जो इंसान अपने धर्म का ना हुआ वो किसी दूसरे धर्म का क्या होगा
पप्पू भाई साहब
सतगुरु श्री बाबा थावर दास साहेब जी का 240 वां जन्म उत्सव मैहड दरबार तोरवा बिलासपुर में तीन दिवसीय मनाया जा रहा है जिसमें आज दूसरे दिन सुबह भजन कीर्तन आरती अरदास पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया रात्रि 8:00 बजे आकाश म्यूजिकल पार्टी कटनी के द्वारा भक्ति भरे भजनों की शानदार प्रस्तुति दी गई
चादर में ढक जाए पहनजे चरण में रख जाए
जब तक सूरज चांद रहेगा बाबा तेरा नाम रहेगा
सिंध ये तुहंजी धरती बाबा थावर दास साहेब है बड़ी हस्ती
मेला मेला लगना रहने संतन जा मेला
पंखिड़ा ओ पंखिड़ा
ऐसे कई भक्ति भरे भजन गाय इसे सुनकर भक्तजन झूम उठे
मेंहड़ दरबार महिला समिति के द्वारा माता शबरी व भगवान रामचंद्र जी के मिलन की शानदार नाटय प्रस्तुति दी गई इस अवसर पर मैहर दरबार कटनी से पधारे पप्पू भैया जी ने कहा जो इंसान अपने धर्म का ना हुआ वह किसी दूसरे धर्म का क्या होगा हिंदू धर्म सनातन धर्म है हम बड़े भाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म हिंदू धर्म में हुआ है पर कुछ लोग स्वार्थ के खातीर अपने धर्म को छोड़कर अन्य धर्म अपना रहे हैं ऐसे लोगों का जीवन में कभी भी भला नहीं हो सकता है भगवान झूलेलाल जी ने धर्म की रक्षा के लिए ही अवतार लिया था हमारे पूर्वजों ने भी धर्म की रक्षा के लिए ही सिंध प्रांत छोड़कर आए थे पर बड़े दुख की बात है अपने ही लोग अपने ही लोगों को गुमराह करके अन्य धर्म में कन्वर्ट करा रहे हैं
मैहर दरबार कटनी से आई पूज्य दादी नानकी साहिबा जी ने भी अपनी अमृतवाणी में फरमाया कि किस तरह माता शबरी ने दूसरा जन्म लिया क्योंकि पहले जन्म में वह राजकुमारी थी वह भगवान के दर्शन नहीं कर पाई संतो के दर्शन नहीं कर पाई सेवा नहीं कर पा रही थी इसीलिए भगवान से वरदान मांगा कि मुझे दूसरे जन्म में इतना सुंदर ना बनाएं और राजा या बड़े घराने में मैं जन्म ना हो माता शबरी का दूसरा जन्म छोटे कुल में हुआ कैसे हुआ अपने कुल से अलग होकर जंगल पहुंची ऋषि मटन के आश्रम में सेवा की सारा जीवन प्रभु की रामचंद्र जी की दर्शन के लिए यादों में लगा दिया अंत में प्रभु के दर्शन हुए भगवान रामचंद्र जी भर्ता लक्ष्मण के साथ माता सीता की खोज में जंगल जाते हुए माता शबरी के पास पहुंचे थे माता शबरी के झुठे मीठे बेर खिलाए थे लक्ष्मण ने वह बेर नहीं खाकर उन्हें फेंक दिया था और वह बेर कोसों दूर पर्वत में जाकर गिरे थे भगवान रामचंद्र जी ने कहा था भाई लक्ष्मण तुमने हमारे भक्त का अपमान किया है और हम तुझे ये फल खिला कर ही रहेंगे
प्रभु की लीला अपरंपार है जो लक्ष्मण ने बेर फेंके थे जिस पर्वत पर वह जड़ी बूटी बन गए थे जब राम और रावण के युद्ध में भाई लक्ष्मण अचेत हो गए थे तब हनुमान जी संजीवनी जड़ी बूटी लेने के लिए पूरा पर्वत उठा कर लाए थे और वह संजीवनी जड़ी बूटी पीसकर वेद जी के द्वारा लक्ष्मण के मुख् में डाली गई और लक्ष्मण जी के प्राण बचे थे यह संजीवनी जड़ी बूटी बेर से बनी थी दादी साहिबा जी ने कहा भगवान प्रेम के भूखे हैं वह तुम्हारे 56 भोग या धन दौलत के भूखे नहीं है और तुम क्या भगवान को देते हो जो कुछ तुम्हारे पास है वह तो भगवान का दिया हुआ है अगर भगवान कुछ देना है तो सच्ची भक्ति दो सत्संग कीर्तन सिमरन नाम जाप करो दिन में कुछ समय निकालकर करें सत्संग में जरूर जाए अंत में सब कुछ यहीं छूट जाएगा प्रभु का नाम ही साथ जाएगा इसलिए जो चीज साथ जाएगी उसे गवाओ मत यह मानव जीवन बड़े मुश्किल से मिला है इसे यूं ही व्यर्थ जाने ना दें
कार्यक्रम के आखिर में 240 दीपक प्रज्वलित किए गए दादी साहिबा और पप्पू भैया जी के द्वारा भक्तों के संग केक काटा गया भोग लगाया गया भक्तों को वितरण किया गया वह 56 भोग भी लगाया गया आखिर में आरती की गई अरदास की गई पल्लो पाया गया आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भंडारण ग्रहण किया
आज के इस आयोजन को सफल बनाने में मेहर दरबार सेवा समिति के सभी सदस्य का विशेष सहयोग रहा
श्री विजय दुसेजा जी की खबर