विघ्न विनाशक बनने के लिए श्री गणेश के जीवन से सीख लेने की जरूरत - बीके स्वाति दीदी
06 सितम्बर 2022,बिलासपुर।श्री गणेश की तरह जीवन को विघ्नविनाशक और महान बनाने के लिए उनके जीवन से सीख लेने की आवश्यकता है। उनका व्यक्तित्व अनेक रहस्यों को समेटे हुए है। हम वर्षों से उनकी पूजा करते आए हैं किंतु फिर भी जीवन में बुराइयां व्याप्त है। जब उनके गुणों और विशेषताओं को धारण करेंगे तब हमारा जीवन भी उनके सामान मंगलकारी बन जाएगा। श्री गणेश जी को सफलता का दूत माना जाता है। लोग बड़ी श्रद्धा से उनकी स्थापना कर पूजा करते हैं।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन सेवाकेंद्र की संचालिका बीके स्वाति दीदी ने श्री गणेश उत्सव का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा। उन्होंने आगे कहा कि सृष्टि के इतिहास में ऐसा भी समय आता है जब हम मनुष्य आत्माएं देह अभिमान में आकर परमात्मा द्वारा दी जा रही शिक्षाओं का विरोध करने लग जाते हैं। तब वह हमारे देह अभिमान रूपी अहंकार को खत्म कर एक नई दिव्य और श्रेष्ठ बुद्धि हम सबको देते हैं। जब हम ज्ञान युक्त और श्रेष्ठ बुद्धि द्वारा कार्य करते हैं तो हमारा हर एक कर्म श्रेष्ठ हो जाता है, इसलिए गणेश जी को बुद्धि का देवता कहा जाता है। उनका भव्य मस्तक बुद्धिमत्ता का सूचक है। उनकी घुमावदार सूंड से शिक्षा मिलती है कि जीवन में परिस्थितियों के अनुसार हमें भी लचीला और मजबूत बनना है। उनको एक दंत भी कहा जाता है यह शिक्षा देता है कि हम सभी को एक समान समझे। किसी से भेदभाव ना करें। गणेश जी का बड़ा पेट समाने की शक्ति का प्रतीक है। कोई व्यक्ति जब किसी बात को अपने अंदर नहीं समा पाता तो कहने में आता है कि इसके पेट में तो कोई बात पचती ही नहीं है। जब हम अपने जीवन में समाने की शक्ति को धारण करते हैं तो अनेक प्रकार के मनमुटाव और रिश्तो में कड़वाहट से बच जाते हैं।
दीदी ने आगे कहा कि गणेश के कान सूपे जैसे होते हैं जो हमें शिक्षा देते हैं कि सूपे की तरह अच्छाइयों को धारण करना है और बुराइयों को निकाल फेंकना है। उनके एक हाथ में कुल्हाड़ी दिखाते हैं ताकि उनके सामान अपने जीवन में नेगेटिविटी को काट कर फेंक सकें। एक अन्य हाथ में कमल का फूल और रस्सी दिखाते हैं जिस तरह कमल का फूल कीचड़ में रहते हुए भी उससे अलग ऊपर उठा हुआ रहता है उसी तरह हमें भी अपने जीवन को संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए कमल फूल की तरह न्यारा और प्यारा बनाना है। रस्सी उच्च व श्रेष्ठ ध्येय के समीप पहुंचाने वाली है। गणेश जी का छोटा मुख दिखाते हैं यह प्रतीक है कि अधिक सुनना है और बोलना कम। उनकी छोटी-छोटी आंखें एकाग्रता का प्रतीक है। मोदक प्रतीक है परिश्रम का फल मीठा होता है। मूषक की सवारी इच्छाओं पर नियंत्रण और संयम रखना सिखाती है।
दीदी ने कहा कि इस विघ्नहर्ता पर्व पर विघ्नविनाशक गणपति जी का आध्यात्मिक रहस्य को जानने और आज से अपने जीवन में एक दृढ़ संकल्प ले कि अपने मन वचन और कर्म द्वारा किसी के भी जीवन में विघ्न रूप नहीं बनेंगे। विघ्नहर्ता गणेश के समान औरों के छोटे-छोटे विघ्न दूर करने में सहायक बन हम भी विघ्नहर्ता बनेंगे। विघ्न विनाशक गणेश जी के दैवी गुण अपने जीवन में धारण करेंगे।