हिंदू धर्म की रक्षा के लिए भगवान झूलेलाल जी ने अवतार लिया ,,,,संतलाल साईं
श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा के संत लाल साई जी का जरिपटका नागपुर में दिव्य सत्संग का आयोजन किया गया
इस अवसर पर संध्या 7:00 बजे भव्य शोभायात्रा निकाली गई जोकि जरिपटका के प्रमुख मार्गो से होते हुए सत्संग स्थल पर पहुंची इस शोभायात्रा में सबसे आगे भक्ति भरे भजन के साथ युवाओं के द्वारा शानदार नृत्य करते हुए चल रहे थे उनके पीछे बड़ी संख्या में भक्तजन थे दिव्य सुंदर रथ में साईं जी विराजमान थे और सभी साथ संगत को दर्शन देते हुए चल रहे थे इस शोभा यात्रा का जगह-जगह आतिशबाजी व फूलों की वर्षा के साथ स्वागत किया गया
सत्संग स्थल में कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल एवं बाबा गुरमुख दास जी के फोटो पर माला अर्पण कर के रात्रि 8:00 बजे की गई कार्यक्रम में
ग्वालियर के मशहूर जावेद म्यूजिकल पार्टी व केशुभाई के द्वारा शानदार भक्ति भरे भजनों की प्रस्तुति दी जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे
संतलाल साईं जी के द्वारा
अपनी अमृतवाणी में सत्संग की वर्षा की साई जी ने फरमाया
भगवान झूलेलाल हिंदू धर्म की रक्षा के लिए सिंध में अवतार लिया था और भगवान झूलेलाल भगवान कृष्ण के ही रूप है विष्णु के अवतार है भगवान कृष्ण और भगवान झूलेलाल जी के जन्म से लेकर कई लीलाएं आपस में बहुत मेल खाती हैं और भगवान झूलेलाल जल के अवतार हैं जहां पर भगवान विष्णु जी निवास करते हैं
अपने धर्म की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने सिंध छोड़ा अपना घर बार सब कुछ छोड़ दिया लेकिन धर्म पर आच आने नहीं दी जिसका फल हमें मिला भी आज सिंधी समाज और धार्मिक पुरुषार्थी समाज में गिना जाता है हमने हमेशा देना सीखा है लेना नहीं सीखा है
धन दौलत घर मकान गाड़ी सब कुछ है अगर कुछ चीज की कमी है तो वह है हम अपनी बोली भाषा संस्कृति वह अपने इष्ट देव भगवान झूलेलाल को भूलते जा रहे हैं जिसके कारण हमें सब कुछ मिला आज हम उन्हें ही भूलते जा रहे हैं हर धर्म के लोग हर जाति के लोग अपने अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना करते हैं और उन्हें अपना पालनहार मानते हैं हमारे सिंधी समाज के इष्ट देव भगवान झूलेलाल हैं हमारे पालनहार हैं सबसे सरल और जल्दी प्रसन्न होने वाले हमारे भगवान झूलेलाल हैं और जल और ज्योत में हमेशा वास करते हैं जरूरत है सच्चे मन से उन्हें याद करने की फिर देखें आपके दुख दर्द जल्दी दूर हो जाएंगे साई जी के द्वारा दो ज्ञानवर्धक कथाएं भी सुनाई गई जिसका अर्थ था जो व्यक्ति अपने धर्म को वह अपनी बोली भाषा संस्कृति को कायम रखा है वही व्यक्ति वही समाज आगे बढ़ता है
कुछ लोग अज्ञानता के वश में आकर अपने धर्म को छोड़कर अन्य धर्म अपना रहे हैं वह लोग याद रखें उन्हें कभी भी मुक्ति नहीं मिलेगी गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है अपना धर्म सबसे सर्वोपरि है जो जिस धर्म में है वह अपने धर्म की रक्षा करें पूजा अर्चना करें जिए भी धर्म के लिए मरे भी धर्म के लिए
कार्यक्रम के आखिर में साई जी के द्वारा भी भक्ति भरे भजन गाए गए इस पूरे कार्यक्रम का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में लोगों ने घर बैठे इस दिव्य सत्संग को देखा अंत में पल्लो पाया गया विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की गई प्रसाद वितरण किया गया वह आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया इस सत्संग में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन बिलासपुर चकरभाटा रायपुर दुर्ग भाटापारा रायगढ़ नागपुर गोंदिया छिंदवाड़ा वर्धा आसपास के भक्तजन पहुंचे थे
पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति नागपुर के सभी महिलाएं युवा सदस्यों का सहयोग रहा
श्री विजय दुसेजा जी की खबर