बेस्ट क्वालिटी का आयरन ओर मिलेगा:राजहरा में 400 करोड़ रु. के पैलेट प्लांट निर्माण को सेल ने दी मंजूरी, माइंस की 15 साल बढ़ जाएगी लाइफ…!!

बेस्ट क्वालिटी का आयरन ओर मिलेगा:राजहरा में 400 करोड़ रु. के पैलेट प्लांट निर्माण को सेल ने दी मंजूरी, माइंस की 15 साल बढ़ जाएगी लाइफ…!!

बेस्ट क्वालिटी का आयरन ओर मिलेगा:राजहरा में 400 करोड़ रु. के पैलेट प्लांट निर्माण को सेल ने दी मंजूरी, माइंस की 15 साल बढ़ जाएगी लाइफ…!!

दल्ली में करीब 400 करोड़ की लागत से पैलेट प्लांट स्थापित किया जाएगा। सेल ने बीएसपी के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्लांट में उत्पादन शुरू होने के बाद दल्ली राजहरा क्षेत्र की लाइफ लाइन 15 साल और बढ़ जाएगी। वहीं बीएसपी को उच्च गुणवत्तायुक्त आयरन ओर उपलब्ध होगा। बीएसपी की एकीकृत माइंस दल्ली राजहरा बीते 60 वर्षों से प्लांट में आयरन ओर की डिमांड को पूरा करते आ रहा है।


डिपाजिट खत्म होने की वजह से अब आयरन ओर की क्वालिटी प्रभावित होने लगी है। लिहाजा प्लांट की डिमांड पूरा करने के लिए कंपनी के रा मटेरियल डिवीजन (आरएमडी) से आयरन ओर मंगवाना पड़ रहा है। इसे देखते हुए बीएसपी प्रबंधन ने अन्य विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है। बीते वित्त वर्ष में कंपनी को बड़ा प्रॉफिट होने पर करीब 400 करोड़ की लागत से पैलेट प्लांट स्थापित करने की योजना को सेल प्रबंधन ने मंजूरी दे दी है। प्लांट बीओटी पैटर्न पर स्थापित किया जाना है।
पैलेट प्लांट के जरिए मिलेगा प्लांट को आयरन ओ
माइंस में आयरन ओर की जब खुदाई की जाती है, वह छोटे बड़े आकार में होते हैं। जिसे क्रशिंग प्लांट में समान आकार दिया जाता है। उसके बाद उसे धोया (वाशिंग) जाता है। इस प्रक्रिया में आयरन ओर के छोटे-छोटे टुकड़े हितकसा डैम में लगातार जमा हो रहे है। आयरन ओर के बारीक कणों से 60 वर्षों में डैम पूरा भर चुका है। इसका इस्तेमाल करने के लिए ही बेनिफिशियल प्लांट स्थापित किया गया है। ब्लास्ट फर्नेस में सीधे आयरन ओर के बारीक कणों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, इसलिए उसे लड्डू का आकार दिया जाता है।
  • पर्यावरण संरक्षण में मिलेगी मदद, दिक्कत भी कम होगी ।
  • क्रशिंग प्लांट में पानी और बिजली की होगी बचत।
  • उच्च गुणवत्तायुक्त आयरन ओर का होगा उत्पादन।
  • ब्लास्ट फर्नेस का भी जीवनकाल बढ़ेगा।
  • स्थानीय को रोजगार मिलेगा।

रावघाट में माइनिंग शुरू होने में अब भी 4 साल लगेंगे
जानकारों के मुताबिक रावघाट में भले ही सांकेतिक रूप से आयरन ओर की माइनिंग की जा चुकी है लेकिन नियमित खनन के लिए अभी भी 3 से 4 साल तक इंतजार करना होगा। क्योंकि अभी भी माइनिंग से जुड़े उपकरण को स्थापित करने के लिए मौके पर किसी तरह की तैयारी नही की गई है। इतना ही नहीं रेलवे का प्रोजेक्ट भी काफी पीछे चल रहा है।

खराब क्वालिटी का भी होगा अब इस्तेमा

पहली महत्वपूर्ण परियोजना वर्तमान क्रशिंग एवं स्क्रीनिंग प्लांट के विस्तार स्वरुप एक सिलिका रिडक्शन प्लांट लगाने की है। जिसके द्वारा खदान के निम्न गुणवत्ता वाले अयस्क को भी भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए उपयोगी बनाया जा सकेगा। आयरन-ओर में सिलिका के कम होने से गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

पुरानी तकनीक से सिंटर प्लांट नहीं दे पा रहा साथ
बीएसपी में एक पैलेट प्लांट है लेकिन वह ओल्ड टेक्नालॉजी का होने की वजह से उत्पादन क्षमता कम है। जबकि बीएसपी के फर्नेसों की डिमांड अधिक है। लिहाजा इस डिमांड को पूरा करने के लिए प्रबंधन को राजहरा में ही पैलेट प्लांट स्थापित करना पड़ रहा है। जिसमें बेनिफिकेश प्लांट और सिलिका रिडक्शन प्लांट का इस्तेमाल पैलेट में किया जाएगा।

पैलेट प्लांट दूर करेगी आयरन ओर की कमी
राजहरा में क्रशिंग वाशिंग प्लांट में आयरन ओर के क्रशिंग और वाशिंग करने के दौरान आयरन ओर का जो पाउडर निकलता है,वह बीते 60 वर्षों से हितकसा डैम में जमा हो रहा है। इसे ब्लास्ट फर्नेस में दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए पैलेट प्लांट स्थापित किया जा रहा है। पैलेट का उत्पादन होने से लंप्स की डिमांड कम हो जाएगी।

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