समाज ने श्रद्धेय स्वामी हंसदास जी और स्वामी स्वरूपदास जी का किया स्वागत-सत्कार
सन्त मोतीराम आश्रम, सतना में आयोजित विराट सन्त सम्मेलन में अखिल भारतीय सिन्धु संत समाज की आवश्यक बैठक महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम महाराज जी की गरिमामय उपस्थिति एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत स्वामी खिम्यादास जी की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
बैठक में राष्ट्रीय कमेटी का सर्वसम्मति से गठन किया गया। जिसमें रीवा नगर के "श्रद्धेय स्वामी हंसदास उदासी जी को राष्ट्रीय महामंत्री" और "स्वामी स्वरूपदास जी को प्रांतीय सलाहकार" मनोनीत किया गया।
केंद्र और राज्य के दो मुख्य पदों पर रीवा नगर के दो युवा संतो को चुने जाने पर पूरे रीवा शहर में खुशी के लहर दौड़ गयी।
हर्षित और गौरवान्वित रीवा समाज द्वारा संतो की सत्कार-समारोह का आयोजन किया। जिसमे पूज्य सिंधु सेंट्रल पंचायत के माननीय अध्यक्ष सरदार प्रह्लाद सिंह जी के साथ पंचायत के समस्त पदाधिकारियों ने ढोल-नगाड़ों, बैंड-बाजे, आतिशबाजी, पुष्पहार, शाल-श्रीफल से संतो का शानदार स्वागत किया।
इसके अलावा भारतीय सिंधु सभा, नगर विजयादशमी उत्सव समिति, स्वामी दयालदास सेवा मण्डल, सिंधु विकास परिषद, विश्व सिंधी सेवा संगम, रीवा व्यापारी संघ, अमृतवेला परिवार (रानी तालाव), अमृतवेला परिवार (कंवर नगर), जी.एन.ग्रुप, माँ शक्ति पंचांग परिवार, सिंधु पराग परिवार, पत्रकार और छायाकार बंधुओं के साथ अन्य सभी सामाजिक संस्थाओं, समाजसेवियों, सम्माननीय बुजुर्गो और युवा साथियों ने अत्यंत उत्साह के संतों का सम्मान किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ भागवताचार्य पण्डित गजेंद्र शास्त्री के सुमधुर भजनों के साथ हुआ।
सिंधु सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष सरदार प्रह्लाद सिंह जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि परम् वन्दनीय ब्रह्मलीन महंत स्वामी सन्तदास जी के कृपापात्र स्वामी हंसदास और स्वामी स्वरूपदास जी पिछले 25-30 वर्षों से सिर्फ भारतवर्ष ही नही,वरन विश्व के अनेक देशों में प्रवास कर सिंधु-संस्कृति और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रीवा नगर का नाम रोशन किया है।
और अब अखिल भारतीय सिंधु सन्त समाज के "राष्ट्रीय महामंत्री" और "प्रांतीय सलाहकार" पद पर आसीन होकर रीवा नगर के लिए महान उपलब्धि हासिल की है।
पूरा रीवा नगर इस गौरव को पाकर बहुत उत्साहित है।
गरिमामय कार्यक्रम में वरिष्ठ समाजसेवी दादा संतूलाल आहूजा, कन्हिया लाल मंगलानी, पूर्व महापौर वीरेंद्र गुप्ता, भारतीय सिन्धु सभा के प्रदेश मंत्री महेश ठारवानी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर स्वामी हंसदास जी ने बताया कि विराट सन्त सम्मेलन में आयोजित बैठकों में सिंधु-संस्कृति और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु योजनाएं बनाई गई। सिंधु ग्रन्थों पर अनुसन्धान हेतु शोध-पीठो और विशाल सिन्धु-तीर्थ निर्माण हेतु नर्मदा किनारे 500 एकड़ भूमि की मांग भारत-सरकार से की गई है।
स्वामी हंसदास और स्वामी स्वरूप दास जी द्वारा कवि पहलाजराम जी का अनमोल "पहलाज प्रेम-वाणी" ग्रन्थ रीवा पंचायत हेतु सरदार प्रह्लाद सिंह जी को भेट किया।
इसके अलावा सिंधु चिन्ह और उसके प्रतीक चिन्हों का विश्लेषण करता एक चित्र उपस्थित सभी माननीयो को प्रदान किया।
सम्मान-समारोह में सर्वश्री भागवताचार्य पण्डित गजेंद्र शास्त्री, संतूलाल आहूजा, सुदामालाल सचदेवा, चंदीराम केशवानी, वासुदेव कुलचंदानी, लद्दाराम ठारवानी, कन्हैयालाल मंगलानी, महेश ठारवानी, पप्पू मन्जानी, गिरधारीलाल गंगवानी, मनीष चांदवानी, वीरेंद्र गुप्ता, प्रकाश तारानी, कमलेश सचदेवा, अशोक तनवानी, लेख् राज मोटवानी, विजय थावानी, संजीव गोप लानी, दिलीप आसनानी, अमित डिगवानी, हरचाराम हिरवानी, अशोक रोहड़ा, मोतीराम केशवानी, मुकेश हिरवानी, हरीश वाधवानी, गुलाब साहनी, महेश हिरवानी, मुकेश ठारवानी, कपिल केशवानी, किशोर ठारवानी, सुमित रामचंदानी, राम नारवानी, राहुल टहिल्यानी आदि अनेक सम्माननीय बुजुर्ग और युवा साथी सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम का सफल संचालन राजकुमार टिलवानी ने किया।