सकारात्मक विचारों के लिए मन को सकारात्मक इनपुट देना आवश्यक - बीके स्वाति दीदी

सकारात्मक विचारों के लिए मन को सकारात्मक इनपुट देना आवश्यक - बीके स्वाति दीदी

सकारात्मक विचारों के लिए मन को सकारात्मक इनपुट देना आवश्यक - बीके स्वाति दीदी

सकारात्मक विचारों के लिए मन को सकारात्मक इनपुट देना आवश्यक - बीके स्वाति दीदी

15 सितम्बर 2022, बिलासपुर। बुद्धि को ही अंतरात्मा की आवाज कहते हैं। जो कभी गलत नहीं होती। सिर्फ उसे सुनने की आवश्यकता है। बुद्धि अपने विवेक से जब सही निर्णय लेती है तब आत्मा सुख, शांति, आनंद आदि गुणों से भरपूर हो जाती है।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में चल रहे सात दिवसीय *हैप्पी लिविंग* कार्यक्रम में सेवा केंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा। दीदी ने कहा कि इस तनाव के युग में हम यदि देखें कि हमारे मन में अधिकतर विचार किस प्रकार के हैं, तो महसूस होता है कि ज्यादातर व्यर्थ विचार ही चलते हैं। दूसरे नंबर पर नकारात्मक विचार ज्यादा चलते हैं। आवश्यक विचारों में भी स्वार्थ अधिक होता है तो वह भी नकारात्मक हो जाते हैं, और सकारात्मक विचार तो बहुत कम चलते हैं या ना के बराबर होते हैं। आज मनुष्य भगवान को भी याद करते हैं तो वह भी स्वार्थ युक्त याद होती है, अर्थात वह भी नकारात्मक ही हो जाती है। जब मनुष्य के मन में नकारात्मक या व्यर्थ विचारों का प्रभाव बढ़ जाता है तब उसका मन अशांत परेशान होता है। उसका मन न दिन में किसी काम में लगता है ना रात में उसे चैन की नींद आती है, और जब सकारात्मक विचार का प्रभाव बढ़ता है तब मन शांत और प्रसन्न रहने लगता है। काम में भी मन लगता है और रात को भी चैन की नींद आती है। तभी तो कहा जाता है कि मनुष्य का मन ही उसका परम मित्र है और मन ही उसका शत्रु है। राजयोग मन को मित्र बनाने की कला सिखाता है। मन में सकारात्मक विचारों को स्वाभाविक रूप से चलाने के लिए मन में सकारात्मक इनपुट देना आवश्यक है।
 जबकि सुबह से रात तक मनुष्य के मन में नकारात्मक बातों का ही इनपुट जाता है। सुबह उठते ही सबसे पहले समाचार पत्रों को पड़ता है और उसकी सारी नकारात्मक सूचनाएं उसमें चली जाती है। जब कार्यक्षेत्र पर जाता है तो वहां लोगों के साथ जो बातचीत होती है उसमें भी समस्याएं, परिस्थितियां, घटना या तनाव के कारणों के बारे में ही चर्चाएं चलती है, और शाम को जब वह घर लौटता है तो टीवी में जो समाचार या सीरियल देखता उसमें भी नकारात्मक भावनाओं से युक्त बातें ही देखता है। तो उसके मन में इतनी नकारात्मक या व्यर्थ बातें भर जाती है कि उसके मन में नकारात्मक विचार ही स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होते हैं। सकारात्मक विचार तो तभी स्वाभाविक रूप से चलेंगे जब सारा दिन सकारात्मक बातों से अपने मन को सींचेंगे। इसके लिए अच्छी पुस्तकें पढ़ना, अच्छे लोगों का संग करें जिससे हमें एक सकारात्मक वातावरण मिल सके। 

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