सूर्य ही संपूर्ण सृष्टि के जीवन दाता है सूर्य भगवान विष्णु के अवतार हैं : संत श्री राम बालक दास जी

सूर्य ही संपूर्ण सृष्टि के जीवन दाता है सूर्य भगवान विष्णु के अवतार हैं : संत श्री राम बालक दास जी

सूर्य ही संपूर्ण सृष्टि के जीवन दाता है सूर्य भगवान विष्णु के अवतार हैं : संत श्री राम बालक दास जी

सूर्य ही संपूर्ण सृष्टि के जीवन दाता है सूर्य भगवान विष्णु के अवतार हैं : संत श्री राम बालक दास जी

जामडी पाटेश्वर धाम के द्वारा प्रतिदिन व्हाट्सएप ग्रुप में ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया जाता है जिसमें संत श्री राम बालक दास जी भक्तों के द्वारा रखे गए जिज्ञासाओं पर सुंदर विचार रखते हैं आज के सत्संग परिचर्चा में रामेश्वर वर्मा जी भीमपुरी ने प्रश्न रखा कि हमारे पुराणों में बहुत सी कथाएं मिलती हैं राम जी की ,कृष्ण जी की ,,ब्रह्मा विष्णु शिव की कथाएं पर सूर्य की कथा बहुत कम मिलती है ,,कृपया सूर्य के उतपत्ति कथा पर प्रकाश डालें,, इस पर अपने विचार रखते हुए बाबाजी ने बताया कि सूर्य व चंद्र इस पृथ्वी के सबसे प्रत्यक्षदेवता है भगवान सूर्य हमें रोज दिखाई देते हैं वह सारे जगत की आत्मा है, पृथ्वी पर जबसे जीवन है तभी से वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की उपासना का प्रचलन रहा वेदों में अनेक स्थानों पर सूर्य देव की स्तुति जगह-जगह की गई सूर्य स्तुति मंत्र को सभी मन्त्रो में राजा का स्थान प्राप्त हुआ है।
 
और जो सूर्य का अविनाशी रूप है वह सूर्य ही सृष्टि की उत्पत्ति पालन और संहार के कारण है ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर सूर्य ने अपने महा तेज को समेटकर सोमयरूप को धारण किया वहीं महा तेज आकाश में चमकने लगा ब्रह्मा जी के पुत्र मरीच उनके पुत्र श्री कश्यप का विवाह आदिती से हुआ अदिति ने घोर तप के द्वारा भगवान श्री सूर्य को पत्र रूप में पाने की इच्छा की अदिति की इच्छा पूर्ति के लिए सुषुम्ना नाम की किरण ने अदिति के गर्भ में प्रवेश किया गर्भावस्था में ही अदिति चन्द्रायण जैसे कठिन व्रत का पालन कर रही थी जो अत्यंत दिव्य साधना के रूप में माना जाता है उसी के फलस्वरूप भगवान महा विष्णु ने सूर्य के रूप में अदिति के गर्भ से जन्म लिया जिनका नाम आदित्य या फिर विवस्वान पड़ा।

पंजाब से रिचा बहन ने ,,मीठा मोती ,,में विषय रखा की स्वयं के प्रति सम्मान की भावना बनाने के लिए दूसरों का सम्मान करना आवश्यक है इस पर संत श्री ने व्याख्या करते हुए कहा कि संसार में सम्मान का पात्र वही होता है जो दूसरों का सम्मान करना जानता है अहंकार और मद में चूर होकर जो व्यक्ति दूसरों का सम्मान नहीं करता वह अपना सम्मान भी खो देता है  इस तरह आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ। 


जय सियाराम जय गौ माता जय गोपाल

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