दुर्ग:-
बड़े धूमधाम से मनाई गई श्री काल भैरव जयंती
छत्तीसगढ़ की धार्मिक नगरी जहां सभी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, वहाँ दिनांक 16 नवम्बर को पूरे जिले के एक मात्र स्थान श्री सत्तीचौरा माँ दुर्गा मंदिर, गंजपारा दुर्ग में श्री भैरव अष्टमी के अवसर पर श्री काल भैरव जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई जिसमें विभिन्न धार्मिक आयोजन आयोजित किये गए..
समिति के सदस्य सूजल शर्मा ने बताया कि श्री काल भैरव जयंती के अवसर पर माँ दुर्गा मंदिर, गंजपारा, दुर्ग में स्थापित मनोकामना सिद्ध श्री काल भैरव जी की मूर्ति का दिनांक 16 नवम्बर को प्रातः 10 बजे से महाअभिषेक किया गया अभिषेक में मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित श्री सुनील पांडेय जी द्वारा दूध, दही, विभिन्न प्रकार की औषधियों एवं वस्तुओं से भैरव जी का अभिषेक कराया गया, अभिषेक के पश्चात पूजन एवं हवन कराया गया, पूजन अभिषेक के मुख्य जजमान भारती महेंद्र साहू सपत्नी थे, हवन एवं पूजन कार्य मे प्रातः 11 बजे से ही धर्मप्रेमियों की भारी मात्रा में उपस्थिति रही, पूजन पश्चात बाबा जी की आरती एवं प्रसाद वितरण किया गया,
हवन पूजन के पश्चात सँध्या 5 बजे से गौड़ ब्राम्हण समाज, दुर्ग की परशुराम रामायण मण्डली द्वारा सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, श्री काल भैरव चालीसा का पाठ सुंदर एवं मधुर भजनों के साथ किया गया, जिसमें भारी मात्रा में महिलाएं उपस्थित थी.
समित्ति के महेंद्र साहू ने बताया कि संध्या 7:30 बजे श्री काल भैरव जी की 108 दीपों एवं 108 पूजा थाल से महाआरती की गयी जिसमें सेकड़ो धर्मप्रेमी उपस्थित हुए, और अपने हाथों में पूजा थाल लेकर भैरव बाबा की आरती किये, आरती पश्चात पुष्पांजलि की गयी, एवं भैरव बाबा जी का जयकारा लगाया गया, जिससे पूरे गंजपारा में भैरव बाबा की जय घोष गूंजता रहा, आरती के पश्चात प्रसादी का आयोजन रखा गया, जिसमे सभी धर्मप्रेमियों को भैरव बाबा जी का विशेष प्रसाद खिचड़ी, कचोरी, मूंग बड़ा, बेसन लड्डू का वितरण किया गया, 1000 से अधिक धर्मप्रेमियों ने प्रसादी ली,
कार्यक्रम में श्री काल भैरव जी की महिमा का वर्णन करते हुए मंदिर के पुजारी सुनील पांडेय जी ने बताया कि काल भैरव जयंती से आने वाले 41 दिन तक काल भैरव चालीसा का पाठ करने एवं पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति एवं सभी मनोकामना पूर्ण होती है,
सुनील पांडेय जी ने बताया कि कार्तिक माह की कालाष्टमी का विशेष फलदायी होती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष के आठवें दिन कालाष्टमी होती है जिसे काल भैरव जयंती भी कहते हैं। काल भैरव का स्वरूप विकराल एवं क्रोधी है। काल भैरव के एक हाथ में छड़ी होती हैं और उनका वाहन काला कुत्ता होता है इसलिए भैरव रूप में काले कुत्ते को भोजन करवाने का भी विशेष महत्व बताया जाता है।
श्री काल भैरव जयंती के अवसर पर माँ दुर्गा मंदिर में विशेष साज-सज्जा की गई थी एवं आकर्षित फूलों से श्री काल भैरव मंदिर को सजाया गया था.
दुर्ग जिले में एक मात्र स्थान में श्री काल भैरव जयंती के आयोजन होने से सुबह 9 बजे से लेकर देर रात्रि तक गंजपारा दुर्ग में हजरों भक्तों ने श्री काल भैरव जयंती के इस आयोजन का लाभ लिया, आरती एवं अभिषेक में शामिल होकर प्रसादी लिए..
आयोजन में मन्दिर परिसर में चल रही भागवत कथा के कथावाचक आचार्य डॉ विक्रांत दुबे एवं आचार्य डॉ. चंद्रकांत दुबे विशेष रूप से उपस्थित होकर सभी धर्मप्रेमियों को छोटे छोटे पौधे का निःशुल्क वितरण किये..
आयोजन में इंद्रणी कुलेश्वर साहू, निर्मल जैन, सुरेश गुप्ता, ऋषभ जैन (बाबू), राजेश शर्मा, डब्बू चन्द्रवँशी, प्रकाश टावरी, राहुल शर्मा, अर्जित शुक्ला, मयंक शर्मा, विकाश पुरोहित, अशोक गुप्ता, राकेश चक्रधारी, रिषी गुप्ता, मोहित गुप्ता, मनीष सेन, सोनल सेन, आशीष मेश्राम, प्रकाश कश्यप, रवि राजपूत,
महिलाओं में सरिता शर्मा, अनिता अग्रवाल, चंचल शर्मा, प्रभा शर्मा, चंदा शर्मा, संगीता शर्मा, सरोज जोशी, प्रतिभा पुरोहित, लक्ष्मी यादव, ममता, राधा, कुलेश्वरी, एवं हजारों धर्मप्रेमी उपस्थित थे..