किसी भी रिस्ते को कितनी भी खुबसूरती से क्यों ना बांधा जाए ,अगर नजरों में इज्जत और बोलने में लिहाज ना हो तो वह टूट जाता है।। संत श्री राम बालक दास जी

किसी भी रिस्ते को कितनी भी खुबसूरती से क्यों ना बांधा जाए ,अगर नजरों में इज्जत और बोलने में लिहाज ना हो तो वह टूट जाता है।। संत श्री राम बालक दास जी

किसी भी रिस्ते को कितनी भी खुबसूरती से क्यों ना बांधा जाए ,अगर नजरों में इज्जत और बोलने में लिहाज ना हो तो वह टूट जाता है।। संत श्री राम बालक दास जी

किसी भी रिस्ते को कितनी भी खुबसूरती से क्यों ना बांधा जाए ,अगर नजरों में इज्जत और बोलने में लिहाज ना हो तो वह टूट जाता है: संत श्री राम बालक दास जी 

प्रतिदिन की भांति बालोद जिला के पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी का ऑनलाइन सत्संग उनके भक्त गणों के लिए वाट्सएप ग्रुप में आयोजित किया जाता है जिसमें भक्तगण जुड़कर अपनी विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं एवं अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं 
      
जिज्ञासाओं के क्रम में आज के सत्संग में दाता राम साहू जी ने जिज्ञासा रखी की कृतज्ञता और कृतघ्नता पर प्रकाश डालने की कृपा करें, जिज्ञासा को शांत करते हुए बाबा जी ने बताया कि कृतज्ञता का अर्थ होता है किसी के प्रति आदर हो , हमारे लिए किये गए कार्यों के लिए सम्मान का भाव रखना,किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा किए गए उपकार को आप श्रद्धापूर्वक स्वीकार कर उनके प्रति अपना सम्मान दर्शाएं तो यह भाव कृतज्ञता कहलाता है किन्तु यदि आपके प्रति उपकार करने वाले का प्रतिसाद कुटिलता सा शत्रुता से दें तो आप कृतघ्न कहलाएंगे.
      
इन्हीं सब को देखते हुए कभी-कभी हमें लगने लगता है कि संसार व्यर्थ हैँ,लेकिन हमें संसार के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहना चाहिए क्योंकि यही संसार है जिसमें हमें मनुष्य तन मिला है और देव तुल्य जीवन प्राप्त हुआ है ताकि हम भगवान का भजन कर सके भगवान का दर्शन कर सके उनकी लीलाओं को जान सके इसलिए वह संसार जिसने हमें देव से भी ऊपर जीवन प्रदान किया जिसमें भगवान का भजन स्मरण सुमिरन कर सकते हैं इसीलिए हमें इस संसार के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहना चाहिए
       
सत्संग परिचर्चा में प्रतिदिन तिलक दुबे जी द्वारा प्रेषित अमृत वचन में आज "किसी भी रिस्ते को कितनी भी खुबसूरती से क्यों ना बांधा जाए ,अगर नजरों में इज्जत और बोलने में लिहाज ना हो तो वह टूट जाता है।।" को विस्तार पूर्वक समझाते हुए बाबा जी ने बताया कि इस संसार में हम निश्चित रूप से ही जो हम नहीं है वह दिखाने का प्रयत्न करते हैं लेकिन बनावटी पन कभी छुपे छुपता नहीं है सच्चाई किसी भी रूप में सामने प्रकट हो ही जाती है,इस संसार में कोई भी रिश्ता टीकता नहीं,यह जीवन एक गाड़ी के समान है जिसमें हम बैठते हैं और जब हमारा स्टेशन आता है तो उतर जाते हैं फिर भी हमारा मन बहुत चंचल है जो लगाए से भी भगवान के भजन में नहीं लगता और व्यर्थ के रिश्ते बना बैठता है,मां पिता बहन भाई ताऊ समझकर रिश्ते निभाने में लग जाता है,और कहीं ना कहीं इस रिश्ते को रूप देने वाले ईश्वर ही है क्योंकि भगवान भी जब मृत्यु लोक में आए तो इन रिश्तो मे बंधे जाते हैं बे भी हंसते हैं,रोते हैं, और रिश्ते निभाते हैं,भगवान भी सुख दुख में बंध जाते हैं तो हम तो मानव है,और जब हम को पता है कि इस संसार में बनाएं गए रिश्ते व्यर्थ हैं तो इन रिश्तो को सीमित ही रखें ताकि जब टूटे तो दिल को चोट ना लगे
    
   इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ 
         जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

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