सिंधी संगोष्ठी- विभाजन विभीषिका" पर आयोजित की गई
बिलासपुर,सिंधी समाज के द्वारा 14 अगस्त रविवार संध्या 5 बजे जूना बिलासपुर सिंधी धर्म शाला में विभाजन विभीषिका स्मृति पर गोष्ठि का आयोजन किया गया जिसमे बडी संख्या में महिलाएं व युवा भी शामिल हुए।
मंच संचालन शत्रुघ्न जेसवानी ने किया। भारत बटवारे के समय अपनी जन्म भुमि छोड़ने के दर्द को याद करते हुए समाज के वरिष्ठ नागरिक जिनका जन्म बटवारे से पहले के अखण्ड भारत के प्रांत सिंध में हुआ था जिसमे शहर के श्री उत्तमचंद मूलचंदानी, श्री गोवर्धन दास नागदेव, श्री भगवान दास शामनानी,श्री प्रीतमदास नागदेव ,श्री अर्जुनदास तीर्थानी ने आप बीती में बताया की किन तकलीफों को सहते हुए वे सिंध से यहां पहंचे, कई बार वे यादों में भावुक भी हुए आजादी के पहले की रात एक काली रात थी जिसमें कईयों ने परिवार और अपनों को खो दिया किंतु उन्होंने कहा धर्म एवं अस्मिता की खातिर हमे जन्म भुमि छोड़ना ही उचित लगा।
हम सिंध में अपनी जमीन अपना सब कुछ छोड़ कर अपनी मीठी बोली अपनी संस्कृति को लाए थे इसे कायम रखने के लिए आज भी हम सब सक्रिय हैं। सभी ने अपने अनुभव से अवगत कराते हुए बताया कि आज भी सिंध मे अपना पन महसूस करते हैं। अपनी मेहनत और ईमानदारी पर के बल पर हम आज विश्व में हर जगह है मगर सिंध से नाता ... कभी नहीं छूटा. यादें मन की गहराइयों तक समाई हुई है।
कार्यक्रम मे प्रमुख सहयोग मोहन जैसवानी का गोष्ठी में प्रमुख रूप से श्रीमती विनीता भावनानी,श्री पी एन बजाज,देवीदास वाधवानी, नानक राम माखीजा ,हरीश भागवानी,हुंदराज जेसवानी,मोहन लाल शामनानी , सतीश लाल,जगदीश जगयासी,धनराज आहूजा,सी एम माखीजा, शंकर मनचंदा, नरेश मूलचंदानी ,अभिषेक विधानी,हरीश मोटवानी,नंदलाल पुरी, कन्हैया लाल आहूजा,श्रीमती राजकुमारी मेहानी, गरिमा सहानी, मोनिका सीदारा कविता मोटवानी,मुस्कान बच्चानी इत्यादि उपस्थित रहे।
श्री विजय दुसेजा जी की खबर