श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े हर्षो उल्लास के साथ बाबा आनंद राम दरबार में मनाई गई

श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े हर्षो उल्लास के साथ बाबा आनंद राम दरबार में मनाई गई

श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े हर्षो उल्लास के साथ बाबा आनंद राम दरबार में मनाई गई

श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े हर्षो उल्लास के साथ बाबा आनंद राम दरबार में मनाई गई

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे विश्व भर में सर्व समाज ने
बड़े ही हर्षोल्लास के साथ धूमधाम के साथ मनाई गई इसी कड़ी में  चकरभाटा स्थित बाबा आनंद राम दरबार में
कृष्णा जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सुबह हरि कीर्तन किया गया भजन गाए गए आए हुवे भक्तों को खीर व फलाहार वितरण किया गया
6:00 बजे से रात्रि 10:30 बजे तक कार्यक्रम चलता रहा कार्यक्रम की शुरुआत राधा कृष्ण की मूर्ति पर माला पहनाकर दीप प्रज्वलित करके आरती करके की गई
सबसे पहले प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें राधा कृष्णा बनो इस प्रतियोगिता में 100 राधा कृष्णा की जोड़ी ने हिस्सा लिया पूजा की थाली सजाओ कृष्णा को सजाओ भजन गाओ बांसुरी बजाओ कई प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें बाल रूप से लेकर 10 साल तक के बच्चों ने भाग लिया सबको पुरस्कार वितरण किए गए

रात्रि 8:00 बजे एकादसी वाले बलराम भैया जी के द्वारा
भक्ति भरे भजनों की प्रस्तुति दी गई कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है कृष्ण का जन्म क्यों हुआ यह सब कथा के माध्यम से भक्तजनों को बताया साईं कृष्णा जी के द्वारा भगवान और भक्त की एक कथा सुनाई गई
एक गांव में हरिपाल  नाम का एक सज्जन व्यक्ति रहता था प्रभु कृष्ण का परम भक्त था  गरीबों को जरूरतमंदों को भूखों को भोजन करवाता था आज तक कोई भी उसके घर से खाली नहीं गया ना ही भूखा गया दिन बीतते गया  समय आगे बढ़ता गया एक दिन ऐसा आया कि उसके खजाना खाली हो गया घर बार दुकान सब बिक गए फिर भी वह निराश नहीं हुआ उसने सोचा अब इन भूखों को खाना कैसे खिलाऊंगा दूसरे दिन वह जंगल की ओर गया देखा सामने से पति पत्नी आ रहे हैं और पत्नी के गले में लाखों के हीरो के हार  पहने हुई  हैं जैसे वे  आगे बढ़े उसने उसका  रास्ता रोका और एक चाकू दिखाकर उन्हें लूट लिया और सब गहनों को बेचकर जो पैसे मिले फिर से गरीब को खाना खिलाना जरूरत मंदो की  सेवा करना शुरू कर दी अब चोरी करना लूटना इसका प्रती दिन उसका  काम हो गया पर वह बड़े बड़े पैसे वालों को ही लूटता था वह बड़े बड़े राजा महाराजाओं के यहां चोरी करता था जैसे ही यह बात फैली कि जंगल में डाकू रहता है अब उस रास्ते से कोई भी आना जाना बंद कर दिए और राजा महाराजाओं ने भी अपने घरों के बाहर सैनिकों की संख्या और बढ़ा दी एक दिन साधु का जत्था गुजर रहा था उन्हें पता चला प्रभु श्री कृष्ण का परम भक्त यहां  रहता है और कोई भी खाली नहीं गया है वहां पहुंचे और कहा भाई हरिपाल  हम वृंदावन जा रहे हैं दूर से आए हैं हमें भूख लगी है भोजन करवाओ हरिपाल  ने कहा आप हाथ मुंह धोह  लीजिए मैं खाने का  इंतजाम करता हूं अंदर जाकर देखा तो कुछ नहीं है जंगल की ओर गया  पेड़ के ऊपर चढ़कर देखा कोई तो आए जिसे में  लूट लू और संतों के लिए खाने का इंतजाम। करू बहुत देर तक कोई  नहीं दिखा तो  कृष्ण को याद करने लगा हे प्रभु अपने भक्त  पर दया कर ओर  किसे भेज दे 

भक्तों की आवाज सुनकर भगवान श्री कृष्णा रुक्मणी के साथ भेष बदलकर बड़े सेठ और सेठानी बनकर आने लगे थोड़ी देर बाद हरिपाल  ने देखा कि सेठ और सेठानी  आ रहे हैं जैसे ही वह नजदीक पहुंचे उसकी नजर उस सेठानी पर पड़ी तो उन्होंने करोड़ों रुपए के हीरो के हार जेवर पहने हुए थे वह बहुत खुश  हो गया जैसे ही आगे बढ़े उनके पास पहुंचा और पूछा कहां जा रहे हो भाई उन्होंने कहा हम चकरभाठा जा रहे हैं और हमें पता है कि रास्ते में कोई डाकू रहता है जंगल में इसलिए हम उस रास्ते से नहीं जाएंगे हरिपाल  ने कहा आप चिंता ना करो मैं आपको शार्टकट रास्ते से ले चलता हूं जल्दी चकरभाठा पहुंच जाओगे
जैसे ही थोड़ी दूर  आगे बढ़े गने  जंगलों में पहुंचे हरिपाल  ने तुरंत बड़ा चाकू निकाला और कहा इस सारे गहने उतार दो वरना तुम्हारी गर्दन काट दूंगा सेठ ने कहा सेठानी उतार दो उतार दो सब गहने धीरे-धीरे करके सेठानी के सारे गहने उतरवा लिए पर एक अंगूठी और एक नौ लक्खा हार गले में छूट गया भगवान ने सोचा भक्त इसे  भूल गया है तो उसने कहा  भाई डाकू तुम्हें सब लूट लिया है पर ये अंगूठी ओर इस  हार  को मत लेना यह मेरे ससुर की निशानी है
हरिपाल  ने देखा यह तो लाखों  रुपए का है   जल्दी दो सेठानी ने उतार कर दे दिया सेठ ने पूछा भाई डाकू तुम यह सब काम क्यों करते हो तो हरिपाल  ने सारी कहानी बताएं सेठ  ने कहा जो तुम कार्य कर रहे हो चोरी करके खिलाना यह कार्य अच्छे नहीं हैं भोजन कराना सेवा करना अच्छी बात है पर अपनी मेहनत करके कमाकर करना किसी को लूट कर मत करना यह बात हरिपाल  को दिल से लग गई और उसने मन ही मन प्रभु से क्षमा मांगने लगा उसी समय प्रभु ने अपने दिव्य दर्शन दिए हरिपाल  प्रभु के चरणों में गिर पड़ा
श्री कृष्ण  मुझे माफ कर दो दया के सागर मुझ पर दया करो करुणा के सागर मुझ पर करुणा बरसाओ श्री कृष्णा ने कहा उठो भक्त  मैंने तुम्हें माफ किया और यह सारे गहने ले जाओ अब तुम्हें चोरी करने की   कोई जरूरत नहीं  पड़ेगी यह अनमोल गहने है   कभी तुम्हारा खजाना खाली नहीं जाएगा इसे तुम ले जाओ और अपना मकान बनाओ दुकान खोलो खेती-बाड़ी करो और कमा के सबको भोजन कराते रहो सेवा करते रहो तुम्हारा खजाना कभी खाली नहीं होगा

इस कहानी से हमें यह  शिक्षा मिलती है कि जो सच्चा भक्त होता है प्रभु उसकी रक्षा के लिए वह उसे सही मार्ग दिखाने के लिए हमेशा उसके पास पहुंच जाते हैं
ताकि उसका भक्त सत्य मार्ग पर चलें धर्म के मार्ग पर चलें
साईं कृष्ण दास जी के द्वारा भगवान श्री कृष्ण के मधुर रसीले भजन गाए गए

छलिया का भेष बनाया श्याम चूड़ी बेचने आया

ठाकुर हमरे रमण बिहारी हम है रमण बिहारी के

मेरे बांके बिहारी और सावरे
जल्दी से आजा
मधुर भजन सुनकर भक्तजन झूम उठे
किशोर वाधवानी ने दर्द भरे भजन गाए इसे सुनकर भक्तों की आंखों से आंसू भरे लगे

राधिका सिदारा ने गिटार पर 

अनप्लग भजन गाए 
मेरे बांके बिहारी लाल तू इतना ना करियो सिंगार नजर तोहे लग जाएगी
ऐसे भजन गाकर सबका मन मोह लिया
भाई गोविंद ने ऊंचे सवार में अलाव कर भगवान कृष्ण का कीर्तन कराया तो जसमत धिर वानी  ने लेटेस्ट एल्बम पर श्री कृष्ण का भजन करके संगत को रिझाया
साल के बालक हिंदू जाने नॉनस्टॉप भजन गाकर सबको चकित कर दिया इस तरह भक्ति का सागर भतार और समय का पता ही नहीं चला कार्यक्रम के आखिर में जी के सई कृष्ण जी द्वारा मटकी फोड़ी गई
माखन खाया गया भक्तों को खिलाया गया प्रसाद वितरण किया गया
ठाकुर का भोजन ग्रहण कर भक्तों ने जय जय कार की और कहा मन व आत्मा दोनों तृप्त हो गए संतों का सत्संग और भजन सुनकर आत्मा तृप्त हुई वह ठाकुर का भोजन मन भी तृप्त हो गया
इस पूरे कार्यक्रम का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों भक्तों ने घर बैठे इस कार्यक्रम को देखा वह आनंद लिया इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा आनंद राम सेवा समिति चकरभाटा कोरबा रायपुर के सभी सेवादारों का विशेष योगदान रहा

श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

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