शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द की सनातनी सेना को साईं मसन्द देंगे भारत को विश्वगुरु बनाने का प्रशिक्षण
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य बनने के बाद रायपुर पधारे स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती से हुई साईं मसन्द की मंत्रणा।
रायपुर। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य बनने के बाद पूज्यपाद स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज २५ अक्टूबर को अपने संत मंडल व सेवकों के साथ एक दिन के प्रवास पर रायपुर पधारे। स्थानीय शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी ब्रह्मचारी डाॅ. इन्दुभवानन्द महाराज की अगुवाई में अंचल के अनेक सन्तों, अनुयायियों, समाज सेवकों व राजनेताओं आदि ने आकर उनका आशीर्वाद लिया तथा पादुका पूजन व आरती कर भावभीना सम्मान किया। शंकराचार्य स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज जी ने इस अवसर पर सम्मान समारोह में शामिल होने आए भारत को पुन: विश्वगुरु बनाने का अभियान चला रहे मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द को मंच पर बुलवाकर अपने पास बिठवाया।
साईं मसन्द ने अगले दिन प्रातः पुन: शंकराचार्य आश्रम जाकर जगद्गुर शंकराचार्य स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट की और भारत को पुन: विश्वगुरु बनाने के अपने अभियान अंतर्गत हाल ही में किए गए राजस्थान व महाराष्ट्र दौरे के सुखद परिणामों से अवगत कराया। शंकराचार्य स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ने इस अवसर पर उपस्थित अपने शिष्यों को बताया कि साईं मसन्द साहिब उनके अत्यंत प्रिय व निकट साथी हैं। वे करीब ६० वर्षों से देशहित में निरंतर सक्रिय हैं, अत: उन्होंने उनके अनुभवों का लाभ लेने हेतु अपने ११ लाख कार्यकर्ताओं की गठित की जा रही सनातनी सेना को भारत को पुन: विश्वगुरु बनाने का प्रशिक्षण उनसे दिलाए जाने का निर्णय लिया है।