जहां ज्ञान है वहां सुख है जहां अज्ञान है वहाँ दुख है ... संत साई कालीराम

जहां ज्ञान है वहां सुख है जहां अज्ञान है वहाँ दुख है ... संत साई कालीराम

जहां ज्ञान है वहां सुख है जहां अज्ञान है वहाँ दुख है ... संत साई कालीराम

जहां ज्ञान है वहां सुख है जहां अज्ञान है वहाँ दुख है ... संत साई कालीराम 

श्री झूलेलाल चालिहा महोत्सव के 37 वे दिन पर वसण शाह दरबार उल्हासनगर महाराष्ट्र से संत साई काली राम जी का आगमन हुआ साई जी का नयापारा चौक से भव्य स्वागत किया गया फूलों से सजी बग्गी में साई जी को बेथाया गया व आतिशबाजी के साथ मंदिर लाया गया मंदिर पहुंचकर साई काली राम जी ने भगवान झूलेलाल जी के मूर्ति के दर्शन किए माथा टेका व लाल साई जी से मुलाकात की सत्संग रात्रि 11:00 बजे आरंभ हुआ 1:00 बजे समापन हुआ सत्संग की शुरूआत भगवान झूलेलाल व बाबा गुरुमुख दास जी के फोटो पर पुष्प अर्पण दिप प्रज्वलित कर के की गई सत्संग में अमृत वर्षा करते हुए श्री काली राम जी ने ज्ञानवर्धक प्रसंग सुनाए।

 एक किसान बहुत दुखी था भगवान से प्रार्थना करता था प्रभु मैं बहुत परेशान हूं बहुत दुखी हूं मेरी फसल हर बार खराब हो जाती है मैं कर्जे में डूब जाता हूं मेरे साथ ऐसा क्यों होता है प्रभु जैसा मैं चाहता हूं ऐसा क्यों नहीं होता है मुझे दर्शन दीजिए प्रभु भगवान किसान की बात सुनकर उन्हें दर्शन देते हैं और कहते हैं बोलो भक्त तुम्हें क्या चाहिए तो किसान कहता है भगवान जब मैं चाहूं बरसात हो जब मैं चाहूं चाहूं ठंड हो जब मैं चाहू धुप नीकले  ऐसा मुझे वरदान दीजिए भगवान उस किसान को तथास्तु कह करवरदान देते हैं किसान खुश हो जाता है और खेत को पूरा हल चला कर तैयार करके बिज लगाता है और भगवान से कहता है कि मुझे बरसात चाहिए तो बरसात होती है
 
जब पौधे बड़े होते हैं तो कहता है मुझे धूप चाहिए तो धूप होती है जब मुझे ठंडी चाहिए तो ठंड आ जाती है इस तरह 4 माह बीत जाते हैं वह बीज पौधे बनकर बड़े हो जाते हैं फसल लहराने लगती है तैयार हो जाती है किसान बहुत खुश हो जाता है जब किसान खेत में जाकर फसल काटता है तो फसल तो बड़ी हो गई पौधे बड़े हे पर सब अंदर से खाली रह गए तब किसान फिर भगवान से प्रार्थना करता है प्रभु मुझे दर्शन दीजिए भगवान दर्शन देते हैं और कहते हैं अब क्या हो गया वह कहते हैं मैंने इतनी मेहनत करके फसल तैयार की फसल बड़ी भी हो गई लेकिन इसमें अंदर बिजी नहीं है खाली है भगवान कहता है इसमें मेरी गलती कहां है जब तुमने कहा धुप चाहिए धूप दि जब तुमने कहा बरसात चाहिए तो दि  जब तुमने कहा ठड चाहिए तो दि 
किसान कहता है 
 यह बात तो सही है भगवान जी 
 पर ऐसा क्यों हुआ मेरे साथ
भगवान कहते हैं भक्त तुमने प्रकृति को अपने साथ चलाने की कोशिश की है और इन्हें पेड़ पौधों को बहुत आराम दिया है संघर्ष करने नहीं दिया जो संघर्ष करता है वही आगे बढ़ता है उन्हें फल की प्राप्ति होती है और वह मजबूत भी होता है जैसे बच्चा जन्म लेता है तो माँ बच्चे को बालपन में तेल मालिश करती है बच्चा कितना रोता है फिर भी तेल मालिश करती रहती है ताकि उसका शरीर मजबूत बने पोस्ट बने वह हर मौसम को बीमारी को सहन कर सके लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया इसलिए सब ऐसा हुआ किसान को अपनी गलती का एहसास होता है और भगवान से क्षमा मांगता है

वह दूसरी कथा थी

रामू रोज झूलेलाल मंदिर जाता था संत जी से सत्संग सुनता था आशीर्वाद लेता था वह भगवान की कृपा ऐसे हुई
की वह करोड़पति बन गया धीरे धीरे मंदिर आना बंद कर दिया एक दिन एक सत्संग में नगर संत जी पहुचे तो पूछा क्या बात है रामू आजकल तुम मंदिर आते नहीं हो सत्संग में आते नहीं हो रामू ने का संत जी सब आपका आशीर्वाद है आपकी कृपा हे
आज मैं बहुत बड़ा आदमी बन गया हूं धंधा मेरा बहुत अच्छा चल रहा है समय नहीं मिल पाता है और बहुत मैं खुश हूं संत जी रामू की 
बात सुनकर कहते हैं अच्छी बात है कुछ समय बाद धंधे में रामू को नुकसान होता है रामू वापस मंदिर पहुंचता है संत जी से मिलता है और कहता है कि मुझे आशीर्वाद दीजिए संत जी मैं धंधे में बहुत घाटा हुआ है नुकसान हो गया है मुझ पर कृपा कीजिए संत जी ने कहा रामू अब तुम यहां आए हो अब तुम्हें कृपा होगी पर उस समय जब तुमने कहा था कि आपकी कृपा से यह सब कुछ हुआ है और तुमने भगवान को भूल गए थे इसलिए यह सब तुम्हें देखना पड़ा दुख में अगर तुम भगवान को याद करोगे और सुख में भूल जाओगे तो दुख बार बार आएगा अगर तुम सुख में भी हर समय भगवान को नहीं बोलोगे तो दुख कभी नहीं आएगा इंसान कितना ही पैसे वाला क्यों ना हो जाए अगर उनके अंदर शारदा भक्ति होगी नीत नेम नहीं तोड़ेगा वह कभी दुखी नहीं रहेगा और जो ज्ञानी इंसान होता है वह कभी दुखी नहीं होता है और जो अज्ञानी होता है वह हर बार दुखी होता है

अपनी मधुर आवाज में कई भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे सत्संग के आखिर में संत लाल साई जी के द्वारा संत काली राम जी का स्वागत व सम्मान किया गया

वह आरती की गई प्रार्थना की गई पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया इस पूरे कार्यक्रम को सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में घर बैठे भक्तों ने सत्संग का आनंद लिया इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश महाराष्ट्र के कई शहरों से शामिल हुए इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा



श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

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