कौशल राज कैसे बना छत्तीसगढ़? जानें इसका प्राचीन इतिहास और महत्व

कौशल राज कैसे बना छत्तीसगढ़? जानें इसका प्राचीन इतिहास और महत्व

कौशल राज कैसे बना छत्तीसगढ़? जानें इसका प्राचीन इतिहास और महत्व

कौशल राज कैसे बना छत्तीसगढ़? जानें इसका प्राचीन इतिहास और महत्व 


भारत के इतिहास में 1 नवंबर का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन एक नहीं छः बड़े राज्यों हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी. इसलिए इस दिन ये छहों राज्य अपना-अपना स्थापना दिवस मनाते हैं. साल 2000 में छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर एक पृथक राज्य घोषित किया गया. छत्तीसगढ़ की 23वीं वर्षगांठ के अवसर पर आइए हम आपको छत्तीसगढ़ के इतिहास, महत्व एवं तमाम रोचक पहलुओं के बारे में बता रहे.

छत्तीसगढ़ का इतिहास

पौराणिक कथाओं एवं उपलब्ध तथ्यों के अनुसार छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम कौशल राज्य था, जो भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो करीब 300 साल पहले गोंड जनजाति के शासनकाल में यह छत्तीसगढ़ के नाम से चर्चित हुआ. भौगोलिक नजरिये से भी इसका बहुत महत्व है. नदी, पहाड़, झरने एवं घने जंगलों जैसे प्राकृतिक संसाधनों से भरा-पूरा छत्तीसगढ़ पर्यटन के नजरिये से काफी महत्वपूर्ण है. 2 नवंबर 1861 को मध्य प्रांत में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल किया गया, जिसकी राजधानी नागपुर बनाई गई थी. साल 1905 में बंगाल विभाजन के दरम्यान वर्तमान छत्तीसगढ़ का मानचित्र तैयार हुआ. 1924 में पहली बार रायपुर जिला परिषद द्वारा पृथक छत्तीसगढ़ की मांग उठी थी, लेकिन आजादी के बाद छत्तीसगढ़ को मध्य प्रांत और बरार के साथ जोड़ा गया, 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश की स्थापना के समय छत्तीसगढ़ भी इसमें शामिल था. अंततः 1 नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य का दर्जा दिया गया.

छत्तीसगढ़ नाम कैसे पड़ा?

कहा जाता है कि करीब 300 साल पूर्व गोंड जनजाति के शासनकाल में पहली बार इसे छत्तीसगढ़ नाम मिला. इसके इर्द-गिर्द कई कहानियां प्रचलित हैं. कहते हैं कि गोंड राजाओं के 36 किले थे, जिनके आधार पर इसे छत्तीसगढ़ नाम दिया गया. कुछ इतिहासकारों के अनुसार कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किलों (शिवनाथ नदी के उत्तर में कलचुरियों की रतनपुर शाखा के 18 गढ़ और दक्षिण में रायपुर शाखा के 18 गढ़) को मिलाकर इसे छत्तीसगढ़ नाम दिया गया था. इससे पूर्व इस पूरे क्षेत्र को कौशल राज के नाम से जाना जाता था. सूत्रों के अनुसार यह रामायण काल के बाद 17वीं शताब्दी का समय था. उस दौर में इसकी राजधानी वर्तमान के बिलासपुर के निकट रतनपुर हुआ करती थी.

छत्तीसगढ़ का महत्व

छत्तीसगढ़ भारत का एकमात्र राज्य है, जिसे ‘महतारी’ (मां) का दर्जा प्राप्त है. वस्तुतः भारत के दो ही सबसे प्राचीन राज्य हैं, जिनके नाम विशेष कारणों से बदले गए. पहला मगध जिसे बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण बिहार का नाम मिला, दूसरा कौशल राज्य जो 36 गढ़ों के कारण छत्तीसगढ़ के नाम से विख्यात हुआ. दोनों ही राज्य सदियों से भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं. छत्तीसगढ़ तो वैदिक और पौराणिक काल से विभिन्न संस्कृतियों का केंद्र रहा है. यहां के मंदिर तथा उनके भग्नावशेष दर्शाते हैं कि यहां कभी वैष्णव, शैव, शाक्त एवं बौद्ध संस्कृतियों का प्रभाव रहा है. यह प्राकृतिक संसाधन सम्पन्न राज्य है और देश के लिए बिजली एवं इस्पात का प्रमुख स्त्रोत है.

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