श्री सत्तीचौरा मां दुर्गा मंदिर में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन..

श्री सत्तीचौरा मां दुर्गा मंदिर में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन..

श्री सत्तीचौरा मां दुर्गा मंदिर में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन..

श्री सत्तीचौरा मां दुर्गा मंदिर में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन..


यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है। यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं


दुर्ग के गंजपारा स्तिथ श्री सत्तीचौरा मां दुर्गा मंदिर के प्रांगण में चल रहे संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सुप्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य डॉ. विक्रांत दुबे जी महाराज ने भगवान के चौबीस अवतारों की कथा के साथ-साथ समुद्र मंथन की बहुत ही रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाते हुए कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है। यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं। जब-जब कोई अपने गलत कर्मो द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सजनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार किया करते हैं ।
     
कथा के प्रारंभ में श्री भागवत भगवान का पूजन कर आरती उतारी गई और कथा सहयोगी आचार्य डॉ. चन्द्रकांत दुबे के साथ पुष्प कथा के बीच बीच में महाराज श्री ने भागवत भजन के द्वारा माहौल को भागवत मय एवं भक्ति मय बना दिया। कथा सुनने के लिए आस पास के लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है ।

    
कथा वाचक आचार्य डॉ. विक्रांत दुबे जी ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा।
     
भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान आचार्य जी ने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है।
   
प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की।

   
आज की कथा में श्रीमती तरुण पांडेय, मिथला देवी शर्मा, चन्दा शर्मा, सरिता शर्मा, नीलू पण्डा, चंचल शर्मा, किरण सेन, मोना शर्मा, सुनीता गुप्ता, प्रभा शर्मा, कुलेश्वरी जायसवाल, सरिता वर्मा, माया वर्मा, ललिता सिन्हा, रुकमणी सिन्हा, लक्ष्मी यादव, किरण यादव, गीता गुप्ता, प्रेमलता पाण्डेय, प्रतिभा, सँध्या वर्मा, क्षया वर्मा, सँध्या राजपूत, कुमारी साहू, प्रेमा साहू, एवं भारी मात्रा में आज महिलाएं एवं पुरूष उपस्थित थे..

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