सत्संग को जब तक जीवन में अमल नहीं करोगे तब तक सत्संग का लाभ नहीं मिलेगा ,,, साई कृष्ण दास
श्री जपुजी पाठ साहिब के चालीसा के अवसर पर बाबा आनंद राम दरबार चकरभाटा के साईं कृष्ण दास जी के सत्संग का आयोजन किया गया विनोबा नगर में सत्संग की शुरुआत भगवान झूलेलाल एवं गुरु नानक देव जी के फोटो पर माला अर्पण कर की गई।
साईं जी ने सत्संग में फरमाया की सत्संग में आकर और उसे सुनकर जब तक उसे आप अपने जीवन में अनुसरण नहीं करेंगे अमल नहीं करेंगे तब तक सत्संग का लाभ आपको नहीं मिलेगा सत्संग का मतलब है सच का संग करना सत्य की राह में चलना दीन दुखियों की सेवा करना प्रभु का सिमरन करना अपने माता-पिता की पूजा करना कुछ लोग सत्संग में आकर भी उनका ध्यान घर और दुकान की तरफ रहता है जब तक आपका मन और तन सत्संग में नहीं लगेगा तब तक सत्संग में आकर भी ना आना एक बराबर है साईं जी ने ज्ञानवर्धक एक छोटी सी कथा सुनाई एक भक्त प्रतिदिन सत्संग में जाता था सत्संग सुनता था एक बार उन्होंने संत से कहा बाबा मैं खाली बैठा हूं मुझे दुकान खोलनी है तो मैं किस सामान की वस्तु की दुकान खोलू संत ने कहा बेटा तुम जाकर आलू की दुकान खोलो वह भक्त जाकर आलू की दुकान खोला और कुछ ही दिन में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा छोटी सी दुकान से तीन माले की बड़ी दुकान बन गई घर भी बड़ा बन गया वक्त बिता गया ।
अब उस भक्त को सत्संग में आने का समय भी नहीं मिल पा रहा था सारा दिन दुकान में बैठा रहता था धंधा अच्छा चल रहा था बच्चे बड़े हो गए सोचा अब उनके लिए दुकान खोले फिर एक दिन सत्संग में गया पर अब पहले जैसा वो भक्त नहीं रहा अब वह बड़ा धनवान बन चुका था अच्छे कपड़े पहनता था अच्छा खाना खाता था बोलने का ढंग बदल गया था सत्संग समापन के बाद संत के पास पहुंचा कहने लगा बाबा मुझे बच्चे के लिए दुकान खोलनी है कौन सी दुकान खोले संत दूसरे भक्तों से बात कर रहे थे ध्यान नहीं दिया उसे बहुत गुस्सा आ गया और कहने लगा ए पागल तुझे पूछ रहा हूं मैं अपने बेटे के लिए कौन सी दुकान खोलू समझ में नहीं आ रहा है क्या तुझे मुझे पहचान नहीं रहा है क्या मैं कितना बड़ा सेट हूं संता ने जवाब नहीं दिया फिर उसने कहा अरे पागल मैं तुझसे पूछ रहा हूं कौन सी दुकान खोलने के लिए संत ने जवाब दिया जा बेटा अब प्याज की दुकान खोल वह भक्त चला गया और बेटे को प्याज की दुकान खोल कर दी कुछ समय के बाद दुकान में घाटा होना शुरू हो गया ऐसे करते करते 2 साल बीत गए 2 सालों में आमदनी ₹1 भी नहीं हुई उल्टा जो कमाया था सब निकल गया घर मकान भी गिरवी रख दिया वह फिर पहुंचा सत्संग में और संत से कहा आपने पहले कहा था बाबा जी की आलू की दुकान खोलो तो मैंने खोली तो मैं करोड़पति बन गया आपसे मैंने पूछा बेटे के लिए दुकान कोन सी खोलू तो मुझे आपने कहा प्याज की खोलो पर इस बार बहुत नुकसान हुआ ऐसा क्यों हुआ संत ने कहा बेटा जब तू पहली बार आया था तब तुम कैसे बात करते थे और तुम्हारे पास उस समय क्या था कुछ नहीं था पर फिर भी तुम एक सच्चे भक्तों की तरह आते थे और बात करते थे पर जब तुम्हारे पास पैसा आया तो तुम्हारा रहन-सहन बात करना सब बदल गया सत्संग में आना भी बंद कर दिया और जब तुम दोबारा आए अपने बेटे के लिए दुकान कौन खोलो या पूछने के लिए तब तुमने क्या कहा था मुझे ए पागल तो एक पागल की बात तुमने मानकर दुकान खोली तो अब भुगतना तुम्हें पड़ेगा पागल कभी सही सलाह देता है क्या भक्त समझ गया और संत के पांव पर गिर पड़ा और कहा बाबा मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है मुझे माफ कर दो संत ने कहा बेटा उठो पैसा हाथ कि मैल है आएगा जाएगा आज तुम्हारे पास है तो कल किसी और के पास रहेगा लेकिन जो सच्ची सत्संग की कमाई है उसे कोई नहीं ले सकता है कोई छीन नहीं सकता है वह हमेशा तुम्हारे काम आएगी इस लोक में और परलोक में भी कभी भी घमंड मत करना सच्चा सत्संगी वही है जो संत की बातों पर अमल करें और चले तभी जीवन का उद्धार होगा
साईं जी ने अपने अमृतवाणी से भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे
राम आया है श्याम आया है गायों का गोपाल आया है
प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहे हैं करते तुम हो कन्हैया नाम मेरा हो रहा है
दिल जी दुआ अजाई न वैनी
राधे-राधे जपना तो होगा निहाल कभी न कभी मिलेंगे गोपाल
ऐसे अन्य भक्ति भरे भजन गाए सत्संग के आखिर में आरती की गई अरदास की गई विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की गई प्रसाद वितरण किया गया इस अवसर पर पूज्य सिंधी पंचायत बिरादरी के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों के द्वारा साई जी का सत्कार व सम्मान किया गया।
आज के इस आयोजन को सफल बनाने में कुंदन डोडवानी पूज्य सिंधी पंचायत बिरादरी के अध्यक्ष उमेश भावनानी सुरेश सीदारा, जवाहर सचदेव, राकेश चौधरी नानकराम मखीजा नानकराम खाटूजा दीपक डोडवानी विनोद मेघानी जगदीश संतानी मनोहर लाल आडवाणी, प्रहलाद गिड़वानी ,मुरली तोलानी, फैरू आडवाणी, आदि अन्य सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।
श्री विजय दुसेजा जी की खबर