श्री जपजी साहिब जी का अखंड पाठ साहब 40 दिवसीय बाबा जसकीरत सिंह व संत लाल साई जी के सानिध्य में आरंभ हुआ
धन गुरु नानक दरबार डेरा संत बाबा थाहिरिया सिंग साहिब जी जरहाभाटा सिंधी कालोनी दरबार में इच्छापूर्ण श्री जपजी साहिब जी का 40 दिवसीय पाठ साहब 25 सितंबर दिन रविवार को कल्याण से बाबा जसकिरत सिंग जी वह श्री झूलेलाल नगर के सिंधु अमरधाम आश्रम के संत लाल साई जी के सानिध्य में आरंभ हुआ..
बाबा जसकीरत सिंह जी व लाल साई जी के दरबार साहब आगमन पर आतिशबाजी व फूलों की वर्षा के साथ भव्य स्वागत किया गया रात्रि 8:00 बजे से 10:00 बजे तक महान कीर्तन दरबार सजाया गया आदर्श कॉलोनी गुरुद्वारा से रवि भाई साहब जी द्वारा गुरुबाणी से व कल्याण से भाई साहब मनोहर लाल जी द्वारा सत्संग कीर्तन से साध संगत को निहाल किया इस शुभ अवसर पर संतलाल साईं जी ने अपनी अमृतवाणी फरमाया कि चालीहा की परंपरा झूलेलाल चालिहा से प्रारंभ हुई क्योंकि भगवान झूलेलाल जी का अवतरण 1072 साल पूर्व हुआ था और गुरु नानक देव जी का " 552 साल पूर्व हुआ है जालिहा क्यों मनाते हैं इसका महत्व क्या है इसके बारे में विस्तार से बताया चालिहा सांसों का दसवंत है गुरु नाम दान देते हैं तो कहते हैं कि 24 घंटों में से दो घंटा 30 में मिनट नाम सिमरन करना है उस हिसाब से साल में 36 दिन होते हैं संतो ने उसे बढ़ाकर 40 दिन किया 40 दिन भक्ति करने से सिमरन करने से चार फलों की प्राप्ति होती है धर्म अर्थ ओर काम मोक्ष चालिहा रखने से तन के साथ-साथ मन को भी शांति मिलती हैं सकून मिलता है आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक माध्यम है चालीहा बड़े भाग्यशाली हैं हम बिलासपुर वासी जो ऐसे महान दरबार की शाखा बिलासपुर में भी है जिसे हम लोग धन गुरु नानक दरबार के नाम से जानते हैं इस दरबार ने कोरना काल में जिस तरह मानव सेवा की वह आज भी प्रतिदिन दो टाइम लंगर की सेवा चलती है यह प्रेरणा बाबा जसकीरत साहब से मिली है धन्य है ऐसी दरबार ओर एसे सेवादारी जो इस पुनीत कार्य में अपना तन मन और धन लगा रहे हैं..
आप सभी साध संगत को इच्छा पूरक जपुजी पाठ साहब आरंभ होने की लख लख बधाइयां उल्हासनगर से बाबा जसकिरत सिंह जी ने भी अपनी अमृतवाणी में फरमाया की बड़े भाग्यशाली लोग होते हैं जिन्हें गुरु की सेवा करने का मौका मिलता है जिन्हें गुरु घर हाजरी लगाने का मौका मिलता है जिन्हें सत्संग सिमरन का लाभ मिलता है जपुजी इच्छा पूरक पाठ साहब पढ़ने से सारे दुखों का अंत होता है यह लोक और परलोक दोनों सवर जाते हैं।
आत्मा को परमात्मा से मिलाने का मार्ग है गुरु की प्यारी साध संगत आप सभी 40 दिनों तक गुरु घर आकर पाठ्य साहब पढ़ें सिमरन करें इस अवसर पर साईं जी ने बाबाजी का और बाबा जी ने साईं जी का स्वागत व सम्मान किया कार्यक्रम के आखिर में विश्व कल्याण के लिए अरदास की गई प्रसाद वितरण किया गया गुरु का अटूट लंगर बरताया गया बड़ी संख्या में भक्त जनों ने लंगर ग्रहण किया।
इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में दरबार साहब के प्रमुख प्रबंधक भाई साहब मूलचंद नरवानी जी सेवादार डॉ हेमंत कलवानी जी पूर्व पार्षद सुरेश वाधवानी जी नानक पंजवानी प्रकाश जगियासी विजय दुसेजा विकी नागवानी राजू धामेचा जगदीश सुखीजा राजेश माधवानी चंदू मोटवानी विष्णु धनवानी भोजराज नरवानी मेघराज नारा अनिता आडवाणी पलक हरपाल राखी वर्षा सुखीजा रमेश महेश चंदानी गंगाराम सुखीजा रमेश भगवानी सोनू लालचंदानी अधिक संख्या में सेवादार कार्यक्रम सफल बनाने में लगे हुए हैं।
श्री विजय दुसेजा जी की खबर