तहसील का नाम देवरीबंगला करने सड़क पर उतरे ग्रामीण, दोपहर एक बजे से देर शाम तक विरोध प्रदर्शन व चक्काजाम किया
आखिरकार नामकरण के तकरार के बीच डौंडी लोहारा व गुंडरदेही विधानसभा के 96 गांवों के साथ जिले की 7वीं तहसील मार्री बंगला-देवरी अस्तित्व में आ गई है। तहसीलदार कब से बैठेंगे, कब से राजस्व संबंधित काम होंगे, इसके लिए जल्द ही सूचना जारी की जाएगी।
सोमवार को रायपुर स्थित निवास कार्यालय से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से वर्चुअल शुभारंभ कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नवीन तहसील की सौगात दी। संसदीय सचिव व गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने बताया कि सीएम ने आम जनता को सहुलियत देने तथा राजस्व संबंधी समस्याओं के समय पर निराकरण करने के लिए प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण के तहत जिलेवासियों को मार्री बंगला-देवरी के रूप में नई तहसील की सौगात दी है।
वर्चुअल शुभारंभ के दौरान संयुक्त जिला कार्यालय के एनआईसी कक्ष में कलेक्टर कुलदीप शर्मा, जिला पंचायत सीईओ डाॅ. रेणुका श्रीवास्तव, जनपद पंचायत डौंडी लोहारा के अध्यक्ष जागृत सोनकर, डिप्टी कलेक्टर सुरेश साहू एवं अमित श्रीवास्तव आदि मौजूद थे। नई तहसील के नामकरण को लेकर देवरी व मार्री के ग्रामीणों में तकरार की वजह से प्रशासन की ओर से कोष्टक हटाकर देवरी को मार्री बंगला के बगल में करने दोबारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। दैनिक भास्कर ने 23 सितंबर को खबर प्रकाशित कर शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों का ध्यानाकर्षण कराया था।
विरोध अब भी जारी- बरसते पानी में सड़क पर डटे रहे देवरीवासी
तहसील के नाम को लेकर देवरीबंगला के ग्रामीण उप तहसील के सामने धरने पर बैठ गए। बरसते पानी में स्टेट हाईवे पर बैठकर चक्का जाम कर दिया। लगभग 5 घंटे तक ग्रामीण डटे रहे। मुख्यमंत्री ने उप तहसील मार्री बंगला- देवरी का उन्नयन कर पूर्ण तहसील का वर्चुअल शुभारंभ किया था। देवरीबंगला के ग्रामीणों की मांग है कि पूर्ण तहसील का नामकरण देवरीबंगला के नाम से किया जाए। ग्रामीण दोपहर एक बजे चक्का जाम पर बैठ गए। इसी बीच तेज हवा के साथ जमकर बरसात हुई, फिर भी ग्रामीण सड़क पर डटे रहे।
सभी सुविधाएं हैं देवरीबंगला में फिर भी नजरअंदाज कर रहे
ग्राम पटेल प्रेमलाल साहू व सतीश सिंह ने बताया कि जहां वर्तमान में पूर्ण तहसील खोला जा रहा है उस गांव में शासकीय स्कूल व ग्राम पंचायत के अलावा कोई शासकीय कार्यालय नहीं है। दूसरी ओर देवरीबंगला में पुलिस थाना, पटवारी हल्का, राजस्व निरीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पोस्ट ऑफिस, पशु औषधालय, तीन बैंक, नलकूप निर्माण इकाई, धान खरीदी केंद्र सहित सभी शासकीय कार्यालय तथा सुविधाएं उपलब्ध है।
संसदीय सचिव व विधायक ने दोनों गांव के प्रमुख लोगों को बैठा कर तय किया था, कि पूर्ण तहसील का नाम देवरी मार्री होगा। मुख्यमंत्री से भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान भी विवाद को देखते हुए पूर्ण तहसील की घोषणा रोक दी गई थी। मुख्यमंत्री के वर्चुअल उद्घाटन में देवरी बंगला की सरपंच को भी आमंत्रित नहीं किया गया। इससे भी ग्रामीणों में आक्रोश है।
विवाद की वजह- 1999 में उपतहसील खोलने आदेश जारी
मध्यप्रदेश के समय वर्ष 1999 में देवरीबंगला में उप तहसील खोलने आदेश जारी हुआ था। इसी समय एक अन्य आदेश मार्री बंगला के नाम से भी जारी हुआ था। ग्रामीण टुकेश्वर देवांगन तथा जालम ठाकुर ने बताया कि उप तहसील देवरीबंगला के भवन निर्माण के लिए 26.57 लाख की राशि स्वीकृत हुई थी तथा भूमि पूजन तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था। उपसरपंच मनोज देवांगन ने बताया कि शासन के आदेश से देवरीबंगला तहसील के लिए 13 अधिकारी कर्मचारियों की पदस्थापना की गई है। दूसरे गांव के नाम से खोलना न्यायोचित नहीं है।