ये कारागृह नहीं तपस्या स्थली है - बीके स्वाति दीदी

ये कारागृह नहीं तपस्या स्थली है - बीके स्वाति दीदी

ये कारागृह नहीं तपस्या स्थली है - बीके स्वाति दीदी

ये कारागृह नहीं तपस्या स्थली है - बीके स्वाति दीदी

12 अगस्त 2022,बिलासपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय शाखा राजयोग भवन द्वारा केंद्रीय जेल में आयोजित कार्यक्रम में सेवाकेन्द्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा कि यह स्थान आपका कारागृह नहीं लेकिन तपस्या का स्थान है। हम अपनी आजादी के अमृत महोत्सव के साथ-साथ महर्षि अरविंदो की 150वीं जयंती भी मना रहे है। महर्षि अरविंदो ने भी जो एक क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित थे, परंतु जेल की सजा के बाद जेल में ही अरविंदो का जीवन पूरी तरह बदल गया। महर्षि अरविंद पहले क्रांतिकारी नेता थे। लेकिन बाद में वे अध्यात्म की ओर मुड़ गए। जेल की कोठरी में ज्यादा से ज्यादा समय साधना और तप में लगाने लगे। 
इसी प्रकार आप भी यहां पर रहते हुए अपनी अंतरात्मा को जान सकते हैं। अपने आंतरिक विशेषताओं और गुणों को जान उनका विकास कर सकते हैं। जो हो गया उन्ही बातों को याद कर दुखी नहीं होना है बल्कि अपने वर्तमान को श्रेष्ठ बनाना है। कोई भी व्यक्ति इतना अमीर नहीं है कि वह अपने भूत को खरीद सके और ना ही इतना गरीब है कि जो अपने भविष्य को ना बना सके। लेकिन इसके लिए आवश्यक है अपने वर्तमान में जीने की। जो हो गया उन्हीं बातों को याद कर हम अपने वर्तमान को खराब ना करें। आज मनुष्य जीवन की यह वृत्ति बन चुकी है कि वह अपनी खुशियों को भी टालता जाता है, कि शायद कल मुझे खुशी मिलेगी। 
खुशी के लिए कार्य किया जाए तो आवश्यक नहीं कि खुशी मिलेगी लेकिन खुशी से अगर कोई कार्य किया जाता है तो यह अवश्य है कि उसे खुशी जरूर मिलेगी। इसलिए अपने जीवन का लक्ष्य बनाना है कि चाहे कुछ भी हो जाए परन्तु हमें सदा खुश रहना है। साथ ही दीदी ने विचारों की विशेषता बताते हुए बताया कि हमारा मन एक अलादीन के जिन्न समान है। हम उसे जो आदेश देते हैं वह उसे "जो हुकुम मेरे आका" कर मान लेता है। इसलिए हमें प्रतिदिन अपने मन को श्रेष्ठ और शक्तिशाली विचार देना है। 
बीके संतोषी दीदी ने भी बताया कि हम सुबह उठते ही अपने मन को जैसे विचार देते हैं उसी अनुसार पूरा दिन हमारा जाता है। तो सुबह उठकर हमें अपने आप को कम से कम पांच शक्तिशाली विचार देना है - कि मैं एक शक्तिशाली आत्मा हूं, मैं भगवान की छत्रछाया के अंदर हूं, मैं संपूर्ण स्वस्थ हूं, मैं मेरे साथ सब कुछ अच्छा हो रहा है, मेरा परिवार बहुत सुखी है... इस प्रकार से प्रतिदिन हमें अपने मन को अच्छे विचार देना है। 
रॉयल लायन्स क्लब के अध्यक्ष कमल छाबड़ा भाई ने बताया कि किसी भी परिस्थिति वश आप यहां हैं परंतु अपने कार्य और व्यवहार से आप हर एक को इतना सुख और खुशी दीजिए कि स्वतः ही आपकी यह सजाए आप को सजा नहीं लेकिन आपके लिए यह एक अवसर बन जाए, और आपका जीवन और आपका भविष्य बहुत उज्जवल हो।
कार्यक्रम के अंत में ब्रम्हाकुमारी बहनों ने जेलर सहित सभी जेल अधिकारियों को रक्षासूत्र बांधते हुए सौगात एवं मिठाई भी दी। कार्यक्रम में 200 से अधिक कैदी भाई उपस्थित थे।


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