पुरूर में 10 दिवसीय विविध कार्यक्रमों की धूम

पुरूर में 10 दिवसीय विविध कार्यक्रमों की धूम

पुरूर में 10 दिवसीय विविध कार्यक्रमों की धूम

पुरूर में 10 दिवसीय विविध कार्यक्रमों की धूम


शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर ग्राम पुरूर में समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से व बाल समाज नाट्य कला मंडली के तत्वाधान में दस दिवसीय विविध कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमे प्रथम दिवस मां दुर्गा का प्रतिमा स्थापना व जस भजन हुआ, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ दिवस स्थानीय सांस्कृतिक रंगा रंग कार्यक्रम हुआ, पंचम दिवस जय गुरुदेव संकीर्तन मंडली फिंगेश्वरी छुरा कीर्तनकार श्री पीलेंद्र शरण जी का कार्यक्रम हुआ, षष्ठम दिवस श्री कृष्ण द्वैपायन पंडवानी मंडली आमापारा बालोद का कार्यक्रम हुआ, सप्तम दिवस नजरू संतू नाचा पार्टी कसावही शीर्षक मेहनत की कमाई दिखाया गया, अष्ठम दिवस जय श्री कृष्ण राम धुनी मंडली अरौद मगरलोड का कार्यक्रम होगा जिसमे वराह अवतार झांकी और राऊत नाचा, सुवा नृत्य, पंथी, व अन्य प्रकार से लोक नृत्य दिखाया जायेगा, नवम दिवस जय अम्बे पुरन जस झांकी परिवार रामसागर पारा अरकार का कार्यक्रम होगा जिसमे महिषासुर रक्तबीज उत्पत्ति एवम वध, और गोपीचंद कौरो नगर का झांकी दिखाया जायेगा और विजयादशमी के दिन बाल समाज नाट्य कला मंडली पुरूर द्वारा बाजार चौक कला मंच में अंगद रावण संवाद दिखाया जायेगा तत्पश्चात रावण पुतला दहन का कार्यक्रम होगा, कार्यक्रम को देखने के लिए भारी संख्या में स्थानीय व आज पास के छेत्रो से रोज भीड़ उमड़ रहा है। 
कार्यक्रम के तैयारी में आयोजक समिति के अध्यक्ष अरुण प्रजापति, उपाध्यक्ष गोपी यादव, सचिव योगेश्वर यादव, कोषाध्यक्ष धनी राम साहू, आनंद राम साहू, कीर्तन माला, लखन घिकौड़ी, मिथलेश ग्वालेंद्र, कोमल माला, भुनेश्वर माला, लोकेश सोनवर्षा, यशवंत माला, बाल मकुंद साहू, मनी राम माला, योगेश सेन, सोमकांत प्रजापति, भागवत प्रजापति, कार्यक्रम के संकलन कर्ता कमल देव साहू, मंच संचालन जे आर गजपल्ला (सेवा निवृत शिक्षक), तोरण सिंह नेताम, साकेश साहू, श्याम लाल साहू व समिति के सभी सदस्य जुटे हुए है। 
ग्राम पुरूर का संपूर्ण कार्यक्रम आयोजन छेत्र के लिए प्रेरणा रहता है जैसे पहले मानस गान प्रतियोगिता होना पुरूर से ही शुरू था अब सम्मेलन में परिवर्तन सबसे पहले पुरूर से ही शुरू हुआ है, रंगा रंग कार्यक्रम, श्री मद भागवत कथा, कवि सम्मेलन व नवरात्रि में नौ दिन तक लीला होता था अब विविध कार्यक्रम में परिवर्तन को देखकर कई गावों में पुरूर के आयोजन को बहुत ही पसंद और अनुसरण किया जा रहा है।

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