फिर से गूंज उठा जामडी पाटेश्वर धाम का क्षेत्र, सीताराम नाम गूंज से निकली पाटेश्वर बाबा की भव्य रथ यात्रा

फिर से गूंज उठा जामडी पाटेश्वर धाम का क्षेत्र, सीताराम नाम गूंज से निकली पाटेश्वर बाबा की भव्य रथ यात्रा

फिर से गूंज उठा जामडी पाटेश्वर धाम का क्षेत्र, सीताराम नाम गूंज से निकली पाटेश्वर बाबा की भव्य रथ यात्रा

फिर से गूंज उठा जामडी पाटेश्वर धाम का क्षेत्र, सीताराम नाम गूंज से निकली पाटेश्वर बाबा की भव्य रथ यात्रा 

बालोद जिला के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और लाखों लोगों की आस्था का केंद्र श्री जामडी पाटेश्वर धाम के देव श्री पाटेश्वर बाबा की भव्य रथयात्रा प्रति वर्ष की भांति आज शरद पूर्णिमा में आयोजित की गई श्री जामडी पाटेश्वर धाम से यात्रा शाम 5:00 बजे प्रारंभ हुई ग्राम बड़ेजंगेरा में ग्राम प्रमुखों एवं पाटेश्वर संस्कार वाहिनी की सैकड़ों माताओं बहनों ने यात्रा की अगवानी की यात्रा में पाटेश्वर धाम के संचालक बालयोगेश्वर श्री राम बालक दास जी साथ चल रहे थे भक्तों ने ढोलक मंजीरे की पारंपरिकथाप के साथ सीताराम नाम का कीर्तन करते हुए गांव की गलियों को गुंजायमान किया माताओं बहनों ने पूजा की थाली सजा कलश सजाकर यात्रा में स्थापित श्री पाटेश्वर बाबा की मूर्ति का पूजन किया एवं लड्डू गोपाल जी की प्रतिमा का भी पूजन किया ज्ञात हो

इस यात्रा का आयोजन प्रतिवर्ष पदयात्रा के रूप में किया जाता था जो कि पूरे 12 गांव का भ्रमण करके पाटेश्वर धाम लौटती थी लेकिन इस वर्ष क्षेत्र में असामाजिक तत्वों के द्वारा बनाए गए तनाव के कारण इस यात्रा का आयोजन केवल बड़ेजुंगेरा,, भाटापारा तक सीमित किया गया है

संत श्री राम बालक दास जी ने बताया कि यात्रा के समापन पर आज रात्रि में श्री जामडी पाटेश्वर धाम में रामायण मंडियों के द्वारा मानस गान का आयोजन किया जाएगा साथ ही पारंपरिक विधि से पूजन करके चंद्र को अर्घ्य दिया जाएगा और रात्रि में खीर प्रसादी का वितरण होगा इस बीच आज सुबह से ही श्री जामडी पाटेश्वर धाम में पूरे प्रदेश और प्रदेश के बाहर से भी भक्तों का आवागमन लगा रहा हजारों की संख्या में लोगों ने श्री जामडी पाटेश्वर धाम में पहुंचकर भजन कीर्तन की प्रस्तुति की और श्री सीता रसोई में भोजन प्रसादी प्राप्त किया इस अवसर पर संत श्री राम बालक दास जी ने पूरे प्रदेश वासियों को शरद पूर्णिमा की बधाई दी और कहा ,,अमृत वही है जो जीवित हो,, जिसका जमीर मर गया हो मानव होकर भी जिसके भीतर मानवता ना हो वह जीते जी मृत के समान है इसलिए आइए जीवन को मृत की तरह नहीं अमृत की तरह जिये यही शरद पूर्णिमा का उद्देश्य है

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