भगवान भरोसे हैं आदिवासी ब्लॉक डौंडी के पशु, डोण्डी में 3 पशु चिकित्सक होने के बाद भी एक मात्र की ड्यूटी, दो चिकित्सक कहा सेवा दे रहे है पता नही

भगवान भरोसे हैं आदिवासी ब्लॉक डौंडी के पशु, डोण्डी में 3 पशु चिकित्सक होने के बाद भी एक मात्र की ड्यूटी, दो चिकित्सक कहा सेवा दे रहे है पता नही

भगवान भरोसे हैं आदिवासी ब्लॉक डौंडी के पशु, डोण्डी में 3 पशु चिकित्सक होने के बाद भी एक मात्र की ड्यूटी, दो चिकित्सक कहा सेवा दे रहे है पता नही

भगवान भरोसे हैं आदिवासी ब्लॉक डौंडी के पशु ,डोण्डी में 3 पशु चिकित्सक होने के बाद भी एक मात्र की ड्यूटी, दो चिकित्सक कहा सेवा दे रहे है पता नही


डौंडी। आदिवासी ब्लॉक डौंडी में पशु चिकित्सा विभाग का बुरा हाल है। पशु चिकित्सकों की ड्यूटी को लेकर कोई देखने वाला नहीं है। जिले के अफसर अपनी मनमानी कर रहे हैं। आलम यह है कि पूरे डौंडी विकासखंड के लिए 3 पशु चिकित्सक की नियुक्ति की गई है, लेकिन एक ही पशु चिकित्सक यहां कार्यरत है। एक चिकित्सक को बालोद जिला मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है। इन दिनों पशुओं में विभिन्न टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। खासतौर पर लंपी वायरस को लेकर पशुपालक परेशान है। वही पशु चिकित्सकों की कमी के कारण पूरा का पूरा अभियान प्रभावित हो रहा है।
   
आदिवासी ब्लॉक मुख्यालय डौंडी में पशु चिकित्सक की भारी कमी है। इसका खामियाजा पशुपालकों को उठाना पड़ रहा है। बताया गया कि डौंडी ब्लॉक के सिर्फ एक डॉक्टर है। सोचने का विषय है कि आखिर एक डॉक्टर ब्लॉक के किस कोने में कब पशुओं का इलाज कर सकेगा। यानि ब्लॉक के पशु भगवान भरोसे हैं। इसे विभाग की वेवशी कहें अथवा लाचारी, ऐसे में पशुपालकों को प्राइवेट पशु डॉक्टरों के शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। ब्लॉक के पशुपालकों की परेशानी देखी जा सकती है।

पशु का नहीं हो पा रहा इलाज

डोण्डी ब्लॉक के डोण्डी, आमाडुला,मन्थेना, महामाया,नलकसा,बोरगांव,भरीटोला, बलौदा सहित करीब 50 से अधिक गांवों के पशुओं का इलाज नही हो रहा है। डोण्डी पशु चिकित्सालय एक डॉक्टर व एक कर्मचारी के भरोसे चल रहा है। कृषि कार्य पर निर्भरता वाले क्षेत्र के अधिकांश किसानों के पास गाय, भैंस उपलब्ध है।गरीब बस्तियों में बहुतायत से बकरी पालन होता है। कई बीमारियों के कारण पशुपालक हमेशा परेशान रहते हैं

झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे है क्षेत्र

अक्सर पशुओं के बीमार होने पर पशुपालकों का सहारा स्थानीय झोलाझाप डॉक्टर ही बनते हैं। पशुओं के इलाज करने के नाम पर पशुपालकों के होने वाले आर्थिक दोहन पर न तो सरकार का ध्यान है, न ही जनप्रतिनिधि ध्यान देना चाहते है। ग्रामीण किसान व मजदूरों का आर्थिक रीढ़ माने जाने वाले पशुपालन की स्वास्थ्य संबंधी अव्यवस्था की मार झेलने पर मजबूर है। ग्रामीणों ने बताया कि जब भी पशुओं के चिकित्सा को लेकर अस्पतालों में जाते हैं तो वहां पर कोई डॉक्टर नहीं मिलता। कर्मचारी भी डॉक्टर न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। मजबूरी में उन्‍हें प्राइवेट डॉक्टरों को मंहगी फीस देकर और महंगी दवाई लेकर पशुओं का इलाज करना पड़ रहा है।

सहायक पशु चिकित्सक अधिकारी की ड्यूटी गोबर खरीदी में कई ग्रामीण पशुओं का महंगा इलाज नहीं करा पा रहे हैं, जिससे दिनो दिन क्षेत्र में पशुधन घटता जा रहा है। पशुपालकों से मिली जानकारी के अनुसार आमडुला व बलौदा क्षेत्र में कोई भी सहायक चिकित्सक नही है वही अन्य क्षेत्र भरीटोला व सुडोंगर के सहायक पशु चिकित्सक को गोबर खरीदी में नोडल बनाये जाने से वे अन्य कोई कार्य जैसे बंधिया करण, टीकाकरण, कित्रिमगर्भाधान, पशुउपचार,औषधिवितरन, लंपि वायरस से बचाव का टीकाकरण,व राष्ट्रीय कार्यक्रम खुराचपका में समय नही दे रहे है जिससे सभी पूरी तरह से फेल है। क्षेत्र में 30 गौठान,पोल्ट्री फार्म सहित कुकुट पालन के हितग्राही भी भगवान भरोसे ही चल रहे है।

विभाग के अफसर का कहना

पशु अस्पताल में चिकित्सक नही होने से होने वाली कठिनाई के संबंध में पूछेजाने पर उप संचालक पशु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं डा. सिहारे ने बताया कि डोण्डी के एक पशु डॉक्टर को बालोद अटैच किया गया हैं, क्योंकि बालोद के डॉक्टर दुर्ग अटैच है। सहायक पशु क्षेत्रधिकारी सिर्फ 3 होने से परेशानी तो है शासन स्तर की समस्या है हम क्या कर सकते है।


श्री ओम गोलछा जी की खबर 

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