प्रकृति के प्रति धन्यवाद का पर्व है गोगड़ा,, सिंधी समाज ने हर्षो उल्लास के साथ मनाया

प्रकृति के प्रति धन्यवाद का पर्व है गोगड़ा,, सिंधी समाज ने हर्षो उल्लास के साथ मनाया

प्रकृति के प्रति धन्यवाद का पर्व है गोगड़ा,, सिंधी समाज ने हर्षो उल्लास के साथ मनाया

प्रकृति के प्रति धन्यवाद का पर्व है गोगड़ा,, सिंधी समाज ने हर्षो उल्लास के साथ मनाया

 सिंधु सभ्यता के अनुसार प्रकृति द्वारा प्रदत्त कोई भी वस्तु अकारण नहीं है हर फूल पत्ती पानी हवा जलचर नभचर का अपना अपना महत्व है - इन्हीं मान्यताओं के अनुसार सम्पूर्ण भारत भर में हिंदू समाज द्वारा मनाए जाने वाले नागपंचमी पर्व को सिंधी समाज में गोगड़ा के नाम से पारंपरिक रूप से मनाया जाता है -
        
 इस दिन सिंधी समाज की ग्रहणियां पवित्र व स्वच्छ मन से चूल्हे को साफ सुथरा धो पोंछ कर मीठी व नमकीन मोटी रोटियां बनाती हैं जिसे लोलो कहते है यह रोटियां कई दिन खराब नही होती - समाज के बुजुर्ग अपने समय में रेल आदि में यात्रा पर जाते समय इन रोटियों को अचार के साथ बांध कर रखे रहते और आवश्यकता पड़ने पर क्षुधा शांति करते - इन मोटी रोटियों के साथ साथ दही बड़ा , मट्ठा , करेले आलु की सूखी सब्जी आदि बनाएं जाते हैं - जिसे दूसरे दिन ठंडे भोजन के रुप में खाया जाता है - सिंधी समाज की वरिष्ठ समाज सेवी रेखा आहूजा ने बताया की सिंधी सभ्यता के अनुसार नागदेवता को खेत का रक्षक माना गया है जो खेत के लिए हानिकारक तत्वों जीव जंतुओं चूहों आदी का भक्षण कर कृषि को हरा भरा रखता है - गोगडा पर्व के लिए बड़े मनोयोग से लोलो आदि व्यंजन बना राही गृहणी रोमा जेठमलानी ने बताया कि कल सुबह पूरे परिवार की महिलाए इस व्यंजन का कुछ हिस्सा ले जाकर नदी तालाब पोखर में अर्पित कर देंगी जो दरिया में रहने वाले जलचरो का भोजन बनेगा तत्पश्चात पीपल के पेड़ पर कच्चे दुध , कुमकुम गाय का गोबर व प्रसाद का कुछ हिस्सा रख पूजन कर - शिव लिंग पर जल अर्पण कर घर समाज विश्व के कल्याण, शान्ति समृद्धि की कामना कर प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रेषित की जाएगी - इस प्रकार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व है गोगड़ा।


श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

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