साईं मसन्द 20 को श्रीधाम पहुंचकर ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती की समाधि पर चढ़ाएंगै पुष्प

साईं मसन्द 20 को श्रीधाम पहुंचकर ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती की समाधि पर चढ़ाएंगै पुष्प

साईं मसन्द 20 को श्रीधाम पहुंचकर ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती की समाधि पर चढ़ाएंगै पुष्प

साईं मसन्द 20 को श्रीधाम पहुंचकर ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती की समाधि पर चढ़ाएंगै पुष्प

15 को रीवा में साईं मसन्द भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के अभियान अन्तर्गत आयोजित संगोष्ठी में करेंगे व्याख्यान। 

16 को सतना में आयोजित अ.भा. सिन्धी संत समाज ट्रस्ट की कार्यकारिणी एवं 17 से 19 तक सम्मेलन में लेंगे भाग। 

रायपुर। मसन्द सेवाश्रम, रायपुर के पीठाधीश पूज्यपाद साईं जलकुमार मसन्द साहिब, जो पिछले 10 वर्षों से देश के पूज्यपाद शंकराचार्यों एवं अन्य महान संतों के सहयोग से भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का अभियान चला रहे हैं; 20 सितम्बर को सतना से नरसिंहपुर जिले के श्रीधाम स्थित परमहंसीगंगा आश्रम पहुंचकर 11 सितम्बर को ब्रह्मलीन हुए पूज्यपाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज जी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इससे पहले वे 15 को शाम 6 बजे सिन्धु भवन रीवा में भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के अभियान अन्तर्गत आयोजित संगोष्ठी में व्याख्यान करेंगे और 16 को सतना में आयोजित अ.भा. सिन्धी संत समाज ट्रस्ट की कार्यकारिणी एवं 17 से 19 तक उसके राष्ट्रीय सम्मेलन में भी भाग लेंगे।
          उल्लेखनीय है कि साईं मसन्द साहिब इसी महीने 2 से 5 सितम्बर तक परमहंसीगंगा आश्रम में उनके शिष्य प्रतिनिधि स्वामीश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज, जिन्हें अब ज्योतिर्मठ बद्रीधाम के लिए उनका उत्तराधिकारी शंकराचार्य बनाया गया है, के अतिथि रहे। उन्होंने वहां स्वामीश्रीः जी के साथ मंत्रणा कर भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के अभियान के आगामी कदमों की रूपरेखा निर्धारित की। उल्लेखनीय है कि ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने सन् 2013 में कवर्धा में अपने चातुर्मास के दौरान साईं मसन्द साहिब के साथ इस अभियान पर हुई मंत्रणा के बाद भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने की कार्य योजना के सफल क्रियान्वयन का दायित्व अपने इन्हीं योग्य शिष्य प्रतिनिधि स्वामीश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज को सौंपा था। 
          स्वामीश्रीः जी ने चातुर्मास के अवसर पर श्रीधाम में प्रतिदिन होने वाली धर्म सभा में 4 सितम्बर को वर्तमान प्रजातान्त्रिक प्रणाली के अंतर्गत ही भारत में हर युग में लागू रहे सनातन वैदिक सिद्धान्तों पर आधारित धर्म का शासन स्थापित करवाकर भारत को पुनः समूचे विश्व का कल्याण करने में समर्थ विश्वगुरु बनाने की कार्य योजना पर विस्तार से प्रकाश डालने हेतु साईं मसन्द साहिब का व्याख्यान करवाया। भारत में विभिन्न स्थानों पर इस अभियान के संदर्भ में होने वाले सम्मेलनों आदि में वितरण हेतु साईं मसन्द साहिब के इस व्याख्यान का एक फोल्डर भी प्रकाशित कराया गया है। 

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