सिंधी समाज की महिलाओं ने रखा करवा चौथ का उपवास, पति की लंबी आयु की कामना

सिंधी समाज की महिलाओं ने रखा करवा चौथ का उपवास, पति की लंबी आयु की कामना

सिंधी समाज की महिलाओं ने रखा करवा चौथ का उपवास, पति की लंबी आयु की कामना

सिंधी समाज की महिलाओं ने रखा करवा चौथ का उपवास, पति की लंबी आयु की कामना

बिलासपुर: देशभर में करवा चौथ का पर्व महिलाओं ने हर्षोल्लास के साथ मनाया पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने उपवास रख पूजा अर्चना की इसी कड़ी में बिलासपुर में भी सिंधी समाज की महिलाओं ने अनेक स्थान मोहल्लों में करवा चौथ का उपवास रख बड़ी संख्या में समाज की महिलाओं ने कथा श्रवण की पूजा अर्चना कर चंद्र दर्शन कर अर्ग दिया एवं अपने
 पति के हाथों से जल ग्रहण कर उपवास पूरा किया

पंडित कन्हैया शर्मा के करबला स्थित निवास में स्थापित दुर्गा मंदिर में श्रीमती रचना शर्मा के द्वारा विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करवाई गई व करवा चौथ की कथा सुनाई गई इसके साथ ही कश्यप कॉलोनी स्थित सिंधुधाम गुरुद्वारा में प्रमुख सेविका भारती वाधवानी द्वारा भी अनेक महिला श्रद्धालुओं को करवा चौथ की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते कथा की गई. करवा चौथ का महिलाओं को चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस व्रत में कथा का बहुत अधिक महत्व होता है। चांद के दर्शन से पहले करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करती है 

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को चंद्रोदय ब्यापिनी में करवा चौथ व्रत किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहती हैं और चांद निकलने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। महिलाओं को चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है। चांद के दर्शन से पहले करवा चौथ व्रत कथा का पाठ किया 

करवा चौथ व्रत कथा के सारांश में एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी, सेठानी के सहित उसकी बहुओं और पुत्री ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहूकार के पुत्र भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने बताया कि उसका आज व्रत है और वह खाना चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की ओट में रख देता है। जो ऐसा प्रतीत होता है जैसे चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर करवा उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बेहद दुखी हो जाती है
उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से खोलने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक वर्ष तक अपने पति के शव के पास बैठी रही, उसकी देखभाल करती रही, उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है, एक वर्ष बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है, तो वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागिन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नये जीवन का आर्शिवाद मिलता है। इसी कथा को कुछ अलग तरह से सभी व्रत करने वाली महिलाएं पढ़ती और सुनती हैं ऐसी मान्यता है कि इस दिन निर्जला व्रत रखने से पति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है, घर में सुख शांति रहती है, पति पत्नी में प्यार बढ़ता है.

आज के इस पूरे कार्यक्रम में समाज की बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं इनमें प्रमुख है श्रीमती रचना शर्मा, दीपा शर्मा,नेहा शर्मा, मानसी चौधरी,हिमांशु शर्मा,विधि शर्मा,अनीता शर्मा, मन्नत सरवानी,कोमल रावलानी, मोना शर्मा, कमल शर्मा,मधु हिंदुजा,मोनिका सिदारा,
भारती दुसेजा, सोनम राजवानी, मित सरवानी,
नव्या वाधवानी,प्रिया आहूजा,मान्या मेघानी,दिव्या चेलानी एवं समाज की अनेक श्रद्धालु महिलाएं उपस्थित थी.


श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

Ads Atas Artikel

Ads Atas Artikel 1

Ads Center 2

Ads Center 3