छ्त्तीसगढ़ के मशहूर शायर शेख निजाम राही की सड़क दुर्घटना में मौत साहित्यकारों में शोक

छ्त्तीसगढ़ के मशहूर शायर शेख निजाम राही की सड़क दुर्घटना में मौत साहित्यकारों में शोक

छ्त्तीसगढ़ के मशहूर शायर शेख निजाम राही की सड़क दुर्घटना में मौत साहित्यकारों में शोक

छ्त्तीसगढ़ के मशहूर शायर शेख निजाम राही की सड़क दुर्घटना में मौत साहित्यकारों में शोक


छ्त्तीसगढ़ के नामचीन शायर शेख निजाम राही की कल सुबह ट्रेलर की चपेट में आने से दुखद निधन हो गया। राही साहब गंगा जमुनी तहजीब के बेमिशाल शायर थे । उनकी शायरी नज्म और गजलें जमाने को नेकी के पथ पर चलने की प्रेरणा देती थी। साहित्य मंच पर उनकी बेहतरीन प्रस्तुति दर्शक दीर्घा में अम्नो चैन के लिए जोशो जुनून पैदा कर देती थी। राही जी का खुशमिजाज व्यक्तित्व हमेशा नवोदित शायर एवं कवियों को प्रोत्साहित कर मंचों में श्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु प्रेरित करते थे।
        
मैं तकरीबन चौबीस बरस से उन्हें जानता हूँ। मधुर साहित्य परिषद् जिला बालोद द्वारा उन्हें 2004 में मधुर साहित्य सम्मान से सम्मानित करने का सुअवसर मिला था इस पर मुझे गर्व है। उनके साथ सात मंच में काव्यपाठ का सुअवसर मिला।
        
राही जी हमेशा खुशमिजाज लहजे में दिल खोलकर मिलते थे। कुछ बरस पहले वे बड़ी बीमारी से निजात पा अभी स्वास्थ्यलाभ ले रहे थे। मेरे यहॉ बालोद में उनका दो बार आगमन हुआ था।इनकी गजलों में हास्य की बानगी देखते बनती थी।
           
पेश है उनकी कुछ पंक्तियॉ जिनमें समाज को बड़ा संदेश मिला है__

जंगलों को काटने की सोचता रहता है तू ,
क्यों नहीं आता कोई पौधा लगाने का खयाल।

हकीकत ये लिपटकर बोलते हैं,
ये बच्चे तुमसे बेहतर बोलते हैं,
कभी आबाद थी उनकी भी दुनिया,
यही खामोश खण्डहर बोलते हैं!

जहॉ सूरज वफा का बोलता है, वहॉ घर घर उजाला बोलता है। 
जईफी आ गई चेहरे पे तेरे, 
ये मुझसे मेरा शीशा बोलता है। 

अपना बनाके आपने एहसान कर दिया,
यानी कि शहरे इश्क़ का सुल्तान कर दिया।
किस किस कलम की बात हो सबकुछ दिया मुझे,
मुर्शिद की दर का मुझको दरबान कर दिया।

   
शेख निजाम राही सामाजिक सारोकार के उम्दा शायर थे। उनकी नज्में हाताशा के महासागर में हिचकोले ले रहे जीवन से उदास लोगों के हृदय में जीने की ललक पैदा कर देती थी। 

पेश है उनके चंद असआर_

हम सो गये तो तुमको जगायेगा कौन फिर।
उंगली पकड़के राह दिखायेगा कौन फिर।
हम ही न रहे तो बता इस जहान में,
सूरज हथेली में उगायेगा कौन फिर।

 
         अचानक ही अस्त हुए बेमिशाल शायर शेख निजाम राही को शत् शत् शत् नमन् श्रद्धांजलि। 
🌸🌸🌸🫡🫡🫡😌😌😌


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