12 अगस्त प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी द्वारा उनके विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में प्रातः 10:00 बजे एक साथ आयोजित किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं
संत श्री के द्वारा आयोजित इस ऑनलाइन सत्संग में तीसरी बार कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के जाने-माने कवियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, श्री राम बालक दास जी के एवं केशव साहू जी के संचालन में आयोजित यह ऑनलाइन कवि सम्मेलन सभी के आकर्षण का केंद्र रहा जिसमें गजपति साहू जी,.... आदि कवि सम्मिलित रहे
आज के सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की
ऋषिपुत्र आस्तिक द्वारा नागों की रक्षा की कथा, नागवंश और नागपंचमी के महत्व के बारे में बताने की कृपा करेंगे महाराज जी।, बाबा जी ने बताया कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ हर जीव जगत को सम्मान दिया गया है हमारे धर्म में चाहे वहां शेर हो भालू हो या फिर गाय हो या बेल हो सभी को सम्मान पूर्ण दृष्टि से देखा गया है इसी में नागवंश भी आता है जहां पर प्रतिवर्ष नाग पंचमी का त्यौहार उनके सम्मान में मनाया जाता है, आज के दिन भारतवर्ष में कई जगहों पर नाग भी प्रकट होते हैं जो कि स्वयं दर्शन देते हैं इन्हीं में छत्तीसगढ़ में भी एक स्थान पत्थलगांव भी है इन स्थानों को नाग लोक भी कहा जाता है, इस दिन नागों की विशेष पूजा की जाती है एवं इनके ऊपर दूध चढ़ाया जाता है, कथा आती है कि तक्षक नाग के द्वारा जब परीक्षित को डसा गया तो जन्मेंजय ने एक यज्ञ करवाया जिसमें सारे नाम अग्नि में समा जाने लगे जिसके कारण नागों की माता ने आस्तिक ऋषि से नागों की रक्षा का आग्रह किया तब ऋषि ने जोत्सुक के द्वारा नागों की रक्षा की और कई नाग जो अग्नि में जल रहे थे उन्हें दूध से स्नान कराएं इसीलिए आज के दिन नागों के ऊपर दूध चढ़ाने का विधान है आज के दिन यह सब करके हम उन्हें यह भाव प्रदान करते हैं कि हम उनकी रक्षा के लिए संकल्पित है
आज पूरे विश्व में सेव द टाइगर अभियान जारी है परंतु नागों की संख्या जो कि भारत में ही करोड़ों के आंकड़ों में होती थी अब यहां भी संकट में आ गई है क्योंकि नागों के चमड़े के लिए आज उसकी तस्करी की जाती है नागों के बिल के आसपास ऐसी दवा रख दी जाती है जिससे नाग बेहोश हो जाते तब उन्हें मुंह से एक केमिकल मिलाकर उसकी चमड़ी को खींचकर निकाल लिया जाता है और इन्हें विदेश में एक्सपोर्ट किया जाता है जहां पर भारत के नागों के चमड़े की बेल्ट बहुत अधिक प्रसिद्ध है यहां $1600 तक मिलती है इस तरह से लाखों रुपए का व्यापार आज नागों की चमड़ी से किया जा रहा है, अतः नागपचमी को केवल एक पर्व ना मानते हुए नागों की रक्षा के लिए हमें संकल्पित होना अत्यधिक आवश्यक है
श्री तितक दुबे द्वारा प्रश्न किया गया कि
भगवान शिव की शिवलिंग की महिमा को बताते गुरुजी तो बडी कृपा होती ,इस संशार मे भगवान शिव लिंग की ही पुजा होती है शिवलिंग के महत्व को बताते हैं बाबा जी ने बताया कि यह ऐसा दिव्य पुंज है जिसका आदि और अंत स्वयं भगवान ब्रह्मा एवं विष्णु भी नहीं जान पाए शिवलिंग के रचना का इतिहास किसी भी वेद पुराण निषद उपनिषद कहीं भी नहीं है यह आदि अंत अनादिकाल से स्थापित है, शिवलिंग का अर्थ होता है लिंगोत प्रकाश जयते अर्थात ज्योति पुंज का रूप है और मां भगवती जलहरी के रूप में स्थापित है पिंड के रूप में भगवान शिव अतः यहां शिव पार्वती का प्रतीक है इसीलिए इनकी पूजा का बहुत अधिक महत्व है
देवीलाल जंघेल जी ने जिज्ञासा रखी थी महाभारत मे एक वीर हुए बरबरीक जिन्होने यश किर्ति राजपाट मान सम्मान वैभव नही मांगा! बल्की वरदान मे मरना मांगा | बाबा जी ने बताया कि महाभारत काल में, घटोत्कच का पुत्र बरबरी ने निर्णय लिया कि वह उसी का साथ देगा जो इस युद्ध में कमजोर प्रतीत होगा
उसे कौरव और पांडवों से कोई मतलब नहीं था, और जब उसे कौरव कमजोर होते दिखाई दिए तो वह उन्हीं की ओर से लड़ा
उसके युद्ध कौशल को देखकर भगवान श्रीकृष्ण को चिंता होने लगी, तो भगवान श्री कृष्ण जी ने उसके समक्ष एक विनती की क्या मैं तुमसे कुछ मांगू तो तुम मुझे दोगे तब बरबरीक ने कहा कि जो संपूर्ण संसार को देते हैं आज मुझसे कुछ मांग रहे हैं तो मैं अवश्य रूप से आपको दूंगा तब उन्होंने कहा मुझे तुम्हारा शीश चाहिए और उसने तत्काल ही अपना शीश श्री कृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया श्री कृष्ण जी ने कहा कि अब तुम मुझसे कुछ मांग सकते हो तब उन्होंने मांगा कि मैं यहां महाभारत का युद्ध पूरी तरह से देखना चाहता हूं तब उन्होंने उसे एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया और बरबरीके ने पूरा युद्ध देखा
युद्ध समाप्त होने पर श्री कृष्ण जी ने उससे कहा कि तुमने इस महाभारत युद्ध क्या देखा कि कौन जीता तब उसने कहा कि मैंने यह देखा कि इस युद्ध में कोई ना जीता ना कोई हारा यहां तो सिर्फ श्री कृष्ण की एक लीला मात्र थी तब श्री कृष्ण जी ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि तुम मेरे ही नाम से पूजे जाओगे और इसीलिए आज उन्हें खाटू श्याम जी के नाम से संबोधित किया जाता है एवं राजस्थान में उन्हें पूजा जाता है
इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम