परिवार में खुशहाली का आधार पवित्र भोजन - बी.के. स्वाति दीदी

परिवार में खुशहाली का आधार पवित्र भोजन - बी.के. स्वाति दीदी

परिवार में खुशहाली का आधार पवित्र भोजन - बी.के. स्वाति दीदी

परिवार में खुशहाली का आधार पवित्र भोजन - बी.के. स्वाति दीदी

बिलासपुर, 04 अगस्त 2022। प्रकृति का नियम है हम जो सोचते हैं वह हमारे जीवन में होने लगता है। यदि हम समस्याओं के बारे में ज्यादा सोचते हैं तो हमारे पास समस्याएं हमेशा बनी रहेगी और यदि हम अपने को भाग्यवान समझेंगे तो हमारा सोया हुआ भाग्य भी उदय हो जाएगा। जिस प्रकार अंधकार का कोई अस्तित्व नहीं होता, प्रकाश की कमी अंधकार उत्पन्न कर देता है उसी प्रकार हमारे जीवन में ज्ञान, पवित्रता, शक्ति, सुख, की कमी है तो दुख, चिंता, परेशानी लेकर आती है। स्मृति रूपी स्विच दबाने से जीवन में दिव्य गुणों का प्रकाश आने लगता है।
उपयुक्त वक्तव्य राजयोग भवन में आयोजित सात दिवसीय राजयोग शिविर के दूसरे दिन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थानीय शाखा टेलिफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन संचालिका बी के स्वाति दीदी ने कहा। दीदी ने आगे बताया कि हम अपने मन को शांत रखने के लिए, अपनी खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार होते हैं फिर भी हम छोटी-छोटी परिस्थितियों में विचलित हो जाते हैं। आत्मा की शक्ति को कमजोर कर देते हैं और सोच लेते हैं हम से तो नहीं होगा। ऐसे कमजोर विचार देकर खुद को कमजोर कर देते हैं। हमें सिर्फ शुद्ध संकल्प ही करना है। भोजन में भी पवित्र वाइब्रेशन देकर आत्मा की शक्ति को बढ़ा सकते हैं। हम जो प्रसाद बनाते हैं उसके स्वाद में और सामान्य भोजन के स्वाद में बहुत अंतर होता है। बनाने वाले भी वही होते हैं फिर भी हमारी भावना में अंतर होने के कारण उसके स्वाद में भी अंतर होता है। जब हम प्रसाद ग्रहण करते हैं उसके पवित्र वाइब्रेशन होते हैं, इसलिए उसे खाने के बाद शक्ति का अनुभव होता है। हम जो भोजन बनाते हैं उसके वाइब्रेशन का उस भोजन पर बहुत असर पड़ता है। अगर वह दुख, परेशानी अशांत मन से बनाया जाता है तो वह सारा वाइब्रेशन भोजन में जाएगा। इसलिए भोजन बनाने वाले को खुशी से, परमात्मा की याद में, उनसे शक्तियां लेकर भोजन बनाना चाहिए। ताकि उस भोजन में सिर्फ पवित्र वाइब्रेशन जाए। ईश्वर की याद में बना भोजन स्वीकार करने से पूरे घर का वातावरण खुशहाल हो जाता है। अनेक पुरानी गलत आदतों से भी छुटकारा मिल जाता है। तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन बनाने के साथ भोजन करते समय भी भगवान को शुक्रिया करके उस भोजन को स्वीकार करना है। जब भी पानी पीते हैं तो उसे भी अच्छे संकल्प देकर ही ग्रहण करें क्योंकि हमारे शरीर में 70 से 75% पानी है। जब हम पानी पीने से पहले संकल्प करते हैं कि जल अमृत है, जिससे मेरे शरीर की सभी बीमारियां समाप्त हो जाएंगी, मुझे जीवन में सफलता की प्राप्ति होगी, मैं दिव्य गुणों से भरपूर हूं, मैं बहुत सुखी हूं तो धीरे-धीरे वही गुण हमारे अंदर आने लगते हैं। हमारे सामने कोई भी परिस्थिति आए तो यदि उसे परिवर्तन कर सकते हैं तो उसे परिवर्तन कर ले, या उसे स्वीकार कर ले। जिससे जीवन खुशनुमा बन जाएगा। कोई भी कार्य खुशी के लिए करेंगे तो जरूरी नहीं कि अंत में परिणाम खुशी मिले पर खुशी से करेंगे तो कार्य के अंत में निश्चित खुश रहेंगे। अंत में सभी को एरोबिक्स एवं मेडिटेशन का अभ्यास कराया गया।

ईश्वरीय सेवा में, 
देवी बहन, 
बीके स्वाति 
राजयोग भवन, बिलासपुर

Ads Atas Artikel

Ads Atas Artikel 1

Ads Center 2

Ads Center 3