भगवान श्री झूलेलाल जी का अन्तरर्ध्यान दिवस श्री झूलेलाल मंदिर में मनाया गया वह छप्पन भोग लगाया गया

भगवान श्री झूलेलाल जी का अन्तरर्ध्यान दिवस श्री झूलेलाल मंदिर में मनाया गया वह छप्पन भोग लगाया गया

भगवान श्री झूलेलाल जी का अन्तरर्ध्यान दिवस श्री झूलेलाल मंदिर में मनाया गया वह छप्पन भोग लगाया गया

भगवान श्री झूलेलाल जी का अन्तरर्ध्यान दिवस श्री झूलेलाल मंदिर में मनाया गया वह छप्पन भोग लगाया गया

श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा में भगवान झूलेलाल जी का अनंत चतुर्थी चोड्स के दिन विक्रम संवत 1020 में भाद्र शुक्ल अनंत चतुदर्शी के दिन भगवान झूलेलाल जी ने इस पृथ्वी पर जो अवतार लिया था अपनी लीला समाप्त करके 13 साल 5 महीना 12 दिन वह इस पृथ्वी पर रहे उसके बाद वह घोड़े में सवार होकर एक खेत में तीर चलाया जिससे जमीन फटी और वह अंदर जाकर अंतरर्ध्यान हो गए।
भगवान झूलेलाल बहुत कम समय इस पृथ्वी पर रहे बाल रूप में रहे ओर जाते-जाते भी उन्होंने जिस कारण अवतार लिया था उसको बता कर गए उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया था मानवता के लिए अवतार लिया था बताया जाता है कि जब भगवान झूलेलाल अंतरध्यान हो गए और जिस स्थान पर हुए वहां पर विवाद हो रहा था कि जो वह जमीन थी वह एक मुसलमान की थी इसे भगवान झूलेलाल ने खरीदा था दो भाइयों का हिस्सा था जिसमें एक भाई ने बेच दिया ओर दूसरे भाई ने कहा मुझे पैसे नहीं चाहिए मुझे आपकी सेवा चाहिए और उसकी पत्नी ने कहा मुझे संतान चाहिए तो भगवान झूलेलाल ने कहा था मैं अंतर्ध्यान होने के बाद आप लोग सेवा करें और जितनी सेवा करेंगे कभी भी आप लोगों को धन दौलत व अनाज की जरूरत नहीं पड़ेगी वह आप लोगों को संतान सुख भी मिलेगा मुस्लिम लोग चाहते थे कि यहां पर दरगाह बने वह हिंदू चाहते थे कि मंदिर बने बहुत विवाद हुआ आखिर में भगवान झूलेलाल से प्रार्थना की गई की अब आप ही हमारा मार्गदर्शन करें अंत में उस स्थान पर जल और ज्योति के रूप में भगवान झूलेलाल का वास आज भी है एक तरफ और दूसरी तरफ वहां दरगाह बनी हुई है एक तरफ हिंदू लोग पूजा करते हैं तो दूसरी ओर मुसलमान पूजा करते हैं भगवान झूलेलाल का उद्देश्य ही यह था कि मानव धर्म ही सबसे बड़ा धर्म है और सभी लोग एक दूसरे से प्यार करें सम्मान करें आपसी भाईचारा प्रेम बनाकर रखें और शांति से खुशहाली से जिंदगी गुजारे वह जबरदस्ती किसी को भी अपने धर्म में शामिल ना करें एक दूसरे का सम्मान करें और एक नई मिसाल पेश करें भगवान झूलेलाल बहुत कम समय पृथ्वी पर रहे उन्होंने कम समय में भी कई लीला की और आज भी जल और ज्योति के रूप में विराजमान है पूरे विश्व भर में जहां जा जल और ज्योत की पूजा होगी वहां पर भगवान झूलेलाल का वास होगा।
आज का दिन बड़ा ही भाग्यशाली है वह खुश नसीब वाले हैं कि एक तरफ अनंत चतुर्दशी है दूसरी तरफ भगवान झूलेलाल का अंतरर्ध्यान दिवस है तीसरी और आज शुक्रवार है जो भगवान झूलेलाल के जन्म "हुआ था वह दिन है साई जी ने आई हुई साध संगत को बधाई दी इस अवसर पर भगवान झूलेलाल जी को छप्पन भोग लगाया गया महा आरती की गई बहराणा साहब की पूजा अर्चना की गई विधि विधान के साथ तालाब पर जाकर बहराणा सबको विसर्जन किया गया अखंड ज्योत को तराया गया अंत में अरदास की गई विश्व कल्याण के लिए पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आज के इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यो का विशेष सहयोग रहा।



श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

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