संस्कृति की संरक्षक मातृशक्तियों का राजयोग भवन में सम्मान
07- 10-22, बिलासपुर। संस्कृति का संबंध संस्कारों से है। व्यक्ति का रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, आचरण, चरित्र संस्कृति के अंतर्गत आते हैं। भारतीय संस्कृति आदि काल से उच्च श्रेष्ठ देवी संस्कृति रही है। जिसके आदर्श बहुत ऊंचे हैं। नारी वह शक्ति है जो अपने वात्सल्य और करुणा से सभी का पालन करती है, और समय आने पर एक बड़े संगठन का कुशल नेतृत्व अपने अद्भुत साहस, अथक परिश्रम, दूरदर्शिता, बुद्धिमत्ता से असंभव को भी संभव कर दिखाती है। ऐसी मातृ शक्तियों का प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय शाखा टेलिफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में "संस्कृति की संरक्षक - मातृशक्ति" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें शहर की सभी क्षेत्रों से जुड़ी गणमान्य मातृ शक्तियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का मुख्य आतिथ्य बहन रितु शैलेश पांडेय जी ने किया।
बहन रितु पांडे जी ने कहा कि नारी को देवी के समान माना जाता है। हम सभी को नारी और उसके अस्तित्व का सम्मान करना चाहिए। आज नारी हर क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। कहा जाता है यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। यदि देवता बनना है तो नारी का सम्मान करना होगा।
अपोलो हॉस्पिटल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कविता बब्बर ने कहा कि महिला को अपना ध्यान स्वयं ही रखना होगा। यदि किसी भी प्रकार की बीमारी होती है या किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, जिससे वह बीमारी बढ़ने से पहले ही उसे सही समय पर रोका जा सके।
संजीवनी हॉस्पिटल की निर्देशिका एवं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ संजना तिवारी ने कहा ब्रह्माकुमारी द्वारा समाज में उत्कृष्ट कार्य किए जा रहे हैं। लोगों को नेक राह पर चलने का संदेश दिया जा रहा है।
बुधिया नर्सिंग होम की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रश्मि बुधिया ने कहा ब्रह्माकुमारी सेंटर पर आने से ही अपने मन का सारा तनाव समाप्त हो जाता है। यहां आने से लगता है हम कोई दूसरी दुनिया में आ गए है।
वरिष्ठ त्वचा विशेषज्ञ डॉ प्रियंका मेघानी* ने कहा यहां का ज्ञान पूर्णतः वैज्ञानिक विधि से सत्य ज्ञान है, जो हमें शक्ति प्रदान करता है।
माही डेंटल क्लीनिक की निर्देशिका एवं वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ डॉ महिमा अग्रवाल* ने कहा ब्रह्माकुमारी संस्था आंतरिक शांति के लिए कार्य कर रही है। जितना हम अंदर से सशक्त होकर रहेंगे तो अपना कार्य बेहतर तरीके से कर सकेंगे।
अपोलो हॉस्पिटल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रश्मि देवांगन* ने कहा कि आज ज्यादा बीमारियां मन में तनाव के कारण होती है। तनाव से मुक्ति के लिए मेडिटेशन बहुत आवश्यक है। वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ रिया माखीजा* ने कहा भारत की वह पुण्य और महान भूमि है जिसकी संस्कृति महान संस्कृति है। आध्यात्म और आध्यात्मिक ज्ञान से ही विश्व शांति आएगी।
संयुक्त महिला संगठन के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समाजसेवी विद्या केडिया* ने कहा काम को हम खुश होकर करते हैं तो हमसे मिलने वाले लोगों को जहां खुशी होती है वहीं खुद को भी आनंद मिलता है। हम खुश रहना चाहते हैं या नहीं यह हम खुद तय करते हैं। यदि हमारी सोच बदल जाए तो कभी तनाव हो ही नहीं सकता। खुश रहना हमारे हाथ में है।
आईसीएस ग्रुप की डायरेक्टर हेमलता स्वामी* ने कहा कि ब्रह्माकुमारी बहनें राजयोग मेडिटेशन से दुनिया में शांति स्थापित करने का बहुत श्रेष्ठ कार्य कर रही हैं। समाज में आज ऐसे कार्यों की जरूरत है। ये देश के साथ विदेश में भी हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रचार-प्रसार करने का कार्य कर रही है।
आनंद एजुकेशन एकेडमी एवं आनंद पब्लिक स्कूल की निर्देशिका चंदा बंसल ने कहा ब्रह्मा कुमारीज की शिक्षा वर्तमान समय के हिसाब से बहुत जरूरी है। युवाओं के कंधे पर ही भविष्य की जिम्मेदारी है। युवाओं को ठीक रास्ते पर लाकर उन्हें आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी है। हम युवाओं को अच्छे संस्कार देंगे ताकि वह भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ा सके। इस बारे में ब्रह्माकुमारी बहनों का कार्य सराहनीय है।
सेवा केंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति देव संस्कृति है। जहां इतना प्रेम होता था कि शेर और गाय भी एक ही घाट में पानी पिया करते थे। हमारी संस्कृति नारी का सम्मान करना सिखाती है, संयुक्त परिवार में रहना सिखलाती है। हमें अपनी संस्कृति को बचाने के लिए युवाओं में बढ़ते जा रहे पाश्चात्य के प्रभाव को रोकना होगा। माँ ही बच्चे की प्रथम गुरु होती है जो उसे सही दिशा दे सकती है।
संस्कृति की संरक्षक - मातृशक्ति कार्यक्रम में अधिवक्ता सुनीता मानिकपुरी,हरिभूमि पत्रिका की उप संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार तारिणी शुक्ला, एफएम 94.3 की आरजे रिद्धि सूर्यवंशी, समाज सेविका किरण सिंह, शिक्षिका गीता चारी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू से पधारे बीके भानु भाई ने स्वर संगीत के द्वारा किया। अतिथियों का स्वागत तिलक, पगड़ी, चुनरी और पुष्पगुच्छ देकर किया गया। मधुर गीतों के साथ दीप प्रज्वलन का दृश्य बहुत ही मनोरम रहा। कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को सौगात भेंट की गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।