गायत्री शक्तिपीठ की पहल:108 बाल संस्कार शाला में 3240 बच्चों को मुफ्त में देंगे नैतिक शिक्षा

गायत्री शक्तिपीठ की पहल:108 बाल संस्कार शाला में 3240 बच्चों को मुफ्त में देंगे नैतिक शिक्षा

गायत्री शक्तिपीठ की पहल:108 बाल संस्कार शाला में 3240 बच्चों को मुफ्त में देंगे नैतिक शिक्षा

गायत्री शक्तिपीठ की पहल:108 बाल संस्कार शाला में 3240 बच्चों को मुफ्त में देंगे नैतिक शिक्षा

आधुनिकता के युग में सही राह दिखाकर 8 से 14 साल तक के बच्चों को संस्कारवान बनाने गायत्री शक्तिपीठ निशुल्क सकारात्मक पहल कर रही है। अब तक 10 साल में 5 हजार 200 बच्चों को शिक्षा दे चुके हैं। यह गायत्री परिवार की ओर से न्यूनतम आंकड़ा है। इस साल जिले के 5 ब्लॉक में 108 बाल संस्कार शाला के माध्यम से 3240 बच्चों को नैतिक व संस्कार की शिक्षा देने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में 60 स्थानों में शाला का शुभारंभ होने के बाद 1800 बच्चे पहुंच रहे है। प्रत्येक शाला में पंजीयन के माध्यम से चयनित 30 से 40 बच्चे आ रहे हैं।

हर रविवार नैतिक, संस्कार की शिक्षा देकर योगाभ्यास करवा रहे हैं। 2 घंटे की क्लास में प्रार्थना, गुरुवंदना, योगा, खेलकूद, कहानी सहित अन्य गतिविधि कराने की जिम्मेदारी आचार्यों यानी शिक्षकों को दी गई है। जिला समन्वयक विशाल सिंह अठनागर ने बताया कि इस साल 5 ब्लॉक में अगस्त तक 108 बाल संस्कार शाला संचालित करने का लक्ष्य है। जिसमें 60 शुरू हो चुके है। पिछले 10 साल में 5 हजार से ज्यादा बच्चों को संस्कार व नैतिक की शिक्षा दे चुके हैं।

शहर के बाल मंदिर में भी बाल संस्कार शाला शुरू

शांतिकुंज हरिद्वार अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में रविवार को शहर के बाल मंदिर स्कूल में बाल संस्कार शाला का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन के साथ मुख्य अतिथि पूर्व व्याख्याता राजश्री पटेल ने किया। 43 बालक-बालिका शामिल हुए। गांधी भवन में हर रविवार को बाल संस्कार चलेगी। अगले रविवार को शिक्षक मनोरमा श्रीवास्तव के प्रागंण में शाला का शुभारंभ होगा। वर्तमान परिवेश में आदर्श परिवार निर्माण के लिए बच्चों मे संस्कार का होना आवश्यक है।

हर रविवार को यहां कराई जाती है यह गतिविधियां

चिखलाकसा के आचार्य वीणा साहू, सावित्री सोनी ने बताया कि सुबह सबसे पहले प्रार्थना, हाजिरी होती है। जिसके बाद गुरुवंदना, मंत्रोच्चार, योगाभ्यास, मनोरंजन के लिए खेलकूद करवाते हैं। योगा के बाद प्रेरक कहानी के माध्यम से नैतिक व संस्कार की शिक्षा देते है। प्रत्येक बच्चे से पूछते है कि कहानी से आपको क्या सीख मिली। यह जानकारी देते हैं कि हर सुबह सोकर उठने के बाद हस्तरेखा हथेली को देखकर ईश्वर, माता-पिता, धरती को प्रणाम करना है। हर गतिविधि को 10-15 मिनट में कराना है।

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