श्री गणेश जी को बुधवार के दिन सिंदूर चढ़ाकर विधिपूर्वक पूजन करने से सर्व मनोकामना की पूर्ति होती है

श्री गणेश जी को बुधवार के दिन सिंदूर चढ़ाकर विधिपूर्वक पूजन करने से सर्व मनोकामना की पूर्ति होती है

श्री गणेश जी को बुधवार के दिन सिंदूर चढ़ाकर विधिपूर्वक पूजन करने से सर्व मनोकामना की पूर्ति होती है

श्री गणेश जी को बुधवार के दिन सिंदूर चढ़ाकर विधिपूर्वक पूजन करने से सर्व मनोकामना की पूर्ति होती है

बालोद जिला के पाटेश्वर धाम के संत  महात्यागी रामबालक दास जी का ऑनलाइन सत्संग उनके भक्त गणों के लिए प्रतिदिन उनके व्हाट्सएप ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे आयोजित किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं।

आज के सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखि की आज की एकादशी को डोल ग्यारस या झुलनी एकादशी परिवर्तन एकादशी क्यों कहा जाता है ,,
बाबा जी ने बताया कि विष्णुपुराण के अनुसार चातुर्मास के दौरान जब श्री विष्णु योग निद्रा में जाते हैं, उसके बाद जलझूलनी एकादशी के दिन वह सोते हुए करवट बदलते हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। कहते हैं भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं इस व्रत का माहात्म्य युधिष्ठिर को बताया है। इस दिन भगवान करवट लेते हैं, इसलिए इसको परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं, इसी एकादशी के दिन भगवान वामन ने बलि का उद्धार करने के लिए अवतार लिया था इसीलिए आज भगवान विष्णु को वामन रूप में विशेष रूप से पूजा की जाती है, अतः यह दिन वामन प्रकटय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है इसीलिए इसे वामन एकादशी भी कहा जाता है।

शुक्ल-कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को चंद्रमा की ग्यारह कलाओं का प्रभाव जीवों पर पड़ता है। इसके फलस्वरूप शरीर की स्थिति और मन की चंचलता स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। इसी कारण उपवास द्वारा शरीर को संभालना और ईष्टपूजा द्वारा मन को नियंत्रण में रखना एकादशी व्रत विधान है और इसे मुख्य रूप से किया जाता है।
      
मान्यता है कि वर्षा ऋतु में पानी खराब हो जाता है, लेकिन एकादशी पर भगवान के जलाशयों में जल विहार के बाद उसका पानी निर्मल होने लगता है। शोभायात्रा में सभी समाजों के मंदिरों के विमान निकलते है। कंधों पर विमान लेकर चलने से मूर्तियां झूलती हैं। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की प्रतिमा को खूब सजाकर उनको जल सरोवर में नौका विहार कराया जाता है ऐसे में एकादशी को जल झूलनी कहा जाता है।
          
प्रेमचंद जी ने जिज्ञासा रखी  कि भगवान गणेश जी को कब से सिंदूर चढ़ाते हैं और सिंदूर चढ़ाने के क्या महत्व है इस पर प्रकाश डालने की कृपा हो, बाबा जी ने बताया कि मां के रूप को सिंदूर अति प्रिय होता है और इसके अलावा  शिव परिवार को सिंदूर अति प्रिय है जैसे कहीं कहीं हम देखते हैं कि भैरव जी को भी सिंदूर चढ़ाया जाता है भगवान श्री गणेश के सिंदूर की महिमा सर्वविदित है और भोलेनाथ का एक रूप भगवान हनुमान जी है जिनको सिंदूर अति प्रिय है, भगवान श्री गणेश जी की सिंदूर प्रयोग होने की  गणेश पुराण में एक कथा आती है कि सिंदूर नाम का एक दैत्य था जिसका वध श्री गणेश जी के हाथों हुआ जिससे सभी देवी देवता अत्यंत प्रसन्न हो गए जब उनका रूप देखा तो भगवान श्री गणेश उसके रक्त से पूरे लालिमा मय थे और सभी देवता उनका रूप देखकर बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुए तब से मान्यता है कि भगवान श्री गणेश जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है।
            
एक और कथा आती है कि जब भगवान भोलेनाथ ने गणेश जी का सिर काटा तो जिस हाथी का सर  लेने गए वह सिंदूर से खेल रहा था, और जब उस मस्तक को गणेश जी के सर पर रखा गया तो वह भी लाल वर्ण में था और माता पार्वती ने जो अपने पुत्र को इस रूप में देखा तो वह बहुत प्रसन्न हो गई तभी से उनके ऊपर सिंदूर चढ़ाने का विधान शुरू हैँ और वैसे भी सिंदूर तो सौभाग्य का सूचक है इसीलिए भगवान श्री गणेश को सिंदूर चढ़ाया जाता है।
             
माया जयेश ठाकुर ने   घर में स्थापित होने वाले गणेश जी की प्रतिमा के सूंड के विषय में जानने की जिज्ञासा बाबाजी के समक्ष रखी बाबा जी ने स्पष्ट किया कि भगवान श्री गणेश मंगल का प्रतीक है उनकी सूंड किसी भी दिशा में हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि भगवान श्री गणेश खुद ही मंगल मूर्ति है विघ्नहर्ता है सर्व कल्याणकारी है फिर भी उनकी सूंड की दिशा के विषय में कुछ जानकारी होना आवश्यक है जो कि उनकी स्वास् की प्रक्रिया के अनुसार है, भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा सुँड अगर बाई  और होती है, तो वह वाम भागी गणेश होते हैं, क्योंकि वे चंद्र नाड़ी से स्वास ले रहे हैं इसलिए वे शीतलता का प्रतिक है,शांति प्रदान करने वाले होते हैं इसीलिए अधिकतम  घरों में इन्हीं की पूजा की जाती है और जिन गणेश जी की सूंड दाईं और होती है वह सूर्य नाडी को संकेत करती है ऐसे श्री गणेश विघ्न विनाशक, विघ्न को हरने वाले या किसी प्रकार की सकाम इच्छा को पूर्ण करने के लिए पूजे जाते हैं।

इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग भक्तों के भजनों और बाबा जी के सुमधुर भजनों के साथ संपन्न हुआ।

   जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

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