मेहनत करना काम करना आसान है पर भगवान का नाम जपना सिमरन करना मुश्किल है,,, सनी भाई साहब
धन गुरु नानक दरबार डेरा संत बाबा थाहिरीया सिंह साहिब जी जरहाभाटा सिंधी कॉलोनी स्थित दरबार में तीन दिवसीय महान किरतन दरबार सजाया गया है
दिनांक 7 अगस्त को दूसरे दिन नौसारी से भाई साहब सन्नी मूलचंदानी के द्वारा शब्द कीर्तन किया गया इस अवसर पर उन्होंने गुरु अंगद दास गुरु रामदास की सत्य कथा बताएं वह बाबा कबीर दास की भी कथा सुनाई
बनारस में बाबा कबीर दास रहते थे एक झोपड़ी में दीन दुखियों की सेवा करते थे प्रभु का नाम जपना सिमरन करना उनकी दिन चर्चा में था एक कोढ़ी के पूरे शरीर में कोढ फैल चुका था बहुत तकलीफ में था किसी ने बताया कि बाबा कबीरदास के पास जाओ तुम्हारा कोढ दूर हो जाएगा वह कोढी पता करते करते बाबा कबीर दास की झोपड़ी में पहुंचा वह आवाज लगाई बाबा कुछ समय बाद जब कोई नहीं आया तो फिर आवाज लगाई बाबा तब अंदर से माता साहब निकली उन्होंने पूछा क्या बात है उस कोढी ने कहा मुझे कोढ़ है बहुत पीड़ा है मुझे बाबा से मिलना है माता साहब ने कहा वह तो अभी किसी के यहां गए हैं आप बैठिए आ जाएंगे 10 मिनट में थोड़ी देर गुजरने के बाद वह फिर बोला मुझे बहुत तकलीफ हो रही है जल्दी बाबा को बुलाओ बात करनी है माता साहब ने पूछा क्या बात करनी है मुझे बताओ तब कोढी ने कहा कि मुझे पूरा कोढ़ है बाबा आएंगे तो रहमत की वर्षा करेंगे और दूर हो जाएगा माता साहब ने कहा बस इतनी सी बात है इसके लिए बाबा कबीर दास को क्यों तकलीफ देते हो मैं ही तुम्हारा कोढ़ दूर कर देती हूं वह अंदर गई एक लोटा जल लेकर आई हाथ में जल लिया और कोढी के ऊपर छिड़क दिया कहा बोलो हे राम दोबारा फिर हाथ में जल लिया और फिर कोढी के ऊपर छिड़क दिया और कहा बोलो है राम तीसरी बार फिर हाथ में जल लिया और कोढी के ऊपर छिड़क दिया और कहा बोलो है राम तीन बार हे राम हे राम कहा माता ने अंत में पूरा लोटा ही जल उनके ऊपर डाल दिया उस कोढी का पूरा कोढ़ मिट गया व सुंदर शरीर काया बन गई पहले जैसे खूबसूरत बन गया और माता साहब बाबा कबीर की जय बोलते हुए वहां से आगे बढ़ता गया अपने घर की तरफ रास्ते में बाबा कबीर दास घर जा रहे थे तब उन्होंने सुना कि यह मेरी जय जयकार कर रहा है तो उसने रोका भाई तुम बाबा कबीर दास की जय जयकार कर रहे हो क्या उन्हें पहचानते हो उस कोढी ने कहा मैं तो आज तक उन्हें देखा भी नहीं है पहचानता भी नहीं हूं फिर उसकी जय जयकार क्यों कर रहे हो उस कोढ़ी ने बताया कि जब घर गया था और ऐसी बात थी तो उनकी पत्नी ने सारे कोढ को दूर कर दिया सारी बात सुनने के बाद बाबा कबीर ने कहा अच्छी बात , है तुम जाओ बाबा कबीर घर पहुंचे और उसकी पत्नी ने देखा बात करनी चाही तो वह कबीर चुप थे कुछ नहीं बोल रहे थे तो पत्नी ने दोबारा कहा है नाथ क्या मुझसे कोई भूल हुई है कुछ गलती हुई है जो आप इतने शांत है बात नहीं कर रहे हैं तब कबीर दास ने कहा तुमने भगवान राम के नाम को इतना सस्ता कर दिया है इस बात की मुझे तकलीफ है और तुमने उस कोढ़ी का कोढ़ कैसे दूर किया तब माता साहब ने बताया कि मैंने तीन बार उसके शरीर पर जल छिड़का और तीन बार भगवान राम का नाम लेने को कहा तब कबीर दास ने कहा तीन बार भगवान का नाम लेने के लिए तुमने क्यों कहा माता साहब ने बताया पहली बार जब उसने भगवान राम का नाम लिया तो उसके पुराने जो पाप थे वह सब धुल गए दूसरी बार जब उसने भगवान राम का नाम लिया जो इस जन्म में पाप किए हैं वह उसके धूल गए और जब तीसरी बार भगवान राम का नाम लिया तो इसलिए ताकि अब वह भगवान राम नाम की शक्ति को जाने और भक्ति में डूबा रहे
कबीर दास यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और कहा मुझे बहुत क्रोध था तुम्हारे ऊपर लेकिन तुमने राम नाम की जो महिमा बताई वह मुझे सुनकर बहुत आनंद हुआ मैंने तुम्हें माफ किया।
इसी तरह भाई सनी मूलचंदानी जी ने दूसरी कथा सुनाई जिसमें एक गांव में एक व्यक्ति हमेशा गुरुद्वारे में रहता था और सेवा करता था और गुरु का नाम जपता था कुछ आने जाने वालों ने कहा कि सारा दिन गुरुद्वारे में बैठा रहता है मुफ्त का लंगर खाता है और गुरु का नाम जपते रहता है और खा खा के मोटा हो गया है यह बात जब गुरु को पता चली तो उसने बाहर काम करने वाले चार मजदूरों को बुलाया और कहा तुम लोग एक दिन में कितने घंटे काम करते हो और कितने मजदूरी मिलती है उन्होंने कहा हम 8 घंटे काम करते हैं और 4 आना मिलता है उस गुरु ने कहा कल से तुम यहां आ जाना तुम्हे काम करने की जरूरत नहीं है और तुम्हें 8 घंटा से बैठकर माला अपनी है गुरु का नाम लेना है भगवान का सिमरन करना है उसके बदले में तुम लोगो को आठना मिलेगा दूसरे दिन चारों मजदूर आ गए सबको एक कोने में बैठा दिया माला देकर और कहा माला घुमाते रहो और प्रभु का भगवान का नाम जपते रहो गुरु चले गए भगवान की भक्ति करने अंदर जब वापस आए तो देखा चारों मजदूर गायब थे गुरु ने भक्तों से पूछा कहां गए चारों मजदूर भक्त ने कहा कोई आधा घंटा का कोई एक घंटा बैठा था और और सब चले गए दूसरे दिन गुरु ने फिर से चारों को मजदूरों को बुलवाया और कहा मैंने
तुम्हें कुछ काम नहीं करवाया बैठकर ही भगवान का नाम जपने के लिए कहा था और बदले मैं डबल पैसे दे रहा था फिर भी तुम चले गए क्यों मजदूरों ने कहा गुरुजी मेहनत करना काम करना आसान है पर एक जगह बैठकर भगवान का नाम जपना सिमरन करना मुश्किल है दोनों कथाओं से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर कोई सच्चे मन से प्रभु का नाम जपे सिमरन करें तो भगवान उसके सारे दुख दर्द हर देते हैं और रामायण में भी लिखा है राम से बड़ा राम का नाम जीते जी भी राम मरने के बाद भी राम का नाम अगर आप जीते जी भगवान का नाम लोगे सिमरन करोगे तो आपको मरने से डर नहीं लगेगा और आपका लोक और परलोक दोनों सवार जाएगा कार्यक्रम के आखिर में अरदास की गई प्रसाद वितरण किया गया गुरु का अटूट लंगर बरताया गया।
इस आयोजन को सफल बनाने में दरबार साहब के प्रमुख प्रबंधक भाई साहब मूलचंद नारवानी सेवादार डॉ हेमंत कलवानी पूर्व पार्षद सुरेश वाधवानी प्रकाश जगियासी विजय दुसेजा गोविंद दुसेजा जगदीश जगियासी विकी नागवानी राजू धामेचा भोजराज नारा रमेश भगवानी मोनू लालचंदानी नरेश मेहर चंदानी गंगाराम सुखीजा जगदीश सुखीजा राजेश माधवानी चंदू मोटवानी विष्णु धनवानी भोजराज नरवानी मेघराज नारा अनिता नारवानी पलक हरजपल राखी वर्षा सुखीजा कंचन रोहरा अन्य सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।
श्री विजय दुसेजा जी की खबर