समस्या या परिस्थितियां भी हमें कुछ ना कुछ शिक्षा जरूर देते हैं – बीके स्वाति दीदी
04 सितम्बर 2022, बिलासपुर। ज्ञान ही इंसान को जीने योग्य जीवन की सीख देता है। जिस प्रकार एक पक्की नींव ही सुदृढ़ भवन का निर्माण करती है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक भी विद्यार्थी रूपी नींव को सुदृढ़ करके उस पर भविष्य में सफलता रूपी भवन खड़ा करने में सहायता करता है। जैसे एक शिल्पकार पत्थर को सुंदर मूर्ति का आकार देता है उसी प्रकार एक शिक्षक भी विद्यार्थी के अवगुणों को निकाल कर काबिल बनाता है। एक शिक्षक ही है जो मनुष्य को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है। जीवन में सही और गलत को परखने का तरीका बताता है।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में आयोजित शिक्षकों का सम्मान कार्यक्रम में सेवाकेन्द्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा। दीदी ने आगे कहा कि शिक्षक वह जो दुनिया के सभी लोगों को शिक्षा देकर उन्हें काबिल और बेहतर इंसान बना दे। एक शिक्षक अपनी शिक्षा द्वारा डॉक्टर, इंजीनियर, प्रधान मंत्री भी बना सकता है पर ये सभी मिलकर भी एक शिक्षक नहीं बना सकते। वैसे तो हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक की यात्रा में हम कुछ ना कुछ सीखते ही रहते हैं, अर्थात हमारी आयु भल कितनी ना हो जाए परंतु हमारा जीवन एक विद्यार्थी जीवन ही रहता है। अब जीवन ही जब विद्यार्थी जीवन है और अनेक प्रकार की शिक्षाएं जब हमें रोज ही मिल ही रही है तो शिक्षक भी अनेक होने चाहिए। जैसे कहते भी हैं कि एक बच्चे के प्रथम गुरु उसकी मां और उसके पिता होते हैं। जो उसे चलना और उसे नित्य कर्म कर्म करना सिखाते हैं। स्कूल और कॉलेजों में टीचर एक काबिल इंसान बनने का रास्ता दिखाते हैं। लेकिन जब उसी रास्ते में कठिनाई और समस्याएं पैदा होने लगे तो गुरु उसे जीतने के लिए एक नई राह बताते हैं। जीवन में देखें तो समय भी एक प्रकार की शिक्षा देने वाला एक शिक्षक है। समस्या या परिस्थितियां भी हमें कुछ ना कुछ शिक्षा जरूर देते हैं। वर्तमान समय सभी का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। अनेक मनुष्यों के जीवन में अशांति, दुख, तनाव और निराशा के बादल गहरा रहे हैं। ऐसे समय पर दुनिया को शिक्षा देने वाले शिक्षक के जीवन में भी दुख और अशांति आ गई है। तो ऐसे शिक्षकों के जीवन में दुःख और अशांति को हटाकर सुख और शांति वापस लाने के लिए उन्हें भी आज शिक्षा की जरूरत है। उन्हें भी कोई शिक्षक चाहिए जो शिक्षा दें और कि वह अपने दुख और अशांति को समाप्त कर सके। वह शिक्षा केवल एक ही दे सकते हैं वह है इस पूरी दुनिया का संचालन करने वाले स्वयं परमशिक्षक परमपिता परमात्मा। क्योंकि आज दुनिया भी शिक्षा या दुनिया भी किताबें हमें मिली हुई है उनसे हमने कार्य तो बहुत किए हैं लेकिन फिर भी जीवन में कुछ कमी सी है।
दीदी ने बताया कि शिक्षक एक छोटा सा शब्द है परन्तु गहरा अर्थ लिए हुए है। जिसका पहला अक्षर होता है - "श" से शिखर तक ले जाने वाला। उसके लिए हमें शिक्षक के सम्मुख सम्पूर्ण समर्पित होना होगा। “ई” से ईमानदार। शिक्षक हमें जीवन की सर्वोच्च ऊंचाई में जाने के लिए ईमानदारी का पाठ पढ़ाते है। हमें अपने शिक्षक और अपने लक्ष्य के प्रति सम्पूर्ण ईमानदार होना चाहिए।तीसरा अक्षर होता है - “क्ष" जिसका अर्थ होता है क्षमा की भावना रखने वाला। चौथा और अंतिम अक्षर होता है - “क” जिसका अर्थ है कमजोरी दूर करने वाला। अर्थात जो विद्यार्थी की हर गलती को क्षमा करने की भावना रखता है और उसकी हर कमजोरी दूर कर उसको शिखर तक ले जाता है |
इससे पहले विभिन्न विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का तिलक, पुष्पगुच्छ, पगड़ी, माला पहनाकर तथा श्रीफल देकर ब्रम्हाकुमारी परिवार के द्वारा सम्मान किया गया। जिनमें महामाया B.Ed कॉलेज की सहायक प्राध्यापिका जरीन खान, अंजू दुआ, देवकीनंदन स्कूल की शिक्षिका उमा खंडेलवाल, पोंसरा विद्यालय की शिक्षिका बालकुंवर, माधवी नायडू, मदनपुर के शिक्षक मुकेश भाई, केंद्रीय विद्यालय की योगा शिक्षका रितु सिंह, मंजू वर्मा, भारती चावला का सम्मान किया गया। सभी ब्रह्माकुमर भाई-बहनों ने सेवाकेन्द्र संचालिका बीके स्वाति दीदी, बीके संतोषी दीदी, बीके रुख्मणि दीदी, नंदनी दीदी का स्वागत करते हुए कहाँ कि आप हमारे अलौकिक शिक्षक है जिनसे हम सबके जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ है। रीना बहन ने बहुत सुंदर कविता प्रस्तुत की।