खुद प्रसन्न रहना चाहिए जिससे आप दूसरों को भी प्रसन्न रख सके ऐसा कार्य करना चाहिए: संत राम बालक दास

खुद प्रसन्न रहना चाहिए जिससे आप दूसरों को भी प्रसन्न रख सके ऐसा कार्य करना चाहिए: संत राम बालक दास

खुद प्रसन्न रहना चाहिए जिससे आप दूसरों को भी प्रसन्न रख सके ऐसा कार्य करना चाहिए:  संत राम बालक दास

खुद प्रसन्न रहना चाहिए जिससे आप दूसरों को भी प्रसन्न रख सके ऐसा कार्य करना चाहिए : संत राम बालक दास

बालोद जिला के पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी का ऑनलाइन सत्संग उनके वाट्सएप ग्रुप में भक्त गणों के लिए प्रतिदिन सुबह 10 बजे से 11 बजे तक आयोजित किया जाता है जिसमें विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान पूर्ण संतुष्टि के साथ किया जाता है।
        
आज की सत्संग परिचर्चा में कक्षा सातवीं के देव साहू ने जिज्ञासा रखी की सृष्टि का निर्माण कब हुआ और हम मनुष्य रूप में कैसे आए , बाबा जी ने बताया कि इसका उत्तर हमारे वेद पुराणों में हमें प्राप्त हो सकता है वेद पुराणों का अध्ययन अध्यापन हमें अवश्य करना चाहिए, कई करोड़ों योनियों को भोगने के बाद हमें मनुष्य योनि प्राप्त होती है कई तरह के कीट पतंग जीव जंतु बनने के बाद हम गाय बनते हैं और अच्छे सत्कर्म करते हैं तो मनुष्य का तन प्राप्त होता है और मनुष्य रूप में आप सदकर्म करेंगे तो ही आपको यह मनुष्य जन्म मिलता है नहीं तो वापस से कीट पतंगों की योनि ही झेलनी पड़ती है इसलिए इसी जन्म को सार्थक बनाते हुए इस जन्म में अधिक से अधिक पुण्य कमावे एवं सत्कर्म करें।
       
रामफल जी ने जिज्ञासा रखी कि प्रभु धर्म संकट क्या है बाबा जी ने बताया कि धर्म संकट का अभिप्राय मनु जी ने मनु स्मृति में उद्धृत किया है,आपद धर्म ही धर्म संकट की स्थिति कहलाती है,जैसे जो कार्य हमें नहीं करना है और हमें प्राण रक्षा हेतु वह कार्य करना पड़ जाए तो वह धर्मसंकट कहलाता है।
             
रामेश्वर वर्मा जी ने जिज्ञासा रखी की रामायण में गिद्धराज जटायु की अग्नि संस्कार भगवान श्रीराम चंद्र जी ने स्वयं किया इस पुण्यात्मा ने ऐसा कौन सा पुण्य कर्म किया था कि उनको परम गति प्राप्त हुआ इस विषय पर प्रकाश डालने की कृपा करेंगे गुरु वर ,,, बाबा जी ने बताया कि जब देव असुर युद्ध हुआ तो उसमें दशरथ जी के प्राण को जटायु ने बचाया था तब दशरथ जी ने उन्हें वचन दिया था कि वे अपने पहले पुत्र को उन्हें सौंप देंगे लेकिन दशरथ जी को खुद भान नहीं था कि भगवान श्री राम ही उनके पुत्र होंगे और माता कैकई ने भान कराया कि राम तो जटायु के धर्मपुत्र हैं और उनकी अंतिम क्रिया उन्हें ही करनी पड़ेगी इसीलिए माता कैकेई ने उनके लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा और उनकी अग्नि क्रिया भगवान श्री राम के हाथों हुई।
           
विनीता अग्रवाल रायपुर ने जिज्ञासा रखी की प्रसन्नता क्या है कैसे प्रसन्न रहें कृपया मार्गदर्शन करें गुरुजी ,, बाबा जी ने बताया कि सर्वप्रथम तो खुद प्रसन्न रहना चाहिए जिससे आप दूसरों को भी प्रसन्न रख सके इसके लिए आवश्यक है कि आप उन लोगों को विशेष रुप से ध्यान दें जिसके लिए आपकी जिम्मेदारी है और उन्हें प्रसन्न रखने का दायित्व आपका है इसके लिए आपको कुछ अपमान या दुख भी झेलना पड़े तो झेल लेना चाहिए परंतु उनकी प्रसन्नता का ध्यान रखना चाहिए इस तरह से आप भी प्रसन्न रहेंगे और और जो आप से संबंधित वे भी।

           इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ 
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

Ads Atas Artikel

Ads Atas Artikel 1

Ads Center 2

Ads Center 3