सभी मंदिरों और आश्रमों में गौपालन होना चाहिए: संत रामबालक दास

सभी मंदिरों और आश्रमों में गौपालन होना चाहिए: संत रामबालक दास

सभी मंदिरों और आश्रमों में गौपालन होना चाहिए: संत रामबालक दास

सभी मंदिरों और आश्रमों में गौपालन होना चाहिए: संत रामबालक दास

संत रामबालक दास गांधीनगर गुजरात के अंतरराष्ट्रीय गो भक्ति सम्मेलन में शामिल हुए। जहां उन्होंने कहा कि संत के कार्य काे ही समाज आदर्श मानकर पालन करता है। भारत में सभी मठ मंदिरों, आश्रमों में गौपालन होना चाहिए। देश के संत या मठ मंदिर भी जर्सी गाय रखकर गौवंश की परंपरा को नष्ट कर रहे हैं। महंत, मठाधीश केवल गौ माता की दूध, दही, घी से बनने वाले पदार्थ का सेवन करने का संकल्प लेकर गो व्रती बने, तभी समाज को हम गोवती बनने का निवेदन कर सकते हैं।

सबसे पहले किसानों गोपालकों के लिए संत, समाज और शासन मिलकर योजना बनाएं। छत्तीसगढ़ मां कौशल्या की जन्मभूमि है, इसलिए वहां के गोवंश को कोशली गाय कहा जाता है। उसके संरक्षण के लिए जामडी पाटेश्वर धाम में 10 हजार गायों की क्षमता का गो अभयारण्य निर्माण कर रहे हैं।


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