संत शिरोमणि भक्त कंवर राम साहिब जी के 83 वे बलिदान दिवस पर श्रद्धापुर्वक भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई

संत शिरोमणि भक्त कंवर राम साहिब जी के 83 वे बलिदान दिवस पर श्रद्धापुर्वक भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई

संत शिरोमणि भक्त कंवर राम साहिब जी के 83 वे बलिदान दिवस पर श्रद्धापुर्वक भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई

संत शिरोमणि भक्त कंवर राम साहिब जी के 83 वे बलिदान दिवस पर श्रद्धापुर्वक भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई

बिलासपुर:- सिंध के सरताज सिंध की आत्मा संत भक्त कंवर राम साहिब जी का जन्म सिंध की धरती के छोटे से गांव जरवार में एक गरीब परिवार मे हुआ। वे परिवार के पालन पोषण के लिए बचपन मे छोटी सी उम्र से ही घूम घूम कर कुहर (राँह)बेचकर घर का खर्च चलाते थे । 
एक दिन उनकी मीठी सुरीली आवाज सुनकर संत सतराम दास साहिब जी ने उन्हें बुलाया व उनसे कुहर मांगे और कहां मेरे पास पैसे नहीं हैं कंवर ने कहा कोई बात नहीं संत जी आपका आशीर्वाद ही पैसों से बड़ा है आप खा लीजिए उनकी बात सुनकर संत सतराम दास बहुत प्रसन्न हुए व उन्हें अपना शिष्य बना लिया धीरे-धीरे समय बितते गया एवं आगे बढ़ते गया उनकी मधुर आवाज अब एक गांव से निकलकर सिंध के हर छोटे बड़े शहरों के साथ,पूरे सिंध प्रदेश में फैल गई रात रात भर भगत करते थे, दीन दुखियों गरीबों की सेवा करते थे, वे सर्वधर्म सर्वसमाज के प्रेरणा के प्रतीक बन गए थे.जिस समय आजादी के लिए लड़ाई चल रही थी उस वक्त कुछ असामाजिक तत्व हिंदू मुस्लिम मे सांप्रदायिकता की आग को भड़काने की कोशिश कर रहे थे 
 

 लेकिन भक्त कंवरराम साहिब जी सभी को एक सूत्र में बांधकर रखने का प्रयास करते थे वे सदैव एकता के लिए ही कार्य कर रहे थे। पर कुछ अधर्मियों को यह बात हजम नहीं हो रही थी आखिर में एक दिन भक्त कंवर राम साहिब किसी काम से शहर जाने के लिए रेल में सफर कर रहे थे तब कुछ अधर्मी लोग पहुंचे वह भक्त कंवरराम साहेब जी से आशीर्वाद मांगा कि हम जिस कार्य के लिए आए हैं हमारा कार्य सफल हो हमें आशीर्वाद दें भक्त कवर राम साहब कोआभास हो गया था कि वह लोग मुझे मारने के लिए आए हैं उसके बाद भी उन्होंने उन्हें आशीर्वाद दिया क्योंकि उनका कहना था जो संत की शरण में आता है उन्हें कभी खाली नहीं भेजना चाहिए और रात्रि 10:00 बजे रुक स्टेशन पर भक्त कंवरराम के सीने को गोलियों से छलनी कर दिया। संत कंवरराम साहब हिंदू मुस्लिम एकता एंव सर्वधर्म के कल्याण के लिए कार्य कर रहे थे ।उन हत्यारों ने सिर्फ उनके शरीर को मारा था पर उनकी दिव्य आत्मा आज भी अमर है व सदैव अमर रहेगी।
 

 भक्त कंवरराम साहब एक नवंबर 1939 को ब्रह्मलीन हो गए। जिस कारण प्रतिवर्ष 1 नवंबर को शहीदी दिवस के रूप में देश भर में मनाया जाता है । एवं इस दिन उनकी याद में हर जगह कीर्तन, सत्संग ,दान पुण्य के कार्य चलते रहते हैं।आज संत भक्त कंवरराम साहेब जी के शहीद दिवस पर विजय दुसेजा ने भी जूना बिलासपुर मनोहर टाकीज के पिछे स्थित अपने निवास स्थान पर 
रात्रि 10:00 बजे भक्त कंवर राम साहिब जी की फोटो पर पुष्प अर्पण कर ,दीपज्योतिजलाकर एवं 2 मिनट का मौन धारण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।......
समाज के रूपचंद डोडवानी ने भी सिन्ध के सरताज संत शिरोमणि अमर शहीद भक्त कंवरराम साहब के शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धापूर्ण भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।


श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

Ads Atas Artikel

Ads Atas Artikel 1

Ads Center 2

Ads Center 3