दीपावली पर्व के बाद शुक्रवार से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की होगी शुरुआत
दीपावली पर्व के बाद शुक्रवार से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत होगी। शनिवार को खरना होगा। जिसके बाद रविवार को सूर्य को पहला अर्घ्य संध्याकाल में दिया जाएगा। जिसके बाद अंतिम अर्घ्य सोमवार को सूर्योदय के दौरान दिया जाएगा। हर बार की तरह इस बार भी सूर्य की विशेष स्थिति के कारण कई विशेष योग बन रहे हैं। इस साल त्रिपुष्कर, सर्वार्थ सिद्धि योग, सुकर्मा योग, शोभन, रवि योग बन रहे है। जो शुभ संकेत है।
एक साल पहले पर्व के दौरान एक द्विपुष्कर, दो सर्वार्थसिद्धि और चार रवियोग बने थे। वहीं दो साल पहले सौम्य और स्थिर योग के साथ छठ पर्व मनाया गया था। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दल्लीराजहरा के छठ भवन में छठ पर्व मनाने व्रतधारी महिलाएं व परिवार के सदस्य पहुंचेंगे।
इस दौरान छठी मैया, सूर्य की पूजा उपासना की जाएगी। पिछले साल नवंबर माह में पर्व मनाया गया था। परंपरा व मान्यता अनुसार छठ पर्व में सूर्य देव के अलावा छठी माता की पूजा की जाती है। यह एक ऐसा त्योहार है। जिसमें उदयाचल सूर्य के अलावा अस्ताचल सूर्य की भी पूजा की जाती है। सूर्य उपासना का यह महापर्व सूर्य को प्रसन्न करके संतान की मनोकामना और कुशलता, खुशहाली के लिए मनाते हैं।
जानिए, महापर्व में कब कौन सा शुभ योग बनेगा
पहला दिन- नहाय-खाय के साथ महापर्व की शुरुआत होगी। सुबह से रात एक बजकर 30 मिनट तक शोभन योग, सुबह 6 बजकर 30 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग और सुबह 10 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक रवि योग रहेगा।
दूसरा दिन- खरना, महिलाएं व्रत रखेंगी। घरों में मिठाई बनेगी। भोजन के रूप में गुड़ का खीर बनाया जाएगा। इसे खाने के बाद उपवास चालू हो जाएगा। सुबह 6 बजकर 31 मिनट से 9 बजकर 6 मिनट तक रवि योग, रात 10 बजकर 23 मिनट से अगली सुबह तक सुकर्मा योग रहेगा।
तीसरा दिन- छठ माता की पूजन के साथ शाम को व्रतधारी महिलाएं तालाब के घाट में पहुंचकर अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देंगी। सुबह से शाम 7 बजकर 16 मिनट तक सुकर्मा योग, शाम 7 बजकर 16 मिनट से अगली सुबह तक धृति योग, सुबह 7.26 बजे से अगले दिन सुबह 5.48 बजे तक रवि योग, 6.31 बजे से सुबह 7.26 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
चौथा दिन- उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद निर्जला व्रत पूरा होगा। सुबह 5.48 बजे से सुबह 6.32 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग और सुबह 5.48 बजे से सुबह 6.32 बजे तक त्रिपुष्कर योग रहेगा।
36 घंटे के लिए निर्जला उपवास रहेंगी महिलाएं
व्रतधारी महिलाएं पर्व के दौरान नहाकर नए वस्त्र पहनकर शाकाहारी भोजन करेंगी। इसके बाद अगले 36 घंटे के लिए निर्जला उपवास रहेंगी। छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके बाद खरना होता है। खरना के बाद अगले दिन व्रत रहने के बाद शाम को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे तक व्रत रखेंगी। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्य उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख, शांति व धन धान्य से संपन्न करती हैं।