भगवान ओर गुरु के सिवाए कोई अपना नहीं है,,,, संत लाल साई
श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा के संत लाल साई जी का सत्संग का आयोजन सिंधी धर्मशाला हेमू नगर बिलासपुर में आयोजित किया गया
कार्यक्रम रात्रि 8:00 बजे आरंभ हुआ 10:00 बजे समापन हुआ कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल जी के फोटो पर माला अर्पण कर एवं बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रज्वलित करके की गई सत्संग में साईं जी ने अपनी अमृतवाणी में ज्ञानवर्धक दो कथा सुनाएं
एक भक्त जब कुंवारा था तब हर सप्ताह मंदिर जाता था संत से मुलाकात करता था आशीर्वाद लेता था वह अपने दुख दर्द सुनाता था जैसे-जैसे समय बीतता गया संत के आशीर्वाद से उसकी सगाई हो गई वह भक्त ने मंदिर में आना कम कर दिया संत ने पूछा क्या बात है मुरारी तुमने मंदिर में आना कम कियो कर दिया है तो मुरारी ने कहा साई जी मेरी सगाई हो गई है संत ने कहा जा खुश रहो आज से इस मंदिर से तेरा नाता छूटा कुछ समय बाद उसकी शादी हुई वह मंदिर में अब 3 महीने में एक बार जाने लगा संत ने फिर पूछा क्या बात है मुरारी ने कहा साई जी मेरी शादी हो गई है संत ने कहा जा तेरे माता पिता का साथ तेरे से छूटा
कुछ समय बाद मुरारी को बच्चा हुआ अब वह साल 2 साल में एक बार मंदिर जाने लगा संत ने पूछा अब क्या हुआ मुरारी ने कहा साई जी मुझे बेटा हुआ है संत ने कहा जा अब तेरा बेटे से भी नाता छूटा मुरारी ने कहा साई जी यह क्या बात है जब भी में आता हूं आप कुछ न कुछ बोलते हो कि उसका साथ छूटा उसका साथ छू ट गया आखिर इसका मतलब क्या है मैं नहीं समझ पा रहा हूं संत जी ने मुस्कुराते हुए प्रेम से कहा बेटा यह दुनिया की सच्ची कड़वी हकीकत है जब तक औलाद कुंवारी रहती है तथा माता-पिता की सेवा करती है गुरुजनों के पास जाती है मंदिर में जाती है सत्कर्म करती है पर जैसे ही विवाह के बंधन में बंध जाता है वह धीरे-धीरे इन सत्य कर्मों से अपना पीछा छुड़ाते जाता है और मोह माया के वश में फसते जाता है मुरीरी संत की बात समझ गया वह चरणों में गिर पड़ा बोला मुझे माफ कर दो मेरी आंखें खुल गई है
साईं जी ने दूसरी कथा सुनाई
एक भक्त अपने गुरु के पास पहुंचता है गुरु उसे देखकर समझ जाते हैं कि इसकी बुद्धि काम नहीं कर रही है दिमाग में सही विचार भी नहीं चल रहे हैं वह गलत मार्ग पर जाने वाला है संत अपनी लीला से उसकी बंद पड़ी बुद्धि को खोलते हैं वह एक लीला रचते
वह अपनी शक्ति से उसके सिर पर हाथ रखते हैं वह कहते हैं जब तक मैं ना कहूं अपनी आखे मत खोलना सीधा घर में जाकर खोलना जैसा ही वह घर पहुंचता है अपनी आंखें खोलता है तुरंत गिर पड़ता है माता-पिता पत्नी सब पूछते हैं देखते हैं तो वह अपने प्राण त्याग चुका होता है घर वाले बोलते हैं अब तो हमारा सहारा गुरुजी है वहीं अब इसे जीवित कर सकते हैं गुरु जी को बुला कर लाते हैं गुरु जी कहते हैं ठीक है मैं से जीवन दान दे देता हूं इसे में नया जीवन दे देता हूं जाओ एक साथ गिलास में दूध ले आओ दूध में शक्कर मिश्री डाल के लेकर आओ अंदर जाकर दूध ले आते हैं गुरु जी को देते हैं गुरु जी दूध के गिलास को पकड़कर कुछ मंत्र पढ़ते हैं मंत्र पढ़ने के बाद वह कहते हैं आपका पुत्र जीवित हो सकता है पर एक शर्त है यह दूध जो पिएगा वह मर जाएगा तब यह जीवित होगा सब गुरुजी की बात सुनकर हैरान हो जाते हैं पिता से कहते हैं आप ही दूध पी लीजिए अपने पुत्र को नया जीवनदान दीजिए पिता कहता है यह तो चल बसा है मैं तो जिंदा हूं मैं इसके लिए क्यों मारूं मां से कहते हैं मां कहती है मैं अगर मर जाऊंगी तो मेरे पति का ध्यान कौन रखेगा पत्नी से कहते हैं पत्नी कहती में पैसे वाली हूं मुझे किस बात की चिंता है मेरे घर वाले मुझे बैठा कर खिला सकते हैं वह मेरी दूसरी शादी भी करवा सकते हैं मैं क्यों मरूं तब गुरु कहता है ठीक है इसको मैं ही पी लू सभी कहते हैं हां हां इस दूध को गुरु जी आप ही पी लीजिए वैसे भी गुरु तो हमेशा भक्तों का सहरा है और आप अगर मर जाएंगे तो चिंता ना करें आपका हम अंतिम संस्कार करेंगे आप की समाधि बनाएंगे आपके नाम से दान पुण्य करेंगे आप ही दूध को पी लीजिए और हमारे पुत्र को नया जीवनदान दीजिए गुरु जी दूध को पी लेते हैं अपने करमंडल से जल निकालकर उसको छीडकते हैं और कहते हैं उठो भक्त आंखे खोलो और अब बताओ इस जीवन में तुम्हारा सगा कौन है तुम्हारे संसारी बंधन में जो बने हुए रिश्तेदार हैं या गुरु ओर भगवान हैं
इस अवसर पर
साईं जी के द्वारा कई भक्ति भरे भजन गाय गए जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे
पार लगाई नो मूहंजो झूलेलाल झूलेलाल उड़े रे लाल
बाबा गुरमुख आपकी कृपा से सब काम हो रहे हैं करते आप हो नाम मेरा हो रहा है
जिनको है बेटियां वो ये कहते हैं परियों के देश में वह रहते हैं
लाणी ओ लाणी निमानी मुहजी प्यारी रानी
पल्ले ते आयो महंजो लाल सभी यी चयो जय झूलेलाल
जिसको है भगवान श्री झूलेलाल से प्यार वह हाथ ऊपर करें
ऐसे कई अन्य भक्ति भरे भजन गाए कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई प्रार्थना की गई प्रसाद वितरण किया गया वह बहराणा साहब को लेकर ढोल बाजे के साथ धर्मशाला से निकल कर तालाब पहुंचे यहां पर विधि विधान के साथ साई जी के द्वारा बहराणा साहब का विसर्जन किया गया वह अखंड ज्योत को तराया गया आए हुए सभी भक्त जनों के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भंडारण ग्रहण किया
इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति बिलासपुर वह मूलचंदानी परिवार के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा
श्री विजय दुसेजा जी की खबर