नियमों में बदलाव:ब्लड के लिए अब मरीज नहीं होंगे परेशान, रुकावट डाली तो कार्रवाई

नियमों में बदलाव:ब्लड के लिए अब मरीज नहीं होंगे परेशान, रुकावट डाली तो कार्रवाई

नियमों में बदलाव:ब्लड के लिए अब मरीज नहीं होंगे परेशान, रुकावट डाली तो कार्रवाई

नियमों में बदलाव:ब्लड के लिए अब मरीज नहीं होंगे परेशान, रुकावट डाली तो कार्रवाई

जिला अस्पताल प्रशासन ने शनिवार को अपने व रेडक्रास सोसाइटी से संचलित ब्लड बैंक के सभी मनमाने नियम बदल दिए। नए नियम के तहत अब जिला और निजी अस्पताल के बीच ब्लड लेन-देन में वहां पदस्थ कोई डॉक्टर या स्टाफ रुकावट डालेगा, तो सिविल सर्जन उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करेंगे। भास्कर ने 28 जुलाई के अंक में स्वास्थ्य विभाग के इन मनमाने नियमों का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद नियम बदले गए।

ये तीन प्रमुख बदलाव किए गए

इमपेनल्ड होने की शर्त नहीं थोपी जाएगी: ब्लड बैंक में ब्लड नहीं होने पर भर्ती मरीज को बाहर के किसी भी लाइसेंसी ब्लड बैंक से लेकर दे सकेंगे। निजी अस्पताल में भर्ती मरीज को सरकारी ब्लड बैंक में उपलब्ध होने पर ब्लड दिया जाएगा। इसके लिए उस अस्पताल को इमपेनल्ड होने की शर्त नहीं थोपी जाएगी।

नहीं रोने वाले नवजात को देखेंगे विशेषज्ञ : न्यू बोर्न केयर सेंटर में भी चिकित्सकीय व्यवस्था दुरुस्त की गई है। जन्म के समय नहीं रोने वाले नवजात बच्चों को अब विशेषज्ञ डॉक्टर व एसएनसीयू की ट्रेंड स्टाफ देखेंगी। शिफ्ट वार इन दो की टीम न्यू बोर्न केयर सेंटर में मौजूद रहेगी। टीम का काम सिर्फ ऐसे बच्चों का इलाज करना होगा।

रेफरल डिलीवरी की दो स्तरीय समीक्षा होगी : जिला अस्पताल से रेफर डिलीवरी की दो स्तरीय समीक्षा होगी। पहली विभागाध्यक्ष डॉ. ममता पांडेय कर सिविल सर्जन को अपनी रिपोर्ट देंगी। उसके बाद वह गैर जरूरी रेफर करने वाले की पहचान कर विभागीय कार्रवाई करेंगे।

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