जूते की इक ठोकर से हम ताज तख्त ठुकरा सकते हैं

जूते की इक ठोकर से हम ताज तख्त ठुकरा सकते हैं

जूते की इक ठोकर से हम ताज तख्त ठुकरा सकते हैं

जूते की इक ठोकर से हम ताज तख्त ठुकरा सकते हैं


दीवारों में चुनवा कर खुद को रोम-रोम मुस्कुरा सकते हैं


दिसंबर माह का आखिरी सप्ताह भारत वर्ष के इतिहास मैं श्री गुरु गोविंद सिंह जी के पूरे परिवार की शहादत के लिए जाना जाता है विशेष तौर पर उनके चार साहिबजादो के लासानी इतिहास के लिए जिन्होंने देश कोम धर्म व सिद्धांतों की रक्षा के लिए वीरता पूर्वक शहादत दी चार साहिबजादो की वीरतपूर्वक शहादत को याद करने के लिए गोडपारा गुरुद्वारा से शहीदी मार्च निकाली गई शहीदी मार्च का पुष्प वर्षा कर श्री गुरु गोविंद सिंह के महान सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई 

गोलबाजार चौक के पास समाजसेवी चंचल सलूजा ,केशव बाजपई ,तारेद्र उसराठे, अमित दुबे राकेश सेलरका, कृष्ण मुरारी दुबे महावीर ठाकुर ,रिक्की दुबे, पम्मी शराफ ,शैंकी गुप्ता ,आदि लोगों शामिल हुए।

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