पर स्थापित कर दिया
पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की
भवन निर्माण के समय वास्तु पूजा में धातु निर्मित नाग और नागिन का जोड़ा नींव में क्यों रखा जाता है कृपया प्रकाश डालेंगे बाबा जी।, बाबा जी ने बताया कि नाग जो है वे स्थिरता का प्रतीक होते हैं उन्होंने संपूर्ण धरती को अपने फण पर एक दाने के समान रखा हुआ है और इसीलिए यह स्थिरता उनका स्वभाव है नाग नागिन का जोड़ा रिश्तो को निभाने का प्रतीक है, नाग नागिन जब एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं तो वह किसी भी स्थिति में अपने जोड़े को ढूंढ ही लेते हैं और अगर नहीं मिल पाते तो वह अपने प्राण त्याग देते हैं इसीलिए जब निव में इसे स्थापित किया जाता है तो यह प्रार्थना की जाती है कि इसी तरह से घर परिवार वालों के बीच प्रेम बना रहेगा और दूसरा है कि हम नाग देवता से यह प्रार्थना करते हैं कि जिस तरह से वे स्थिर हैं वैसे ही हमारे घर को स्थायित्व प्रदान करेंगे ताकि यह घर पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित रहे, वास्तु शास्त्र का नाम ही बासुकीनाग से हुआ है इसीलिए वास्तु शास्त्र में नाग जोड़े का बहुत अधिक महत्व है
इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम