बुजुर्गों को दवाई से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है - बीके स्वाति दीदी

बुजुर्गों को दवाई से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है - बीके स्वाति दीदी

बुजुर्गों को दवाई से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है - बीके स्वाति दीदी

बुजुर्गों को दवाई से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है - बीके स्वाति दीदी

21 अगस्त 2022, बिलासपुर। बुजुर्ग किसी भी परिवार की गहरी जड़ होते हैं। जिस पर पूरा परिवार टिका हुआ होता है। जिस तरह किसी पेड़ को मजबूत होने के लिए उसका जमीन में गहरी जड़ का होना जरूरी है या जिस प्रकार किसी बिल्डिंग को ऊंचाई में पहुंचाने के लिए गहरी नींव का होना जरूरी है, उसी तरह परिवार को फलने-फूलने व एक साथ रहने के लिए बुजुर्गों की जरूरत होती है। बुजुर्ग ही हैं जो परिवार को एक साथ धागे में पिरोए रखते हैं। अगर हमारी जड़ें मजबूत होंगी तो बड़ी से बड़ी परेशानी से हम लड़ सकते हैं। 
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय शाखा टेलिफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन की संचालिका बीके स्वाति दीदी ने वर्ल्ड सीनियर सिटीजन डे के उपलक्ष्य में कहा। दीदी ने आगे कहा कि बुजुर्ग अपने अनुभवों के आधार पर परिवार के हर सदस्य को सही और गलत का फर्क बताते हैं। अपने अनुभवों से जिंदगी जीने की नई सीख देते हैं। हमारे भारत देश की संस्कृति हमें यह सिखाती है कि हमें सदा अपने बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए और इसीलिए आज भी अपने बुजुर्गों से बिना पूछे कोई भी कार्य नहीं किया जाता। बुजुर्गों को दवाई से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है।
वह बस यही चाहते हैं कि उनको सम्मान मिले, उनको कोई महत्व मिले जिसके वे हकदार हैं। परिवार के बुजुर्गों को हमें प्रतिदिन अपना समय जरूर देना चाहिये। 1 दिन कोई बुजुर्गों का सम्मान नहीं करना है लेकिन हमें हमेशा उनका सम्मान करना है। उनके प्रति हमारी कुछ जिम्मेदारियां होती हैं, जैसे कि घर में उन्हें हमेशा सम्मान दें। उनकी बातों को सुने और घर के हर फैसले में उनकी सलाह जरूर लें। उन्हें बोझ न समझ कर घर से ना निकाले बल्कि अपनी जिम्मेदारी समझें। किसी कारण से अगर उनसे दूर है तब भी उनसे समय-समय पर बात करें और उनसे मिलने जाए उन्हें अकेलापन महसूस ना होने दें।
दीदी ने कहा कि बुढ़ापा जीवन का एक अभिन्न अंग है और कोई भी इससे बच नहीं सकता है। बुजुर्ग हमें जीवन की हर कठिन यात्रा में सफलता पूर्वक मार्गदर्शन करते हैं। ये अनुभवों की खान होते है । जैसे-जैसे वह बूढ़े होते जाते हैं उनका शरीर कमजोर होता जाता हैं। उन्हें अपने कामों को पूरा करने के लिए दूसरों की मदद की जरूरत होती है, इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी देखभाल करें क्योंकि वह हमारे जीवन का मूल है। वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने हमारा पालन-पोषण एक फूल की तरह किया है। हमें इस सच्चाई को कभी नहीं भूलना चाहिए कि इनकी वजह से ही हम अपने जीवन का आनंद ले रहे हैं। अब हमारी बारी है हम उन्हें एक बच्चे की तरह प्यार करें और उनका ध्यान रखें। वे एकमात्र व्यक्ति है जो हमें सफलता मिलने पर खुशी महसूस करते हैं।
विशेष आयोजन - विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के उपलक्ष्य में राजयोग भवन सेवाकेन्द्र में सेवाकेन्द्र आने वाले वरिष्ठ माताओं का तिलक, माला मुकुट एवं फूल देकर सम्मान किया गया। बहनों के द्वारा बुड्ढा मिल गया में डांस किया गया। सभी विरिष्ठ माताओं ने गीत, कविता नृत्य के साथ कुर्सी दौड़ भी किया।

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