कार्यकर्ता व सहायिका संघ के आंदोलन से जिले के 469 आंगनबाड़ी केंद्रों में ताले
शहर के नए बस स्टैंड में पांच दिन से छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका संघ अपने आठ सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सात दिन जिला मुख्यालय में धरना देने के बाद 20 दिसंबर तक मांगों को पूरा नहीं करने की स्थिति में राजधानी में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने की चेतावनी सरकार को दी है।
आंगनबाड़ी व सहायिका संघ के आंदोलन को विभिन्न संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है। जिले में आंगनबाड़ी केंद्र 1 हजार 523 हैं। जिसमें 469 आंगनबाड़ी हड़ताल के कारण बंद है। जिससे 15 हजार बच्चे प्रभावित हो रहे हैं।
हड़तालियों ने कहा कि सरकार छोटे कर्मचारी समझ कर तिरस्कार न करें। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भी हमारी बहनों ने सरकार के प्रत्येक आदेश का पालन किया और गांवों में बिगड़ती स्थिति को संभाले रखा। आज कुछ जायज़ मांगे हैं वह सरकार को सुनाई तक नहीं दे रही।
संघ की आठ सूत्रीय मांगों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए, ऐसा होने तक भारत सरकार द्वारा लागू न्यूनतम वेतन 18 हजार व सहायिकाओं को 9 हजार रुपए प्रतिमाह दिया जाए समेत अन्य मांग शामिल है।
सरकार मांगों को सुनने तक को तैयार नहीं
संघ के धरना प्रदर्शन को समर्थन देने अभा हल्बा, हल्बी आदिवासी समाज के केंद्रीय महासभा अध्यक्ष व भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र माहला पहुंचे। डॉ. माहला ने संबोधित करते हुए कहा कि अपनी जायज मांगों को सरकार के समक्ष रखने का अधिकार प्रत्येक संस्था व संगठन को है, परंतु सरकार यहां सुनने तक को तैयार नहीं है। विगत चार वर्षों में हमने कई विभागों के कर्मचारियों को आंदोलन करते देखा है। यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है।
इन चार वर्षों में राज्य सरकार ने छोटे कर्मचारियों को केवल मजदूर समझा है और आंदोलन करने पर मजबूर किया है। छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी का महत्व हम सभी समझते हैं। आंगनबाड़ी जीवन के प्रारंभिक दिनों में संस्कार प्राप्त करने का भी एक केंद्र है। वहां कार्यरत हमारी सभी कार्यकर्ता बहनें ममत्व की भावना के साथ बच्चों की देखभाल कर शिक्षा देतीं हैं। सांसद प्रतिनिधि मोरध्वज साहू ने भी मांगों का समर्थन किया।
अब तक सरकारी कर्मचारी घोषित नहीं किए
केंद्रों में कार्यरत कर्मियों को भविष्य निधि जीवन निर्वाह भत्ता, सेवानिवृत्त भत्ता, उनके आश्रितों को चिकित्सा सेवा व बच्चों को शिक्षा सुविधा लागू की जाए, पोषण ट्रैकर में काम करने फ़ोन, सिम व इंटरनेट पर खर्च की राशि का भुगतान भी सरकार वहन करें। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की जिला महामंत्री माधुरी रथ ने कहा कि सरकार हमारी मांगों को नजरअंदाज करके हमें ही कुपोषित करने पर तुली है। नई शिक्षा नीति के तहत हमें भी प्राथमिकता न देकर अनदेखा किया जा रहा है।
कई विसंगतियों में छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ कार्य करने को विवश हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका आज तक सरकारी कर्मचारी घोषित नही हो पाई है। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की जिला अध्यक्ष आयशा खान, प्रदेश मंत्री कुलेश्वरी, विद्या गुप्ता, लक्ष्मी, संजय कुमारी, ललिता, पूर्णिमा, संगीता सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका उपस्थित रहे।