एक शाम भगवान झूलेलाल नाम

एक शाम भगवान झूलेलाल नाम

एक शाम भगवान झूलेलाल नाम

एक शाम भगवान झूलेलाल नाम

यूं तो सनातन धर्म में अनेक त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाते हैं इसी कड़ी में सिंधी समाज का चंद्र दिवस भी बड़े उत्साह पूर्वक मनाया जाता है इसी कड़ी में श्री सिंधु अमरधाम आश्रम श्री झूलेलाल मंदिर चकरभाटा में चंद्र दिवस का पर्व भक्तिमय संगीत के साथ मनाया गया यूँ तो चंद्र दिवस का पर्व पूजा अर्चना से मनाया जाता है किंतु 'असु' का चंद्र दिवस एक अलग ही महत्व रखता है इस कार्यक्रम में रवि रावलानी एंड म्यूजिकल पार्टी कटनी द्वारा बहुत ही शानदार भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी गई. कार्यक्रम के सर्वप्रथम में भगवान श्री झूलेलाल ,बाबा गुरुमुखदास के चित्र पर माल्यार्पण कर बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रज्वलित की गई तत्पश्चात भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी गई कार्यक्रम के दौरान अनेक भक्ति गीत गाए गए नवरात्रि का अवसर है माता रानी के नवरात्र चल रहे हैं
इसलिए भजनों की शुरुआत माता रानी के भजन से की गई 

चलो बुलावा आया है माता ने हमें बुलाया है प्रेम से बोलो जय माता दी जय माता दी


लाली लाली लाल चुनरिया लाई माता को चढ़ाई

पंखिड़ा ओ पंखिड़ा
ऐसे कई माता के भजन गाय  
जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे
भक्तजन सिंधी सेज़ भी की 
इस पावन अवसर पर संत लाल साई जी ने चंद्र दिवस व नवरात्रि पर आए हुए सभी भक्त जनों को बहुत-बहुत बधाइयां दी और शुभकामनाएं दी वह अपने अमृत भरे वचनों में कहा
आजकल लोग अपनी संस्कृति 
को भूलकर अन्य संस्कृति को अपना रहे हैं खान-पान रहन-सहन पहनावा सब दूसरे को देख कर अपना रहे हैं और शहरों में इसका प्रभाव ज्यादा है गांव में कम है आज भी आप गांव में जाएंगे तो अपना खान-पान अपना रहन सहन अपनी संस्कृति को संजोए
 के रखा है हकीकत में देखा जाए तो भारत गांवों में बसता है हमें भी अपनी संस्कृति को बचाकर संभाल कर संजो कर रखना है और उसे बढ़ाना है अपनी जो युवा पीढ़ी है उनको बताना है सिखाना है हम भगवान झूलेलाल के वंशज है हमारी सभ्यता सिंधु घाटी कि सभ्यता सबसे 5000 साल पुरानी है सिंधु नदी के किनारे वेदों की रचना हुई है सिंध से ही हिंद का जन्म हुआ है प्राचीन सभ्यता और संस्कृति हमारी है हमें गर्व होना चाहिए वह उसे दुनिया के सामने लाना चाहिए जो लोग आजकल नया नया अविष्कार कर रहे हैं वह 5000 साल पहले ही हमारे पूर्वजों ने करके दिखा दिया था बस जरूरत है आपको इतिहास में जाने की वह अपनी संस्कृति को अपने इतिहास को समझो अध्ययन करो वह उसे सबके सामने लाओ तब पता चलेगा कि आप सिंधी कितने भाग्यशाली हैं आपको सिंधी होने पर 100 गुना ज्यादा गर्व होगा
कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई अरदास की गई विश्व कल्याण के लिए पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया वह  आम भंडारे का भी आयोजन किया गया संख्या में भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया 
साई जी के द्वारा  अखंड ज्योत को बैंड बाजे के साथ मंदिर से रवाना हो कर  तालाब पहुंचे यहां पर विधि विधान से पूजा अर्चना कर बहराणा साहब का विसर्जन किया गया और अखंड ज्योत को तलाब में  प्रवाहित किया गया .
इस पूरे कार्यक्रम का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में भक्तों ने घर बैठे इस कार्यक्रम का देखा वह आनंद लिया इस आयोजन में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन
बिलासपुर के अलावा दुर्ग रायपुर भाटापारा तिल्दा ,रायगढ़, कोरबा, मुंगेली, के अलावा अन्य नगरों से अनेक श्रद्धालु जन उपस्थित.थे इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरुमुखदास सेवा समिति, श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा


श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

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