नाग पंचमी - प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व
भारत एक कृषि प्रधान देश है - सिंधु (हिंदु) सभ्यता के अनुसार प्रकृति द्वारा प्रदत्त कोई भी वस्तु चल अचल जड़ चेतन अकारण ही नहीं है - इसीलिए हमारे सारे तीज त्यौहार प्रकृति पर आधारित है - इन्हीं मान्यताओं और परम्पराओं के अनुसार सिंधी समाज द्वारा *नाग पंचमी* त्योहार को *गोगियो* के नाम से मनाया जाता है - हमारी कृषि आधारित सिंधु सभ्यता *नाग* को खेत का रक्षक मानती है जो कृषि के लिए हानिकारक तत्वों जीव जंतु व चूहे आदि का भक्षण कर फसल को हरा भरा रखता है - *गोगीयो* पर्व इसी कृषि रक्षक के लिए *कृतज्ञ* होने का दिवस है - समाज में मान्यता है कि इस दिन नाग देवता के दर्शन मात्र से सारी मनो कामनाएं पूर्ण होती है इस त्यौहार के दिन परिवार के सभी सदस्य ठंडा खाना खाते है - जिसे त्यौहार की पूर्व संध्या को गृहणियां पूरे पवित्र मन और स्वछता से चूल्हे को साफ सुथरा कर मीठी और नमकीन मोटी रोटी जिसे कोकी या लोलो भी कहते है इसके साथ दही बड़े , करेले , आलू आदि बनाती है जिसका एक हिस्सा लेकर पूरे परिवार की महिलाएं सुबह सवेरे दरिया शाह (पानी के स्रोत) या पीपल के वृक्ष पर जाकर - कच्चे दूध , कुमकुम , गाय के गोबर व एक दिन पूर्व संध्या को निर्मित प्रसाद से प्रकृति की पूजा अर्चना कर शिव लिंग पर जल चढा सारे विश्व के कल्याण की कामना की जाती है
- सिंधी समाज में इस त्योहार के दिन धरती को खोदना स्पष्ट रूप से मना है *शायद इसीलिए एक दिन पूर्व भोजन बना लिया जाता है ताकि उस दिन कोई खेत या बगीचे में जाकर प्रकृति या जंतुओं को प्रभावित न करे।
सतराम जेठमलानी
संयोजक सेवा एक नई पहल
श्री विजय दुसेजा जी की खबर