कोई कश्मीरी कोई मद्रासी सिंधी हिकडा भारतवासी,, नारी भाई
किसी भी समाज की संस्कृति की कल्पना संगीत के बिना नहीं की जा सकती कहते है, संगीत ईश्वर के करीब पहुंचने का एक माध्यम है संगीत को एक चिकित्सा भी माना जा रहा है ।प्रकृति हर चीज में एक मधुर संगीत है संगीत के महत्व व सांरगी दिवस को विस्तृत करते हुए सिंधी लोक संगीत उत्सव सिंधी समाज द्वारा 26 जून को लखीराम आडोटोरियम मे 5:30 बजे मनाया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे
कुलपति डॉक्टर आरके दुबे
श्री गौरव शुक्ला (सी वी रमन
विधायक शैलेश पांडे जी
सतीश जैयसवाल
कार्यक्रम की शुरुआत
भगवान झूलेलाल मां सरस्वती जी के फोटो पर माला अर्पण कर दी प्रचलित करके की गई
हर राज्य का अपना एक लोक संगीत है जिसे गुजरातियों का डांडिया , सिंधियों का लोक नृत्य है लडा् बड़े खास होते हैं यह खुशी के उत्सव मे गाए जाते हैं। इसमें महिलाएं नृत्य करती हैं।
ओराणा,ट्पडा,भगति,डोहीडा,सखियडा़ विभिन्न गीत जो जन्म से मृत्यु तक गाए जाते हैं
ओराणा जिसमे माता के गीत गाए जाते है ।भगत जिसमे भक्ति गीत गए जाते है ।इसमें बच्चे के जन्म में, बच्चे के बड़े होने के इस क्रम में, उसके मुंडन संस्कार में, जन्व संस्कार में, शादी में गीत गाए जाते हैं जो कुछ तो विलुप्त होते जा रहे है इसलिए लोग संस्कृत दिवस के रूप में इसे मना कर युवा पीढ़ी को अवगत कराना व अपनी संस्कृति को बढ़ाने खास उद्देश्य है।
सिंधी वाद यंत्र सांरगी जो हजारों साल पुरानी है मगर वर्तमान में से एक नया जीवन दिया है लालू थाईयाम व राजेश परसरामानी ने जो विश्व प्रसिद्ध सारंगी वादक है वह गिनीज रिकॉर्ड होल्डर है उन्होंने कार्यक्रम में प्रस्तुति दी
व उस्ताद भुट्टा जी, उस्ताद रसूल जी,उस्ताद फकीरे जी ने प्रस्तुति दी व ,विशेष रूप से आमंत्रित रचनाकार एवं गायक श्री नारी लछवानी जी एवं नागपुर से श्री विनोद आसुदानी जी उपस्थित रहें
वहां अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा विनोद भाई ने सिंधी सप्त ऋषि हैं क्यों की सिंधियों में 7 गुण पाए जाते हैं जिन्हें सप्त ऋषि के अनुसार कहा जाता है
वह आज हमारी मातृभाषा सिंधी मृत अवस्था में पहुंच गई है
उसे हम लोग बचाने की जगह भूलते जा रहे हैं अगर आपकी मां बीमार हो तो क्या आप उसे डॉक्टर के पास नहीं ले जाएंगे उसे बढ़े हस्पताल में नहीं ले जाएंगे जरूर ले जाएंगे तो सिंधी भाषा भी हमारी मां है विभाजन के बाद सिंधी समाज के सामने रोजी रोटी की जरूरत थी परेशानी भी थी लेकिन हमारे समाज ने अपनी मेहनत से लगन से पुरुषार्थी बन कर दिखाया
पर कमाने की धुंध में हम लोग इतने आगे निकल गए कि अपनी संस्कृति अपने खेलकूद अपनी भाषा अपना खानपान अपना रहन-सहन सबको धीरे धीरे भूलते गए पीढ़ी दर पीढ़ी आगे आती गई हम उन्हें क्या दिया बंगला गाड़ी मकान रुपया पैसा पर जो सबसे अनमोल चीज थी वह हम उन्हें नहीं दे पाए वह हमारी संस्कृति हमारी भाषा हमारे लोकगीत हमारा संगीत हमारा खान-पान हमारा रहण सहन
आज जरूरत है इन सब चीजों की जो हमें अपने बच्चों को अपने आने वाली पीढ़ी को देनी है बाकी सब तो भुला दिया कम से कम अपनी मीठी प्यारी हमारी बोली हमारी मातृभाषा सिंधी कम से कम उसको तो बचा कर रखो वही अब हमारी पहचान है और किसी भी समाज की पहचान उसकी भाषा उसके रहन-सहन खान-पान से होती है इसलिए आज जो इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया है वह इन सब चीजों को बचाने के लिए वह हमारी पीढ़ी को बताने के लिए किया गया है और ऐसे आयोजन हर शहर में उन्हें चाहिए बिलासपुर सिंधी समाज को मैं बधाई देता हूं उन्होंने ऐसा कार्यक्रम आयोजित किया वह हमें आने का मौका मिला मशहूर जाने-माने कवि नारी लछवनी ने भी अपनी दो कविता सुनाई
जिसमें पहली कविता का शीर्षक था
कोई कश्मीरी कोई मद्रासी कोई गुजराती कोई मराठी सिंधी हिकड़ा भारतवासी
दूसरी कविता के माध्यम से हमारे बचपन में जो हम खेल खेलते थे उन खेलों के नामों को पिरोया गया था
टिल्दा की खास टीम ने छेज की प्रस्तुति दी जो एक सिंधी लोक नृत्य है व चकरभाटा की महिला टीम ने आंखों में पट्टी बांधकर छेज। की शानदार प्रस्तुति दी बिलासपुर की महिला टीम के द्वारा लाडो की प्रस्तुति जिसमें दर्शक झूम उठे वह माता के भजनों की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया
कई सिंधी भक्ति भरे भजनों पर नृत्य किया गया व भक्त कंवर राम साहेब व सच्चो रामदास के भक्ति भरे भजन पर सजीव प्रस्तुति दी गई
सिंधुरत्न से सम्मान किया गया उस्ताद लालू थाईयाम व राजेश परसरामानी का कलाकारों को विशिष्ट सम्मान दिया गया जिसमें शाल ओढ़ाकर श्रीफल व स्मृति दिया गया
कार्यक्रम में सभी कलाकारों का भी सम्मान किया गया रायपुर से उपस्थित पत्रकार डिंपल शर्मा बिलासपुर से पत्रकार लता गुप्ता का भी सम्मान किया गया
उस्ताद लालू ने इस अवसर पर 250 साल पुरानी सिंधी सारंगी जो अपने पुरखों की निशानी थी उसे पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत
भारतीय सिंधु सभा को संयुक्त रूप से भेंट की और कहा सारंगी किसी को भेंट करने के लिए नहीं है पर आज का इतना शानदार प्रोग्राम देखा मैंने तो इसके सच्चे हकदार सच्चे कदरदान बिलासपुर सिंधी समाज है जो इसे सजोगे रखेगा व सिंधी सारंगी को विश्व पटल तक आगे ले जाएगा और आज के एक कार्यक्रम सिंधी लोक संगीत को हमेशा लोग याद रखेंगे क्योंकि ऐसे कार्यक्रम वैसे आयोजन बहुत कम होते हैं और जिन्हें संगीत से प्यार है अपने लोकगीतों से प्यार है वहीं इसका महत्व समझ सकते हैं और बिलासपुर सिंधी समाज के हम आभारी हैं ऐसा आयोजन किया वह हमें आने का मौका मिला
इस पूरे कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक सिंधी सिंधी गीत सिंधी भजन सिंधी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई उपस्थित सभी लोगों ने खुशी व्यक्त की इस आयोजन का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में घर बैठे लोगों ने इस कार्यक्रम का आनंद लिया कार्यक्रम के अंत में पल्लो पाया गया विश्व कल्याण के लिए अरदास की गई
व यह घोषणा की गई की प्रति वर्ष 26 जून को सिंधी लोक संगीत उत्सव मनाया जाएगा
इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में
भारतीय सिंधु सभा व पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के प्रकाश ग्वालानी ,धनराज आहूजा , पी एन बजाज , डीडी आहूजा , विनोद रायकेश, मोहन जेसवानी ,उमेश भावनानी , ललित मखीजा देवी दास वाधवानी ,किशोर गेमनानी ,मुरली नेभानी ,मनोहर पमनानी , धीरज रोहरा ,श्रीचंद दयालानी ,विनोद मेघानी, इंदर चावला सुनील लालवानी , विनोद खत्री,अर्जुन तीर्थनी , शंकर मनचंदा ,प्रतीक मेहानी,सुमित लधानी , डीडी बजाज जी,महेश दुहलानी, हरीश मोटवानी, भारत चंदानी विजय दुसेजा नंदलाल पुरी राकेश चौधरी, सतीश लाल जी,
मोहन मोटवानी श्याम हरियानी जगदीश जगियासी
,शत्रुघ्न जैसवानी व भारतीय सिंधु सभा महिला विंग की
राष्ट्रीय महामंत्री विनीता भावनानी , नगर अध्यक्ष
अध्यक्ष कंचन मलघानी ,राजकुमारी मिहानी, नीतू खुशलानी, रेखा आहूजा,कीर्ति लालवानी, गरिमा शाहनी, ट्विंकल आडवाणी, ओमिका भावनानी बरखा कोटवानी चंदा ठाकुर कंचन रोहरा, उर्वी आहूजा नीलू गिड़वानी, सोनी बहरानी, पूनम बजाज,
व अन्य सभी सदस्यों के सहयोग से सफल आयोजन रहा...इस कार्यक्रम की सभी आगुंतको कला प्रेमियों ने आयोजको की बहुत बहुत प्रशंसा की और बधाई दी...
श्री विजय दुसेजा जी की खबर